सोमवार, 7 फ़रवरी 2022

नया इंडिया का क्रिप्टो डेमोक्रेसी...1 (त्रिलोकीनाथ)

डिजिटल इंडिया का क्रिप्टो डेमोक्रेसी

 यानी...

 

फार दी क्रिप्टो...

 ऑफ द क्रिप्टो...

 एंड बाय द क्रिप्टो....

(त्रिलोकीनाथ)

हम देश और प्रदेश को छोड़ दें, शहडोल के प्रशासन को भी छोड़ दें... सिर्फ पालिका प्रशासन को नजर में रखें याने कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका और लगे हाथ पत्रकारिता और नरेंद्र मोदी जी की माने तो उनका  पांचवां-स्तंभ सोशल मीडिया भी इन सबका, जो लोकतंत्र है विषय विशेष में उसमें क्या लोकशाही का प्रशासन जिंदा है... क्योंकि जो पिंड है वही ब्रह्मांड है, ऐसा वेद भी कहते हैं। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखें तो, लेकिन भौतिक दृष्टिकोण से ही हम आभास करने का प्रयास करते हैं क्योंकि विज्ञान का युग है प्रमाण का युग है। तो शहडोल में एक स्वायत्तशासी शासन भी है जिसे नगरपालिका का प्रशासन भी कहते हैं। क्या यहां पर लोकतंत्र जिंदा है..? अगर है तो सिर्फ आभास क्यों होता है...? और अगर यह अपनी विकास क्रम में चल रहा है तो चलता दिखाई क्यों नहीं देता...? फिर भी प्रशासन चल रहा है... सिर्फ अजीबका पालन के लिए चल रहा है या फिर वास्तव में इससे सर्वांगीण विकास के सपने साकार हो रहे हैं...?

 और अगर यह नहीं चल रहा है जैसा की प्रमाणिक तौर पर दिखता है तो फिर भी इसे हम चलता हुआ मानते हैं। तो इस स्थिति को क्या कहा जा सकता है यह हम लगातार सोचते रहे।

 धन्य हो, वैश्विक समुदाय का जिसने दुनिया को एक करने की जद्दोजहद में मुद्रा बाजार में डिजिटल अवतार लेकर स्वयं को संज्ञा दिया क्रिप्टो करेंसी... तो पहले जान लें कि क्रिप्टो करेंसी क्या है...?अपनी छोटी भारतीय आदिवासी समझ में यह वह मुद्रा है जो आभास तो होती है कि मुद्रा है इससे पूरा कारोबार भी होता है किंतु वास्तव में यह भौतिक स्वरूप में कोई मुद्रा नहीं है तो इसे कहना चाहिए कि यह आभासी मुद्रा है... अब इसके बुनियाद पर तमाम पूंजीपति अपना भौतिक साम्राज्य विस्तार करते हैं तो इस आभासी स्थिति को क्रिप्टो कहा जाता है...।

 इस तरह इस मुद्रा का अंग्रेजी नाम क्रिप्टो-करेंसी कहलाता है। क्योंकि मुद्रा को अंग्रेजी में करेंसी भी कहते हैं और यह मुद्रा किसी आध्यात्मिक ऋषि की खोज की कोई मुद्रा नहीं है। शुद्ध धंधे का लाभ कमाने का और लूटने का मुद्रा है।  अंतर्राष्ट्रीय बाजार इस क्रिप्टो करेंसी का प्रचलन बढ़ा है।

इसी वर्ष फरवरी बजट सत्र में हमारे संसद  ने अपने अमृत कार्यकाल में जो वार्षिक बजटीय प्रसव पीड़ा मेें हमारे वित्त मंत्री महोदय ने जिस महान पुत्र को जन्म दिया है उसका नाम "क्रिप्टो-करेंसी" भी होगा। "इंडियन क्रिप्टो करेंसी" रिजर्व बैंक आफ इंडिया जारी करेगी, क्योंकि भारत का नया इंडिया, डिजिटल इंडिया भी है। इस तरह क्रिप्टो करेंसी का संसार करीब डेढ़ सौ करोड़ जनसंख्या वाले ग्राहकों के बाजार में अदृश्य होकर भारत के विकास की साक्षी बनेगी।

 इसमें एक फायदा है कि अगर सब कुछ खत्म हो गया तो यह दिखेगी भी नहीं... तो शिकायत भी नहीं रहेगी.. यानी भ्रष्टाचार बेईमानी इतनी पारदर्शी होगी कि आपको दिखेगी ही नहीं, अब कह सकेंगे कि यहां ईमानदारी से काम हुआ है। क्योंकि कोई देख भी नहीं रहा था... हम भटक जाएंगे  देश और प्रदेश को समझने में..। 


कैसे हाल में यह समझ में नहीं आया कि कब उनके "टुकड़े टुकड़े गैंग" जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से निकलकर भारत के संसद के अंदर घुस गया... क्योंकि एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब अपने राष्ट्रपति के अभिभाषण में जवाब दिया तो स्पष्ट कहा संसद में कि विपक्ष की सबसे बड़ी कांग्रेस पार्टी  "टुकड़े टुकड़े गैंग की लीडर है" और दूसरी तरफ संसद में कांग्रेस और पूरा विपक्ष इसका साक्षी रहा। तो यह भी एक प्रकार का क्रिप्टो वर्ल्ड का हिस्सा है जहां पक्ष भी है और विपक्ष भी है। सत्ता पक्ष के प्रधानमंत्री भी बोल रहे हैं और विपक्ष सुन भी रहा है । किंतु सबसे ताकतवर प्रधानमंत्री का दावा करने वाले प्रधानमंत्री साक्षात स्वयं सिर्फ कह पा रहे हैं टुकड़े टुकड़े गैंग का लीडर कॉग्रेस यहां बैठी है... संसद में और वे सब से लाचार और दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक पार्टी के 56 इंच वाले नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं ।यह भी आभास करने की चीज है क्योंकि दोनों चीज यहां पर प्रमाणित है ।यही क्रिप्टो का संसार है.. जो है किंतु नहीं है... जो नहीं है, लेकिन पूरी ताकत से है.. लेकिन कल ही तो इस नवजात "क्रिप्टो" का जन्म संसद में हुआ था आज यह पूरी तरह से छा गया.. विकास की यह रफ्तार चकाचौंध कर देने वाली है..     (जारी भाग 2)



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