बुधवार, 12 जनवरी 2022

मामला प्रभारी मंत्री की निर्देश फेल होने का

मोहनराम पांडे के वंशज सूरज की तपिश पर भ्रष्टाचार का छाया ...

पारदर्शी-भ्रष्टाचार को प्रमाणित करता प्रभारी मंत्री का पत्र भी नहीं दिला पाया न्याय...?

 शहडोल । शहडोल का गौरव रहे मोहनराम मंदिर ट्रस्ट मामले में 30 सितंबर 2021 को शहडोल के


प्रभारी मंत्री रामखेलावन पटेल ने एसडीएम सोहागपुर को पत्र लिखकर निर्देश दिया था कि हाईकोर्ट के आदेश का पालन किया जाए। 3 माह बीत जाने के बाद प्रभारी मंत्री की धार्मिक-माफिया के सामने दम तोड़ता हुआ नजर आ रहा है क्यों कि अभी भी हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं हो सका है..।

 आदिवासी संभाग में यह बात अब स्पष्ट हो चली है की पारदर्शी-भ्रष्टाचार की ताकत में अगर धर्म के अफीम का नशा चढ़ जाता है तो वह कितना खतरनाक हो सकता है...। यह वही धार्मिक माफिया है जिसस कभी प्रशासन ने ही दवाब देकर एक तरफा प्रभार दिलाने का काम किया था।

 अब जबकि एक कानून भी बन गया है की सरकारी अथवा निजी संपत्ति को यदि क्षति पहुंचाई जाएगी तो उसकी वसूली की जा सकती है


किंतु करोड़ों रुपए मोहनराम मंदिर ट्रस्ट में गैर कानूनी तरीके से सरकारी धन लगने के बाद भी उसमें मोहनराम पांडे के द्वारा दी गई अरबों रुपए की प्रॉपर्टी  के साथ अब सरकारी धन की भी क्षति सिर्फ इसलिए हो रही है क्योंकि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करा पाने पर शहडोल प्रशासन, धार्मिक-माफिया के सामने नतमस्तक हो गया है। प्रभारी मंत्री रामखेलावन पटेल के पत्र ने सिर्फ इसे प्रमाणित किया है।

 बहरहाल हिंदू सनातन धर्म पर हमें गर्व हो या चाहे ना हो किंतु पारदर्शी-भ्रष्टाचार करने वालों को क्यों गर्व से कहना चाहिए कि वह हिंदू हैं..? इस पर नजर डालें। प्रभारी मंत्री श्री पटेल के पहले सोहागपुर के अनुविभागीय दंडाधिकारी धर्मेंद्र मिश्रा  ने भी


दिनांक 22.10.2019 को एक पत्र जारी करके यह प्रयास किया था कि हाईकोर्ट के आदेश 2012 का पालन हो जाए किंतु वह भी नहीं हुआ। क्योंकि धर्म का नकाब पहने पारदर्शी-भ्रष्टाचारी समूह  ने एसडीएम का निर्देश मानने से इनकार कर दिया। इतना ही नहीं वह समय-समय पर तहसीलदार और एसडीएम को चुनौती भी देता है कि उसे अगर छेड़ा गया तो उसकी नौकरी जा सकती है।

 इसके पूर्व भी स्वर्गीय मोहनराम पांडे के वयोवृद्ध प्रपौत्र हरप्रसाद पांडे प्रशासन से यह कहते-कहते जीवन त्याग दिए कि हाईकोर्ट के आदेश का पालन करवा दीजिए। अपने जीवन काल में उन्होंने कई बार एसडीएम से मिलकर मंदिर ट्रस्ट का प्रभार धार्मिक-माफिया से छिना कर हाईकोर्ट के निर्देशित "स्वतंत्रकमेटी" को सौंपने की बात कही थी। किंतु क्योंकि धार्मिक माफिया इस मंदिर में लूटपाट और भ्रष्टाचार की तमाम सीमाएं तोड़ चुका है। और उसे डर है कि उसकी पोल ना खुल जाए.. इसलिए सत्ता के संरक्षण में धर्म का नकाब पहनकर गैरकानूनी तरीके से मंदिर के अंदर बैठकर मंदिर ट्रस्ट को लगातार क्षति पहुंचा रहा है । कभी मंदिर की मूर्तियां तोड़कर, कभी मंदिर को पुनरुद्धार के नाम पर करोड़ों का दान मांग कर, तो कभी नई दुर्गामूर्ति स्थापित करने के नाम पर, और कभी मंदिर ट्रस्ट कि शहडोल स्थित आराजी खसरा नंबर 133 नंबर कि 38 डिसमिल जमीन फर्जी तरीके से पटवारियों को मिलाकर फर्जी ट्रस्ट के नाम से परिवर्तन करा कर पारदर्शी भ्रष्टाचार का नंगा नाच करता रहा है । इसी तरह कई अज्ञात भ्रष्टाचार कर वह अब शहडोल व सतना व अन्य जगह में जमीने भी खरीद कर स्थापित हो रहा है

अब हरप्रसाद पांडे जी के ना रहने के बाद उनके वंशज अमरपाटन निवासी सूरज सनाढ्य ने प्रभारी मंत्री रामखेलावन पटेल से जब अपने पूर्वजों की निजी संपत्ति से निर्मित मोहनराम ट्रस्ट में पारदर्शिता लाने के लिए अपने क्षेत्र के विधायक शहडोल के प्रभारीमंत्री रामखेलावन पटेल  से गुहार लगाई तब प्रभारी मंत्री श्री पटेल  ने पत्र लिखकर इस पर कार्यवाही की बात कही थी।


जो फिलहाल धार्मिक माफिया के दबाव में असफल होती हुई दिखाई देती है ।शहडोल में पारदर्शी-भ्रष्टाचार का यह गत एक दशक का सबसे बड़ा प्रमाण भी है। जहां ना तो उच्च न्यायालय की बात सुनी जा रही है और ना ही प्रभारी मंत्री की..?

 देखना होगा स्वर्गीय मोहनराम पांडे के वंशज अपने पूर्वजों  की आस्था का प्रतीक शहडोल स्थित मोहनराम मंदिर ट्रस्ट को प्रभारी मंत्री, शासन व प्रशासन की ताकत से भी मिलकर धार्मिक माफिया से बचा पाते हैं या नहीं....? तब जबकि हाईकोर्ट की न्याय की मंशा भी न्याय हित में संपूर्ण प्रभार "स्वतंत्र-कमेटी" को सौंपने की बात कहती हो ...?


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