शुक्रवार, 1 अप्रैल 2022

क्यों बैकवर्ड हो गया है जय स्तंभ चौक...?

 रीवा जय स्तंभ बचाने

 

और युद्‍ध के विरोध में

 37 वें दिन भी दीप प्रज्वलन

 सत्याग्रह जारी रहा

रीवा 1 अप्रेल । समाजवादी जन परिषद , नारी चेतना मंच एवं विंध्यांचल जन आंदोलन के तत्वावधान में ऐतिहासिक जय स्तंभ बचाने और यूक्रेन रूस युद्ध के विरोध में विश्व शांति के लिए दीप सत्याग्रह 37 वें दिन भी जारी रहा ।

इस अवसर पर समाजवादी जन परिषद के नेता अजय खरे ने कहा कि जय स्तंभ राष्ट्रीय धरोहर होने के साथ ऐतिहासिक यादगार है । सोने की प्रतिकृति भी जयस्तंभ की जगह नहीं ले सकती है । जय स्तंभ स्वतंत्रता आंदोलन , अमर शहीदों एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के त्याग बलिदान की राष्ट्रीय धरोहर है , जिसका स्थान नहीं बदला जा सकता है । जय स्तंभ सभी धर्म वर्ग समुदाय के लोगों की आस्था का प्रतीक है , इसका महत्व किसी भी उपासना स्थल से कम नहीं है । 

समाजसेवी ओम प्रकाश मिश्रा ने कहा कि जय स्तंभ पर सिर्फ देश की आजादी के लिए त्याग और बलिदान करने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम अंकित किए जाना चाहिए । इसे सैनिक स्मारक बनाना उचित नहीं होगा । युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों के लिए अलग से स्मारक बने हुए हैं। जब देश आजाद होता है तो उसकी अपनी सेना होती है जिसके साथ सरकार और जनता का पूरा सहयोग होता है ।केतकी कल्याण समिति की प्रमुख उमा मिश्रा ने कहा कि जय स्तंभ देश की एकता अखंडता और भाईचारे का प्रतीक होने के साथ-साथ भारत की आन बान शान है । ऐतिहासिक धरोहरों को हटाया मिटाया नहीं जाता , बल्कि उसी स्थान पर उनका सही रखरखाव करके संरक्षित किया जाता है ।। जय स्तंभ 18 57 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानियों के त्याग बलिदान की याद दिलाता है ।

जय स्तंभ क्षेत्र के प्रतिष्ठित नागरिक सुभाष चंद्र प्रजापति ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को गुलामी के दौर में अत्यंत अभाव में विदेशी हुकूमत से लड़ना पड़ता था , जो लड़ाई बेहद कष्टदायक एवं बहुत लंबी थी । गुलाम देश को आजाद कराना बहुत बड़ी चुनौती होती है । जय स्तंभ को अपने पूर्व स्थान से हटाया जाना सरासर गलत होगा ।

अधिवक्ता एवं समाजसेवी विजय मिश्रा ने कहा कि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के शताब्दी समारोह वर्ष पर सन 1957 में देश के सभी विकास खंडों के मुख्य मार्गों और चौराहों पर जय स्तंभ बनाए गए थे। जय स्तंभ को हटाना असंवैधानिक , राष्ट्रीय एकता , अखंडता और स्वतंत्रता की भावनाओं के साथ क्रूर खिलवाड़ और देशद्रोही हरकत होगी ।

रेवांचल चेंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव रफीक मनिहार एडवोकेट ने कहा कि यह भारी विडंबना है कि ऐतिहासिक धरोहर जय स्तंभ के अस्तित्व के सवाल को लेकर चुने हुए जनप्रतिनिधियों की जुबान पर ताला लगा हुआ है , वहीं पृथक विंध्य प्रदेश का राग अलापने वाले भी इस राष्ट्रीय धरोहर के साथ होने जा रहे क्रूर खिलवाड़ को अनदेखा कर रहे हैं ।

विधि स्नातक सागरिका मिश्रा ने कहा कि यह भारी विडंबना है कि रीवा में धर्म की आड़ में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण हो रहा है लेकिन उसे हटाने की जगह प्रशासन आंख मूंदे बैठा हुआ है। जबकि दूसरी ओर जयस्तंभ को हटाने का दुष्चक्र चलाया जा रहा है । यह बात काफी आपत्तिजनक है।भूतपूर्व सैनिक कल्याण समिति के संगठन मंत्री इंद्र गोपाल मिश्रा ने कहा कि रीवा के ऐतिहासिक जय स्तंभ में एक छोटा सरोवर और फव्वारा भी है , जिसकी अनदेखी लंबे समय से होती आ रही है । वहीं शहर के दूसरे चौराहों में शानदार फव्वारे चल रहे हैं । युवा नेता आशीष शर्मा ने कहा कि जय स्तंभ के चारों दिशाओं पर सड़क के किनारे हुए अतिक्रमण को हटाकर जय स्तंभ क्षेत्र का सौंदर्यीकरण किया जाना चाहिए । यातायात व्यवस्था में जय स्तंभ रोटरी को बाधक बताया जाना सरासर गलत है ।

 



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