बसंत पंचमी के बिहान
लता दीदी
का हुआ निधन
निराकार सरस्वती के सुर के स्वर अगर साकार होते तो वे लता मंगेशकर होते
ऐसी हमारी सचमुच कि भारत रत्न लता दीदी बसंत पंचमी की दूसरे दिन इस दुनिया को अलविदा कह दी हमारा सौभाग्य सिर्फ यह रहा कि हम इस कॉल को जिये।
कहते हैं कि द्वापर में कृष्ण को लोगों ने जिया त्रेता को राम ने लोगों को जिया।
हमारे लिए फक्र की बात है कि हमने उस काल को जिया जिस काल में साक्षात सरस्वती के सुर साकार सशरीर रहीं ।
स्वर कोकिला लता मंगेशकर को विजय आश्रम की विनम्र श्रद्धांजलि....
यकीनन लता जी मध्यप्रदेश सहित भारत की शान है(थी लिखना गलत है) उनका शरीर गया है,आवाज तो जब तक संसार रहेगा,तब तक उनका नाम रहेगा।
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