मामला कंचनपुर शिक्षा परिसर में दागी की नियुक्ति का
गांव बसा नहीं ,लुटेरे आ गए..
वैसे तो शहडोल का आदिवासी विभाग अपनी पारदर्शी भ्रष्टाचार प्रणाली के लिए जग जाहिर होता जा रहा है अप्रत्यक्ष तौर पर ही सही भ्रष्टाचारियों का एक ग्रुप वर्षों से मालदार पदों पर निशकंटक राज चला रहे हैं। एक शिकायत में न्यायालय से दंडित विक्रम सिंह को कन्या शिक्षा परिसर से हटाए जाने की बात कही गई है ऐसे में थोड़ा आश्चर्य जरूर होता है कि कंचनपुर में करोड़ों रुपए के निर्माण से होने वाले कन्या परिसर का
अभी विधिवत संचालन भी नहीं चालू हुआ और वहां पर किसी सजायाफ्ता को कन्या परिसर को अप्रत्यक्ष तौर पर कंट्रोल करने के लिए बैठा दिया गया ।जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी को संभवत: आगामी हफ्ते में उस कन्या परिसर का शुभारंभ किया जाना है ।
कहा जा सकता है कि "गांव बसा नहीं और लुटेरे आ गए" इसी तर्ज पर कथित तौर पर न्यायालय से दंडित एक शिक्षक विक्रम सिंह को कंचनपुर का या कन्या परिसर में संभालने की जिम्मेदारी दे दी गई।
करोड़ों रुपए के इस विशालकाय कन्या शिक्षा परिसर में क्या यह पारदर्शी-भ्रष्टाचार का नवजात प्रयोग किया जा रहा है.... क्या कुछ नए भ्रष्टाचार के जरिए कन्या परिसर की शुचिता को बदनाम करने का भी प्रयास किया जा रहा है... जिससे उस पर दाग लगा कर भ्रष्टाचारियों का पनाहगाह बना दिया जाए और जिस बड़े सपने को लेकर आदिवासियों के शैक्षणिक विकास का भविष्य देखा गया है उसे बदनामी और दागदार बनाकर विवादित बना दिया जाए...? अन्यथा न्यायालय से दंडित किसी विक्रम सिंह को आखिर क्यों वहां पर नियुक्त किया गया है।
हो सकता है उसका दावा सही हो कि उसने उच्च न्यायालय में अपील कर रखी है अपने को पाक साफ होने के लिए किंतु अगर वह दंडित है तब तक उसे कन्या शिक्षा परिसर जैसी पवित्र शैक्षणिक परिसर में प्रवेश ही क्यों दिया गया, यह बात बहुत महत्वपूर्ण है। इस दृष्टिकोण में आखिर जिम्मेदार लोगों ने ऐसे लोगों को कन्या शिक्षा परिसर से अछूत बनाने का काम क्यों नहीं किया है इससे उस परिसर में रहने वाली आदिवासी छात्राओं को मनोबल में क्या यह प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा कि जो व्यक्ति उसके इर्द-गिर्द है वह न्यायालय से दागदार है?
अथवा आदिवासी विभाग में निष्पक्ष और पवित्र चरित्र के लोगों का इतना आभाव हो गया है कि उन्हें ऐसे कर्मचारियों नहीं मिल रहे हैं जो इन गंभीर शिक्षा परिसर को अपने नैतिक चरित्र से प्रकाशित करने की शिक्षा दे सकें।
और यह बात तब तक होती ही रहेगी जब तक आदिवासी विभाग में दागदार चरित्र के लोग विभाग के संचालन में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष अपना नियंत्रण बनाए रखेंगे जिसमें पारदर्शी-भ्रष्टाचार का चेहरा पूर्व प्रभारी सहायक आयुक्त के रूप में जिले के सभी शैक्षणिक परिषद से अपने भ्रष्टाचार को नियंत्रित करता रहेगा। तब तक विक्रम सिंह जैसे लोग चिन्हित तरीके से चारागाह के रूप में अपनी भूमिकाएं चलाते रहेंगे।
फिर चाहे प्रदेश का मुख्यमंत्री उस का शुभारंभ करने आने वाले हो इससे फर्क नहीं पड़ता । क्योंकि पहले भी शिवराज सिंह मुख्यमंत्री बन कर आए थे और कल मनिया में मंडल संयोजक एमएस अंसारी को दागी बना कर चले गए थे इसके बाद जैसा उसका भविष्य सुनहरा हो गया हो अंततः कोई तृतीय वर्ग कर्मचारी कैसे करोड़ों रुपए का आहरण कोषालय अधिकारी के साथ मिलकर गैर कानूनी तरीके से किया यह सब ने देखा । इसी तरह जैसा कि जैसीहनगर के वायरल वीडियो में बीआरसी ब्रह्मानंद ने अपने ब्रह्म वाणी में शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार की गाथा गाते गाते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी उस में लपेट लिए थे ।क्योंकि ऐसे लोगों को मालूम है हमारा जन्म ही भ्रष्टाचार समाज में हुआ है और हमारे उच्चाधिकारी इसे संरक्षित करने का ठेका ले रखें और यही कारण है की पूरी निर्भीकता से कंचनपुर की कन्या शिक्षा परिसर में कंचन बटोरने के चक्कर में विक्रम सिंह अपनी वीरता दिखाने पहुंच गए..?
आशा करनी चाहिए कर्तव्य परायण कुशल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के आने के पहले तक कन्या शिक्षा परिसर को भ्रष्टाचार मुक्त नैतिक चरित्र बल से संजो कर रखा जाए। फिर तो भ्रष्टाचारियों का राम-राज चलना ही चलना है....।
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