बुधवार, 12 जनवरी 2022

भीड़तंत्र की भेड़चाल का भारत

कोरोना प्रभावित

आंकड़े बड़े या

 राजनीतिक पार्टियों की रैली के आंकड़े

(त्रिलोकीनाथ)

संवेदनहीनता को कुचलता हुआ बुधवार को 1 दिन का सबसे बड़ा कोरोना प्रभावित लोगों का आंकड़ा सामने आया है जनसत्ता समाचार के अनुसार यह आंकड़ा दो लाख को पार कर गया है


इसमें हमारे भारत की राजनीतिक पार्टियों की हिस्सेदारी जबरदस्त रही होगी। क्योंकि उन्हें बिल्कुल चिंता नहीं है कि कोरोनावायरस से सतर्कता की सभी व्यक्तिगत और सार्वजनिक संदेशआत्मक उपाय किए जाने चाहिए।

 सत्ताधारी राजनीतिक पार्टियों ने सत्ता की लूट में जमकर सरकारी पैसे से व संसाधन का दुरुपयोग कर भारत में भीड़ की भेड़चाल को इकट्ठा किया तो दूसरी राजनीतिक पार्टियों ने इसी प्रतियोगिता में अपनी लोकप्रियता सिद्ध करने के लिए तन मन धन लगाकर भीड़तंत्र की भेड़ चाल में अपने वोट बैंक को तलाशने का काम किया। उन्हें इस बात की शायद बिल्कुल परवाह ही नहीं रही कि इन सब के ऊपर कोविड-19 महामारी का वायरस अपनी ताकत का जो है प्रभाव दिखाएगा वह राजनीतिक पार्टियों की औकात  को जमीन पर ला देगा।

 अभी तो यह शुरुआत है। कहते हैं , महामारी का चरम आने में कई दिन बाकी हैं किंतु प्रकाशित समाचार में 1 दिन का आंकड़ा दो लाख को पार कर गया है जो भयानक तम कहा जाना चाहिए। यही रफ्तार रही और खुदा ना खस्ता जैसा कि नए सूत्र बतला रहे हैं ओमीक्रान वायरस अगर डेल्टा वायरस के साथ किसी व्यक्ति को प्रभावित करता है तो वह ज्यादा खतरनाक होता है यानी कोविड-19 ने भारत की भीड़तंत्र के भेड़चाल राजनीतिज्ञों को उसकी कमजोरी का पूरा फायदा उठाते हुए भारत की भीड़ को प्रयोगशाला के रूप में प्रभाव डाल सकता है। और कई नई वैरीअट के रूप में सामने आ सकता है ।अगर भगवान भरोसे चलने वाली स्वास्थ्य कार्यप्रणाली को ध्यान रखें तो कोविड-19 के दूसरी  लहर के परिणाम कहीं बहुत पीछे छूट जाएंगे। 

क्या इसका अनुमान राजनीतिक सत्ताधारी दल लगा पा रहे हैं..? अगर आदिवासी क्षेत्र में बैठे हुए हम पिछड़े स्तर के पत्रकार सोच पा रहे हैं तो वह सब कुछ जानते हैं यह स्पष्ट है। फिर भी बयानबाजी के निम्न स्तरीय इवेंट के जरिए जनता को कोरोनावायरस की भयानक स्थिति से सतर्क करने की बजाय चल महामारी की आंधी में शुतुरमुर्ग की तरह सिर रेत में घुसेड़ देने की कला से स्वयं को सुरक्षित होने के शेखचिल्ली का सपना भारत की जनता  को कहां ले जाएगी.. कुछ कहा नहीं जा सकता है ।

शायद यही 21वीं सदी का रामराज्य है अन्यथा जहां सभी राजनैतिक दलों को राष्ट्रीय सरकार बनाकर महामारी समस्या से निपटाने का सामूहिक संदेश देना चाहिए वही भेड़ चाल के जरिए भारत के भविष्य को भयानक अंधेरे की ओर ले जाने में भी जरा सा संकोच नहीं दिख रहा है। क्या यही भारत का भविष्य बनेगा ईश्वर ना करें कोविड-19 अपने नए-नए रूप में भारत को लाशों का ढेर तंत्र में बदल न दे...? अब तो भगवान भरोसे ही जीना चाहिए और स्वयं की रक्षा अपने लोक ज्ञान से करने का प्रयास करना चाहिए। शायद ,यही कड़वा सत्य होता जा रहा है....। अगर कोविड-19 की प्रतिदिन की रफ्तार यूं ही लाखों से बढ़कर करोड़ों तक पहुंच गई तो...



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