कोरोना का आपदा बना अवसर
करोड़ों के आरोपी अंसारी को
तो मंत्री जी के हाथों
पारदर्शी-भ्रष्टाचार को मिलेगा सम्मान....?
हालांकि यह कोई खबर नहीं है लेकिन इतना दावा तो कर सकते हैं अगर पांचमें अनुसूचित क्षेत्र शहडोल का पृथक स्वायत्त राज्य होता और यहां पद्म विभूषण पद्मश्री आदि का वितरण करना होता तो गणतंत्र दिवस में यह भी वह नौकरशाह होते जो आदिवासी क्षेत्र का पद्मश्री या पद्म विभूषण जैसे अवार्ड लेकर मुस्कुराते चेहरे से लोक प्रशासन का प्रतिनिधित्व कर रहे होते इसलिए यह खबर है और कोई बात नहीं तो इस खबर मे तलाशते हैं कि क्या होता... केंद्रीय शासन ने कोरोना के कार्यकाल में नया नारा दिया "आपदा ही अवसर है" और उसका क्रियान्वन अपने तरीके से शहडोल के आदिवासी विभाग के पारदर्शी-भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुके पर्दे के पीछे से सहायक आयुक्त की गतिविधियां संभाल रहे अंसारी ने अपने लिए लिए सर्वोच्च प्राथमिकता में नीतिगत बना दिया। बहाना कोरोना महामारी में किए गए सेवाओं का है।
एक लंबी चौड़ी लिस्ट में सबसे ऊपर स्वयं का नाम रखकर गणतंत्र दिवस के अवसर पर मंत्री के हाथों सम्मानित होने का अवसर ढूंढ लिया गया।
जबकि अब यह स्पष्ट हो चुका है क्षेत्र संयोजक अंसारी के ऊपर लोकायुक्त ने 8 करोड़ से ज्यादा के अनियमित भुगतान के लिए नोटिस जारी कर दिया है। जोकि तृतीय वर्ग कर्मचारी द्वारा गैरकानूनी तरीके से उच्च अधिकारी के साथ मिलकर निजी शिक्षण संस्थान को देते हुए बंदरबांट किया जिसकी जांच होना सुनिश्चित है। तो फिर मंत्री के हाथों ऐसे पारदर्शी-भ्रष्टाचारी के लिए कोरोना के बहाने यदि सम्मानित कराना ही था तो विभाग के लेखापाल रहे
कौशल सिंह मरावी की कुशलता को क्यों सम्मानित नहीं किया जाना चाहिए था...? उन्हें तो अभी भी दंडित नहीं किया गया है उन्हें तो सिर्फ भ्रष्टाचार के लिए दंडित करने का नोटिस ही मिला था। जैसे लोकायुक्त ने अंसारी के भ्रष्टाचार को नोटिस में लिया था। तो देखना होगा कि क्या प्रभारी मंत्री के आंख में कोरोना महामारी का धूल झोंक कर गणतंत्र दिवस में तिरंगे के नीचे पारदर्शी-भ्रष्टाचार को सम्मानित किया जाता है अथवा नहीं ....?
बहरहाल अगर ऐसा होता भी है तो यह बड़ी बात नहीं होगी क्योंकि अक्सर तिरंगे के नीचे शिक्षा क्षेत्र के तमाम भ्रष्टाचार के महारथी स्वयं को प्रभारी मंत्री से सम्मानित कराते देखे गए हैं। यह मौका तो तिरंगे के साथ कोरोना का सबसे बड़ा बहाना है।
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