बुधवार, 9 फ़रवरी 2022

नया इंडिया का क्रिप्टो-डेमोक्रेसी...2 (त्रिलोकीनाथ)

कामदेव का हुआ था क्रिप्टो-अवतार 


क्रिप्टो होते हमारे तालाब 

शहडोल पालिका मे भी है

क्रिप्टो-प्रशासन....


 (त्रिलोकीनाथ)

हमारी पुरानी लोकधार्मिक कथा मे जब भगवान शंकर तपस्या में लीन थे तो उन्हें तपस्या भंग करने के लिए कामदेव ने रती के साथ अपने तमाम अभिनय के साथ नृत्य किया ताकि भगवान शंकर कामदेव के वशीभूत हो किंतु इससे परेशान होकर अंततः जब उनकी चेतना जागृत हुई तो तीसरा नेत्र खुला जिससे क्रोध अग्नि प्रकट हुई और कामदेव को जलाकर भस्म कर दिया। फिर रति के अनुरोध  क्षमा याचना पर कृपाशंकर भगवान भोलेनाथ ने उसे पुनर्जीवन दिया। किंतु कामदेव को शरीर नहीं दिया। वे यानी कामदेव अदृश्य स्वरूप में जीवित हुए। वह देख तो रहे थे, किंतु दिख नहीं रहे थे। कुछ इसी तर्ज पर अमृतकाल का भारतीय संसद का बजट सत्र अपने कामदेव याने भारतीय मुद्रा को पैदा करने का प्रयास किया उसका नाम दिया गया क्रिप्टो करेंसी। तो अब भारतीय बाजार में क्रिप्टो करेंसी जन्म लेकर पूरे भारत में नाचेगी और कालाधन के रूप में दुनिया में नया परचम भी लहराएगी...  ऐसा भी मानना चाहिए।


 क्योंकि जहां धन है, मुद्रा है वही कालाधन है। क्रिप्टो करेंसी भी होगी ऐसा हम अपने अध्यात्मिक कथाओं के कामदेव से निकलकर कलयुग मे क्रिप्टो करेंसी में आ पहुंचे हैं। क्योंकि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का अमृतकाल चल रहा है।

 क्रिप्टो की दुनिया में देश और प्रदेश की छोड़ें क्योंकि हम भटक जाएंगे। पालिका प्रशासन शहडोल पर तब तक ही सीमित रखें तो समझ में आएगा कि कहां-कहां अमृतकाल तक पहुंचने में हमने क्रिप्टोप्रशासन के नजरिए से स्वयं को चिन्हित किया है....। तो सबसे पहले शहडोल के तालाबों के विकास क्रम को नजर में रखना होगा जो आभाष तो कराते हैं कि वह तालाब हैं किंतु शासन और प्रशासन उन्हें तालाब नहीं मानता। ऐसा ही एक तालाब हमने भी खोजा।

 इसे क्रिप्टो-टैंक कहा जा सकता है। जेल भवन के बगल में स्थापित एक तालाब को विनाश होने की गारंटी से बचाने के लिए इसका जीर्णोद्धार


तबके पर्यावरण मंत्री इंद्रजीत पटेल ने करीब 20 साल पहले करवाया था। संभवत: 10लाख रुपए करीब शासन के खर्च हुए थे। इस तालाब के अंदर नगर पालिका प्रशासन ने आज एक प्रधानमंत्री आवास का एक मकान भी बनवा दिया है। क्योंकि उसे मालूम है कि यह तालाब क्रिप्टो-तालाब है। जो तालाब तो है किंतु सरकारी रिकॉर्ड में यह तालाब नहीं है। यह सिर्फ एक प्लाट है। ऐसा नजूल विभाग मानता है। इसलिए इसके आसपास निर्माण कार्य होते रहते हैं। क्रिप्टो-तालाब की तरह है।

 शहडोल पालिका प्रशासन में कुछ नदी-नाले भी हैं जिन्हें क्रिप्टो नदी-नाला कहा जा सकता है। पालिका का आभासी-प्रशासन यानी क्रिप्टो-एडमिनिस्ट्रेशन ऐसे नदी नालों को खारिज करता है जो भौतिक रूप में विद्यमान हैं।


इसलिए वहां पर बकायदे निर्माण की परमिशन दे दी जाती है। और निर्माण कार्य, कालोनियां मकान बनते रहते हैं। कई तालाबों के अंदर प्रधानमंत्री आवास भी बन रहे हैं क्योंकि भौतिक रूप में तो वहां तालाब नदी नाले थे या बचे कुचे हैं अभी किंतु पालिका प्रशासन के बंद आंख वाले लोग कैसे तालाबों, नदी-नालों का आभास नहीं करते।

 क्योंकि पालिका परिषद से जुड़े लोग और पालिका प्रशासन से जुड़े लोग भी कभी भी इन नदी नालों में शौच के लिए नहीं गए और ना ही नहाए-धोए हैं तो जब तक उनका शरीर या उनके परिवार का शरीर ऐसे नदी नालों के जिंदा होने को महसूस नहीं करता तो वह इन्हें क्रिप्टो नदी-नाला, तालाब मानकर खारिज कर देते हैं। कि वे हैं जरूर , लेकिन नहीं है। क्योंकि सरकारी रिकॉर्ड में हम उन्हें खारिज करते हैं। इसलिए वहां पर अनुमति दे दी जाती।

 क्योंकि क्रिप्टो-एडमिनिस्ट्रेशन चलाने वाले नेता अधिकारी कर्मचारियों को मालूम है कि शहडोल नगर को जब कभी पानी की जरूरत होगी तो यह आसमान से तो पाइप लगाकर पानी की सप्लाई कर लेंगे। जैसे प्रधानमंत्री भगवान बन कर के  हर घर में नल के जरिए पानी पहुंचाने की कल्पना साकार हो रही है। अपने मनुष्य होने का ताकत का आभास होने प्रशासनिक पकड़ को मजबूत करता है। फिर 3 साल ही तो नौकरी का सीमित जीवन है। इसी में लूटना-खाना है इसी में अजीबका चलाना है। नेताओं की माने तो 5 साल का जीवन होता है। क्योंकि फिर नए चुनाव कराने पड़ते हैं तो इस तरह क्रिप्टो प्रशासन में विकास चलता रहता है। भारत के अमृत काल के संसद में इस नवजात क्रिप्टो-करेंसी  का शिशु जब विकास पुरुष बन गतिमान होगा उसका साकार स्वरूप हम स्थानीय प्रशासन की शहडोल इकाई के रूप में टेस्ट करते ही रहेंगे। क्रिप्टो करेंसी के पहले ही गौरवशाली हमारा  यह तो उदाहरण था आगे और भी रास्ते हैं। हम आभास करते रहेंगे कि कहां नदी थे कहां नाले हैं कहां तालाब है और हम हैं या नहीं भी हैं।

 कर्तव्यनिष्ठ और समर्पित कार्यपालिका में बहुसंख्यक इमानदार समाज के अलावा भी उपलब्ध जिम्मेदार लोग मानते हैं क्योंकि लूट सके तो लूट का लोकतांत्रिक बाजार का जीवन सीमित है। और लुटेरे भी सीमित जीवन काल के लिए आते हैं। शहडोल में प्रदूषण निवारण बोर्ड का वृत्त कार्यालय के सात परदे के अंदर बैठा अधिकारी भी आंख मूंदकर ऐसा ही देखता है बाकी सब कुछ सास्वत है इसलिए भलाई हम साकार देवी लक्ष्मी को मुद्रा में देखते थे सोने चांदी धन-संपत्ति में देखते थे अब निराकार हो रही हैं उनका इस्लामी कर रहा हो रहा है तो इस्लामीकरण भी एक प्रकार का क्रिप्टो करना है। क्योंकि इस्लाम में अल्लाह का कोई आकार नहीं है। फिर भी इस्लाम है।  यह भारतीय बाजार का क्रिप्टो करण है। ऐसा मानकर चलना चाहिए ।हम शहडोल में देखते रहेंगे क्रिप्टो संसार कहां-कहां नाचता है  क्योंकि नया इंडिया का यही नया अवतार है नया इवेंट भी....       (जारी 3..)



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