गुरुवार, 13 जनवरी 2022

उल्टे बांस बरेली को... (त्रिलोकीनाथ)

मामला यूपी के बीजेपी का

उल्टे बांस....

रेली को


(त्रिलोकीनाथ)

इसे "गंगा उलटी दिशा में बहना" कहना उचित नहीं होगा, क्योंकि गंगा की पवित्रता पर प्रश्न चिन्ह लग गया है.. वह एक बड़ी प्रदूषित नदी की तरह हो गई है। उसकी अपनी एक परिभाषा है। लेकिन "उल्टे बांस बरेली में" बांस की परिभाषा अभी तक स्पष्ट नहीं है। और राजनीति भ्रम का धुआं मात्र है। इसलिए उत्तरप्रदेश के हिसाब से "उल्टे बांस बरेली को" कहना उचित होगा ।

 


यह "नया इंडिया" की राजनीति में यह पहली बार हो रहा है जब कॉर्पोरेट इंडस्ट्री की तरह राजनीति करने वाली भारतीय जनता पार्टी की आउट सोर्स के  समर्पित वर्कर, जॉब छोड़ कर, नया जॉब ढूंढने जा रहे हैं। उन्हें समाजवादी पार्टी के आधुनिक समाजवाद मे जॉब की गारंटी दिख रही है। अन्यथा जब से कॉर्पोरेट पॉलिटिक्स का चेहरा बनी भारतीय जनता पार्टी ने अपना नया रूप राजनीति के सामने 2014 के बाद लाया है अपने सभी पुराने मापदंडों को मार्गदर्शक मंडल में मूर्ति की तरह स्थापित करने के बाद, तब के बाद से यह पहला अवसर है कि भाजपा को तमाम महारथियों के जमीनी स्तर पर केंद्रित होने के बाद भी मोहभंग से भगदड़ का सामना करना पड़ रहा है।

पिछले 3 दिन से प्रतिदिन एक ना एक मंत्री भाजपा की सदस्यता नहीं, मंत्रिमंडल छोड़कर ऐसे बेआबरू हो रहा है जैसे कह रहा हो मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है और समाजवाद का बचा कुचा चेहरा लिए समाजवादी पार्टी फूल कर फुलौरी हो रही है क्योंकि भाजपा का माने तो सभी गंदे लोग बाहर निकल रहे हैं। तो उनके अनुसार गटर का पानी है  समाजवाद के टैंक में जा रहा है।

समाजवादी प्रणेता डॉक्टर राम मनोहर  लोहिया की माने तू जिंदा कौम है 5 साल इंतजार नहीं करती, इसी को परिभाषित करने वाले इसमें प्रमुख चेहरा बना पहला बागी स्वामी प्रसाद मौर्य (बीजेपी के योगी सरकार में रोजगार मंत्री )की एक स्थानीय अदालत में गिरफ्तारी वारंट भी जारी हो गई है यही कॉरपोरेट पॉलिटिक्स का खतरनाक चेहरा भी है। की वन मैन पॉलिटिक्स की गुलामी अगर बर्दाश्त नहीं होगी तो जेल में जगह सुरक्षित रखी जाएगी। अन्यथा बिचारा गिरफ्तारी वारंट इतने दिनों तक यूं ही इंतजार करता रहा मौर्य जी का।

 बहरहाल अब तक तमाम कलंकित और अपवित्र लोगों को पवित्र व्यक्ति होने का सर्टिफिकेट देने वाली


भारतीय जनता पार्टी से निकले करीब 3 मंत्री और 10 विधायकों की टोली ने भाजपा की राजनीति-अपवित्रता से अपने को पवित्रता और सुकून तथा शांति की राजनीति के लिए आधुनिक समाजवाद में अपनी संभावना तलाशी है। उन्हें लगता होगा उत्तरप्रदेश में अब मौसम का अनुमान समाजवाद के पक्ष में है।

 पहले यह काम समाजवादी आंदोलन से निकले रामविलास पासवान का होता था। जहां बम वहां हम ।और वे अक्सर सत्ताधारी पार्टियों में मंत्री बने नजर आते थे। उनके निधन के बाद नई विरासत को संभाले अब तक तीन उत्तरप्रदेश के मंत्रियों ने सत्ता परिवर्तन के मानसून का संदेशा देने का प्रयास किया है ।

 तो क्या उत्तरप्रदेश बदल रहा है यह एक बड़ा प्रश्न है...? बड़ा प्रश्न इसलिए भी है क्योंकि बाबा योगी नाथ की योग माया का करिश्मा शायद फिलहाल बिखर रहा है... तो देखते हैं लगातार चौथे और अन्य दिनों में कितने मंत्री और विधायक कॉर्पोरेट इंडस्ट्री की पॉलिटिक्स में बेकारी और बेरोजगारी से भयभीत होकर नए रोजगार की तलाश में नया समाजवाद ढूंढने जाएंगे। कुल मिलाकर अब बेकारी और बेरोजगारी राजनीति में भी गंभीर खतरा बनता जा रहा है। ऐसा समझना चाहिए बाकी राजनीति के बाहर लगभग हर जगह तो उसका रामराज्य स्थापित हो ही चुका है।



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