यूक्रेन में युद्ध :भारतीय छात्र हुआ शहीद
यूक्रेन पर रूस के हमले के दौरान एक भारतीय नागरिक की मौत हो गई है।
इस तरह से रूस के हमले ने भारत को भी जख्म दे दिया है। यूक्रेन युद्ध में पहले भारतीय नागरिक के मारे जाने की पुष्टि हुई है। मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्र का नाम नवीन कुमार (Naveen Kumar) है और वह कर्नाटक के रहने वाले थे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट कर यूक्रेन के खरकीव में आज सुबह हुए भीषण हमले में एक भारतीय स्टूडेंट की मौत की पुष्टि की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया, 'हम गहरे दुख के साथ इस बात की पुष्टि कर रहे हैं।" भारत में चुनाव जीतने के चलते राजनीतिक दल भाजपा की सरकार की देरी से अब तक यह पहला भारतीय छात्र होगा जिसके मौत की खबर आई है।
रूस ने अपनी सुरक्षा के मद्देनजर अपने ही भाई यूक्रेन पर समझाने के लिए हमला कर दिया। रूस के परिवार का झगड़ा दुनिया में कोहराम बनकर टूटा है। इसके पूर्व भारत के राजनैतिक परिवार के झगड़े में दिल्ली के अंदर ही नई सीमा रेखाएं कॉर्पोरेट इंडस्ट्री पॉलिसी मेकर और किसान नेताओं के बीच में खड़ी हो गई थी। लोकतांत्रिक तरीके से चले इस आंदोलन को हिंसक बनाने का बहुत प्रयास हुआ। धर्मेंद्र और भाजपा सांसद हेमा मालिनी के करीबी रहे सिद्धू नामक कलाकार ने तो लाल किला पर चढ़कर भारतीय झंडे को अपमानित करने का काम भी किया । हालांकि है वह दुनिया में नहीं है एक एक्सीडेंट में मारा गया है बावजूद इसके 1 वर्ष से भी ज्यादा सत्ता से संवाद न कर पाने की वजह भारत की सात सौ से ज्यादा किसान इस अघोषित युद्ध में हलाल कर शहीद दिए गए। क्योंकि सत्ता संवाद नहीं करना चाहती थी।
वसुधैव कुटुंबकम के नजर से रूस का ही परिवार का सदस्य यूक्रेन संवाद के अभाव में रूस के पुतिन के सनक का शिकार हो गया । तो हम आदिवासी क्षेत्र के लोग क्या कर सकते हैं...? बावजूद इसके की कथित तौर पर विदेश में अपने धन के गुरूर पर बच्चों को पढ़ाने वाले परिवार के करीब 20,000 से ज्यादा विद्यार्थी इस युद्ध में फंस गए हैं। भारत सरकार जागी है, थोड़ा देर तो हो गई है। जैसे किसान आंदोलन में 1 साल बाद जागी और तीन कृषि बिलों को वापस किया। तब तक सैकड़ों किसान काल के गाल में समा गए। देखना होगा कितने भारतीय छात्रों को किस प्रकार की परेशानी अथवा तथाकथित बलिदान का शिकार होना पड़ता है। ईश्वर करे हर बच्चा वापस सब कुशल भारत आए।
लेकिन सूचनाएं जिस प्रकार की आ रही हैं वह
बेहद डरावनी व दुखद है... । तो हम क्या कर सकते हैं, आदिवासी क्षेत्र शहडोल में बैठकर हम क्या कर पाएगे...?
तब भी जब भारत में ही कोई तानाशाह अपनी बात मनवाने के लिए सैकड़ों किसानों को हलाल करता रहा... वे शहीद होते रहे। हम मृत्यु की गिनती गिन रहे थे। तो यूक्रेन के मामले में भी शहीदों की गिनती गिनना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय विश्व युद्ध के परिणामों को भुगतने के लिए तैयार हो जाना चाहिए।
तो आगामी 10 तारीख के बाद शुरुआत कहां से होगी प्रति लीटर डेढ़ सौ रुपए पेट्रोल या सवा सौ रुपये डीजल के रेट से अथवा किसी अन्य गेटवे ऑफ इंडिया अथवा इंडिया गेट से महंगाई डायन हम पर आक्रमण करने वाली है।
यह तय है इस युद्ध से निकलकर एक आर्थिक मिसाइल है जो दिखेगी तो नहीं किंतु क्रिप्टो महंगाई डायन करेंसी की तरह हमारा खून चूसने के लिए शासन की तरफ से सोलह सिंगार करके भारतीय बाजार में नाच करेगी क्योंकि यही तांडव होगा।
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