शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2022

दिखाने के दांत बने आदिवासी नेता..?

क्या दिखाने के दांत हैं आदिवासी प्रतिनिधि..?

शोषण और दमन का


दूसरा नाम है

केवल आदिवासी 

मनीषा और मीना से निराश है केवल आदिवासी

(विशेष रिपोर्ट)

यह भी संयोग है की प्रदेश कैबिनेट के आदिवासी मंत्री मीना सिंह के उमरिया जिले मे नौरोजाबाद विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं और इसी विधानसभा क्षेत्र मे भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश महामंत्री मनीषा सिंह का जन्म हुआ और वह जैतपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी हैं और उस परिवार की बहू है जिनके ससुर स्व. भगवानदीन वर्षों विधायक बन कद्दावर नेता कांग्रेस के अर्जुन सिंह के खास रहे ।

बावजूद इसके इतनी सारी उपलब्धियों के अपने क्षेत्र के केवल आदिवासी न्याय दिला पाने में उतने ही दलित और पिछड़े सोच के परिवेश में जी रहे हैं जितना कि केवल सिंह आज भी सूदखोरी के में सूदखोर उमेश सिंह और नरोजाबाद पुलिस प्रशासन की जाल में फंसा हुआ है।


इन सबके अलावा केवल सिंह का यह भी दावा है कि दोनों ही नेता उनके नजदीक हैं आदिवासी मंत्री मीना सिंह तो उनकी रिश्तेदार है। तो भी कोयला खदान  में जीवन भर काम करने के बाद पूरी कमाई वह सूदखोर उमेश सिंह को 17 लाख रुपए लूट लिया है और जब नरोजाबाद थाने में अपनी जागरूकता से रिपोर्ट किया तो थाने वालों ने मिलीभगत करके उसका समझौता करा दिया। कोई तीन चार लाख रुपए में । अब पुलिस और प्रशासन उसे ही दोष देता है, तुमने समझौता कर लिया है अब कुछ नहीं हो सकता।

 तो यह उच्च स्तर पर बैठे हुए आदिवासियो के जनप्रतिनिधि चाहे मीना सिंह हो अथवा मनीषा सिंह; क्या यह मिट्टी के शेर हैं...? जो अपने क्षेत्र के केवल आदिवासी को न्याय दिला पाने में फेल हो रहे हैं। अथवा सत्ता के नशे में आंख मूंदकर आदिवासियों के शोषण और दमन का आनंद ले रहे हैं। जैसा अक्सर सत्ता में बैठा हुआ कोई भी व्यक्ति तत्काल जमीनी हकीकत से मुंह मोड़ने लगता है ।क्योंकि आदिवासी मंत्री मीना सिंह को केवल आदिवासी ने बार-बार संपर्क किया जबकि मनीषा सिंह के पिता ध्यान तिलक सिंह ने अपनी पूरी ताकत लगाकर केवल सिंह को न्याय दिलाने का काम किया किंतु वह भी शोषणकारी व्यवस्था में कठपुतली बनकर रह गए। तब तो सवाल उठेगा ही आदिवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाला जनप्रतिनिधि आखिर किस काम के हैं...?

 क्यों केवल आदिवासी को एक दशक से अकेला लुटा पिटा होने के लिए छोड़ दिया गया है..? केवल सिंह का मामला अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के समक्ष पिछले 3 वर्ष से लंबित है बावजूद इसके वयोवृद्ध केवल सिंह सत्ता के चाल चरित्र और चेहरे के मुखोटे में अपनी संभावनाओं को ढूंढता हुआ जीवन के अंतिम क्षण तक युद्ध करने को तत्पर है देखना होगा मनीषा और मीना सिंह की जोड़ी केवल आदिवासी को मरते दम तक क्या न्याय दिला पाती है..?


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