शनिवार, 26 फ़रवरी 2022

ये दुनिया नहीं, जागीर किसी की: प्रभारी मंत्री



ये दुनिया नहीं...,
  जागीर किसी की...
प्रभारी मंत्री 
रामखेलावन पटेल 

(त्रिलोकीनाथ )
अब कारण चाहे जो भी रहा हो, शिवराज सिंह का कार्यक्रम रोजगार दिवस संपन्न हुआ। उन्हें करीब 45 मिनट शहडोल में रहना था उन्होंने 2 घंटे से ज्यादा का वक्त शहडोल में गुजारा और लोगों की समस्याओं को सुना। और दुनिया में 45 दिन के अंदर दोबारा 5लाख लोगों को रोजगार देने का आश्चर्यजनक किंतु सत्य का चमत्कार कर दिखाया ।जैसा कि भाजपा मंत्री वीरेंद्र कुमार सकलेचा ने इसी मंच में इसे घोषित किया था।
 बावजूद इसके शहडोल की जनता शायद अपनी शिकायत में अपने प्रिय मुख्यमंत्री के समक्ष लगातार रखनी रही और प्रभाव मुख्यमंत्री जी अपने गोद लिए हुए शहडोल को गंभीरता से सुनते रहे उनके जाने के बाद प्रभारी मंत्री सर्किट हाउस में करीब 5 बजे भोजन किए यह भोजन करने की बात की खुमारी थी पिया थकान का पल था यह तो वही जाने किंतु जब उनके कमरे में कुछ महिला कार्यकर्ता मिलने आई तो उन्होंने दो अलग-अलग गुलाब के बुके कार्यकर्ताओं से लिया मनीषा सिंह ने परिचय कराया और वे काफी देर तक चुप रहे फिर बड़ी गंभीरता से अपने मुख से गुनगुनाते हुए यह शब्द निकालें..

" यह दुनिया नहीं, 
   जागीर किसी की... 
  2 दिन का मेहमान बना है
  जग का ठेकेदार
 कुछ तो आकर चले गए
 कुछ जाने को तैयार 
यह दुनिया नहीं, जागीर किसी की..."

हम भी जिला पंचायत शहडोल में अनूपपुर निवासी एक विकलांग आदिवासी युवती की दर्दनाक कहानी लेकर प्रभारी मंत्री से मिलने गए थे ।क्योंकि जिला पंचायत शहडोल में अधिकारियों ने मिलजुल कर विकलांग आदिवासी युवती को इस तरह प्रताड़ित किया कि वह रोजगार दिवस के पूर्व ही जहर खाकर आत्महत्या कर का प्रयास की थी। उसे समय रहते बचा लिया गया ।युवती गायत्री धुर्वे जिला पंचायत शहडोल में कंप्यूटर ऑपरेटर है ।अपने मनपसंद की कंप्यूटर ऑपरेटर को रखने के चक्कर में कोई राहुल सक्सेना और श्रीवास्तव नाम का अधिकारी उसे नौकरी से लगभग हटा दिया था ।
गायत्री हाईकोर्ट गई उच्च न्यायालय ने जिला पंचायत को नौकरी पर रखने का निर्देश दिया ।बावजूद इसके उच्च न्यायालय के आदेश को लेकर वह दर-दर ठोकरें खा रही थी ।विकलांगता के बावजूद वह मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रही थी ।क्योंकि जिला पंचायत शहडोल अथवा जनपद सोहगपुर में पद रिक्त होने के बाद भी उसे गोहपारू जनपद में नियुक्ति दी जबकि निर्देश जिला पंचायत में रखने के थे ।
अंततः वह अधिकारियों की प्रताड़ना को बर्दाश्त नहीं कर पाई और जहर खाकर आत्महत्या कर समस्या का निवारण करने का हल निकाल दिया ।कहते हैं मृत्यु पूर्व बयान में इस बातों का उल्लेख हुआ है ।गायत्री के अनुसार उसे कई अधिकारियों ने मिलकर हटाने का प्रयास किया है ।जबकि वह अपनी पूरी क्षमता से जिला पंचायत में सेवाएं दे रही थी ।
इस पीड़ा की जानकारी रोजगार दिवस में सभा स्थल पर मिलने पर  इसलिए भी क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी से जब हम मिल रहे थे तो साथ में चल रहे प्रभारी मंत्री पटेल जी ने आश्वासन दिया था कि आप हमसे मिले। मुख्यमंत्री जी ने हमें कहा इतना विस्तार से सुनने का समय नहीं है। हमें भी लगा उचित है प्रभारी मंत्री जी इसे गंभीरता से लेंगे ।
इस तारतम्य में हम प्रभारी मंत्री जी से मिलने सर्किट हाउस पहुंचे थे और  कथा भी उन्हें सुनाई कि कैसे आदिवासी जिले में आदिवासी विकलांग युवती प्रताड़ना की शिकार है । वह कोई निर्णय ले पाते की भाजपा की भीड़तंत्र दो महिला कार्यकर्ता एक एक गुलाब का बुके लेकर उनका अभिनंदन करने पहुंची थी। और अभिनंदन स्वीकार करने के बाद उन्होंने कुछ इस अंदाज में अपनी बात कही "ये दुनिया नहीं, जागीर किसी की....."
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी मिली है और वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा अपनी क्षमता के अनुसार।
प्रभारी मंत्री जी का यह स्वरूप देखकर हम चिंतन मनन कर ही रहे थे कि आखिर क्या हुआ कि उन्हें दुनियां से इतनी रुसवाई हो गई।
 तभी जिलाध्यक्ष कमल प्रताप सिंह वहां आए और भाजपा की भीड़ तंत्र सहित सबको कहा मुझे कुछ बात करनी है आप सब लोग सभा कक्ष में चलें क्योंकि उन्हें कुछ गोपनीय बातें करनी थी वे  एकांत चाहते थे।
 शायद उन्हें एकांत में कुछ गंभीर बातें करनी है हमने भी उनके एकांतवास को तवज्जो दिया और मंत्री जी के कक्ष से रुखसत हो लिए। किंतु उनका गाने का यह अंदाज जो फिल्म चौकीदार से चरित्र नायक ओमप्रकाश द्वारा गाया गया थाबेहद पसंद आया ।
ओमप्रकाश और रामखेलावन पटेल में हमें बहुत अंतर नहीं लगा। दिमाग से बातें नहीं निकल रही थी इसलिए लिख डाला। शायद रिलीज हो जाए। क्योंकि भाजपा का अपना एक रहस्य लोक है ज्यादा दिमाग भी लगाने की जरूरत नहीं है ।एकांत का मतलब ,एकांत और कुछ नहीं होता ।
आशा करनी चाहिए जहर खाकर अधिकारियों से प्रताड़ित हुई विकलांग युवती गायत्री धुर्वे को उच्च न्यायालय के संरक्षण में न्याय मिल पाएगा क्योंकि जीवन तो बच गया है और जो घेराबंदी करके उसे प्रताड़ित कर रहे थे अपने स्वार्थ के लिए उन्हें भी कोई दंडित किया जाएगा।



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