क्या हम बचा पा रहे हैं चुल्लू भर पानी...?
कैसे होगा जल-अभिषेक .......?
एक यक्ष प्रश्न
( त्रिलोकीनाथ )
किसी औपचारिक हिंदू की त्यौहार में जश्न के रूप में मनाया जाने वाला जलाभिषेक अभियान शहडोल के लिए कब वरदान सिद्ध होगा यह बात एक कोरे आश्वासन के रूप में प्रमाणित होती दिख रही है। जबकि शहडोल नगर में सैकड़ों जल स्रोतों पर तालाब और मेड़ की जमीनों पर लगातार अतिक्रमण हो रहा हो। ऐसे में प्रशासन का दायित्व लोक सहमति से नगरीय तालाबों को स्व सहायता समूह के जरिए न सिर्फ व्यापक जल संरक्षण का केंद्र बनाना चाहिए बल्कि जल संरक्षण के लिए जन जागरूकता का स्थाई प्रदर्शनी के रूप में भी संभावनाएं तलाश करना का काम अभी बाकी है,
तब जबकि स्व सहायता समूह के वरदान के रूप में शहडोल निवासी महिला वित्त विकास निगम के अध्यक्ष का काम अपनी तेजतर्रार छवि के लिए भाजपा नेता श्रीमती अमिता चपरा के हाथ में सौंपा गया हो। तो क्या अमिता चपरा अपनी जिम्मेदारियों को वहन अपनी अमिट छाप छोड़ने में सक्षम है एक नागरिक के नाते यह भी बड़ा प्रश्न है...?
तो कैसे होगा काम..?
शहडोल के तमाम खत्म अथवा विलुप्त हो रहे तालाबों को चिन्हित करके तत्काल आसपास रहने वाले नागरिकों को वे चाहे पट्टाधारी हूं अथवा गैर पट्टेधारी या फिर कब्जाधारी हूं उनका अथवा उनकी महिला सदस्यों का स्व-सहायता समूह बनाकर संबंधित तालाब के लिए संरक्षण पूर्ण दायित्व निर्वहन की जिम्मेदारी दी जा सकती है। इससे एक बड़ा फायदा यह होगा कि उक्त संबंधित तालाब में कोई नया अतिक्रमण कारी को अतिक्रमण करने से रोकने हेतु प्रशासन के संरक्षण में गठित तालाब स्व सहायता समूह के लोग स्थाई चौकीदार के रूप में जल संरक्षण के तमाम उपाय खोजने लगेंगे।
गणेशमंदिर के सामने और बाल संप्रेषण गृह के पास के नष्ट हो रहे तालाब
इस बात की भी शिकायतें खत्म हो जाएगी कि तालाब का मालिक कौन है और कौन नहीं... तालाब सरकारी है अथवा गैर सरकारी या फिर किसी कब्जे धारी का ....? यदि तालाब संरक्षण अभियान में आज कोई महिंद्रा ने जहां प्रदर्शनी स्थल और पार्क बना कर बुढार रोड श्मशान स्थल के सामने जहां कब्जा कर लिया है। वह तालाब सैकड़ों वर्ष पुराना स्थाई बड़ा तालाब था। 2011 के शहडोल विकास की पुस्तक पर नगरी प्रशासन मंत्रालय ने उस तालाब को जिंदा तालाब दिखाया था। अब वह सभी नागरिकों के बीच में तालाब-माफिया की सफलता का का जीता जागता पारदर्शी प्रमाण पत्र बन कर रह गया है।
इस तालाब का जिक्र इसलिए करना उचित होगा क्योंकि एक तरफ यह तालाब जहां जीवित था वहीं जेल भवन के पास संप्रेक्षण गृह जहां बन गया है वहां के तालाब को विलुप्त कर विकास पुस्तक में दिया गया था। तब हमने अपनी छोटे से प्रयास में जेल भवन के पास वाले तालाब को
चिन्हित करा कर गहरीकरण तत्कालीन शहडोल के प्रभारी मंत्री इंद्रजीत कुमार के साथ मिलकर कराया था। यह बात की बात है कि अगर उस वक्त इस तालाब में अगर स्व-सहायता समूह गठित हो गया होता तो शायद यह बर्बाद हो रहा तालाब आज आम नागरिकों के लिए एक सुखद अनुभूति की तरह प्रशासन का गौरवशाली गोल्डन-स्पॉट होता।
अभी भी वक्त नहीं गुजरा है जलाभिषेक अभियान में सबसे पहले इसी तालाब में अथवा कोई विवाद रहित एक शहडोल नगर के तालाबों का अभिषेक यदि स्व सहायता समूह बनाकर प्रशासनिक संरक्षण में किया जाता है तो तालाबों को जिंदा बनाए रखने का एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम होगा।
जल अभिषेक हेतु जल शहडोल की तालाबों को नहीं मिलेगा...
अन्यथा जल अभिषेक के लायक भी जल शहडोल की तालाबों में देखने को नहीं मिलेगा .... जैसे विराट मंदिर के पास पिछली सदी का बड़ा तालाब मे चुल्लू भर पानी भी नहीं है।
जो कभी पूरी ऐतिहासिक नगर सोहागपुर को आम निस्तार का तालाब था ।जैसे बुढार रोड श्मशान स्थल के सामने चुल्लू भर भी पानी नहीं है जो कभी शहडोल नगर के जल स्रोतों के संरक्षण का तथा जल ग्रहण क्षमता का वैज्ञानिक कारण रहा ।कमोबेश यही हालात बाईपास रोड स्थित बड़ी भीठ और छोटी भीठ के दोनों तालाबों का है ।
तो क्या उम्मीद करना चाहिए कि जिला प्रशासन लोक सहायता के सहयोग से शहडोल नगर के तमाम तालाबों को चिन्हित कर तालाबों के आसपास रहने वाले तमाम निवासियों को स्व सहायता समूह बनाकर इन तालाबों का न सिर्फ संरक्षण बल्कि तालाबों को तालाब आधारित रोजगार परक फूलों का कुटीर उद्योग, पार्किंग प्लेस, क्षेत्रीय गोवंश के लिए क्षेत्रीय चारागाह तथा छोटे-छोटे पार्कों के रूप में विकसित कर नजीर पेश कर सकते हैं। सिर्फ साफ-सुथरी नियत और पारदर्शी कार्यप्रणाली की छोटी सी चाहत से संभागीय मुख्यालय शहडोल जल अभिषेक का केंद्र बिंदु बन सकता है। किंतु यह तब होगा जब हमारी पवित्र मंशा शहडोल की भूमि के प्रति नमन करने की इच्छा शक्ति रखेगी।
तालाबों की आत्मा जल है।अतः आवश्यक है कि तालाबों में जल रहे।न रहने का मुख्य कारण,उसके जलग्रहण क्षेत्र में अवरोध उपन्न होना ही है,चाहे वह किसी भी प्रकार के अतिक्रमण द्वारा किया गया हो।अतः सर्वप्रथम तालाबों के जल ग्रहण क्षेत्र से अवरोध हटाना आवश्यक है।अन्यथा तालाबों का सौंदर्यीकरण मात्र कुछ पक्के घाट बनाने,गहरीकरण और साफ सफाई तक सीमित होकर एक औपचरिकता ही रह जाएगा।
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