मामला आदिवासी मजदूरों की मौत का
आखिर कब सुधरेगा , गणतंत्र का सिस्टम
देर आए, दुरुस्त आए..?
आधी रात जागी पुलिस
देर रात यह खबर जब देखी तो लगा सिर्फ परंपरा ही तो निभाई जा रही हैं इस व्यवस्था में अगर 1 हफ्ते के अंदर भी हमारी व्यवस्था आदिवासियों मजदूर की मौत को संज्ञान में ले रही है एहसान मानना चाहिए । क्योंकि नव धनाढ्य पूंजीपतियों , ठेकेदारों नेताओं और दलालों की गुलाम होती हमारी व्यवस्था जिसे सिस्टम कहा जाता है। में जमीर जिंदा है तो यह लोकतंत्र के जिंदा होने का सबूत भी है। अन्यथा 1 वर्ष पहले पांडव नगर स्थित एक आदिवासी मजदूर की बिजली में हुई मौत पर अभी भी व परिवार न्याय की आसरा में कभी नेताओं के पास भटकता रहा है तो कभी प्रशासन की दलील पर सिर्फ सिर पटकता रहा है उसके परिवार को अभी तक न्याय नहीं मिला दिखता है।
तो पहले समझ लेते हैं कि हाल में बुढार रोड शहडोल स्थित एक निर्माण कार्य में क्या घटना घटी।भास्कर ब्रेकिंग के सूत्र बताता है मुख्यालय स्थित बुढ़ार रोड पर थारवानी टीवी पैलेस संचालकों देवेंद्र थारवानी व जयकुमार थारवानी द्वारा सरकारी जमीन पर अवैध रूप से कराए जा रहे निर्माण के दौरान हुई दुर्घटना को लेकर हमने सच्चाई के साथ जिला भर गूँजा और पुलिस को नहीं जानकारी, अनभिज्ञ बने रहे ।
भास्कर सूत्र के अनुसार पुलिस नाटकीय रंग में कौन एडमिट हुआ, किस नाम से हुआ और अब कहां है...? तलाश थी रही ।खैर, देर आए दुरुस्त आए की तर्ज पर पुलिस आधी रात जागी ।जब कि जिला चिकित्सालय में भर्ती मरीज का रिकॉर्ड होता है, वह किस नाम से भर्ती रहा.. आसानी के साथ पता लग सकता है!सबसे बड़ा सवाल कि, अगर यहां गरीब मजदूर नहीं होते, कोई राजनीतिक दल से जुड़े लोग होते या मंत्री, सांसद, विधायक, जिला अध्यक्ष, किसी जनप्रतिनिधि या किसी अधिकारी के परिजन या उनसे जुड़े हुये होते! तो क्या ऐसा ही होता?
उसके अनुसार यहां भाऊ का मैनेजमेंट तगड़ा रहा जिस वजह से यह मामला तत्काल में दब सका किंतु मीडिया के कारण उभर पाया।
इसी तरह संभाग मुख्यालय में 1 वर्ष पूर्व हुई एक अन्य दुर्घटना में मृतक का परिवार भटक रहा है क्योंकि पुलिस ने समुचित कार्यवाही नहीं की थी..?
किंतु दूसरे मामला सूत्र बताते हैं 1 वर्ष पुराना है जहां ठेकेदार की लापरवाही से पांडव नगर में बीटीआई के पास चल रहे निर्माण पर अंततः बिजली कनेक्शन से एक व्यक्ति की मौत हो गई मृतक गुलाब सिंह गोंड पिता नारायण सिंह को न्याय दिलाने के लिए उसकी पत्नी लीला सिंह दर-दर भटक रही है क्या विधायक क्या प्रशासन उसे खानापूर्ति का कागज पकड़ा दिए लीला सिंह के अनुसार उसका पति स्वर्गीय गुलाब सिंह माह फरवरी 2021 में पांडव नगर बीटीआई के पास कन्या आश्रम के में काम कर रहा था। काम करने के दौरान छत में कालम खड़ा कर रहा था। काम करते समय बिजली की 11 केवी लाइन मे लोहे की रॉड घूमने से मृत्यु हो गई थी। जबकि मेरा पति विद्युत विभाग से परमिशन के लिए लाइन बंद करने के लिए मैडम, इंजीनियर और संतोष चौधरी ठेकेदार से कहा था। पर अपने छोटे से लाख के लिए ठेकेदार ने चालू लाईन में काम करवाया गया। जिसके कारण मेरे पति की मृत्यु हो गई है।वेवा लीला अब दर-दर भटकते हुए अपनी व्यथा बता रही है कि दोषी जनों पर पर कार्यवाही हो । मेरे और मेरे बच्चों के भरण-पोषण पर उचित दया पूर्ण कार्यवाही की जाए।
तो क्या देखना होगा चाहे हाल में हुई मजदूर की मौत का मामला हो या फिर 1 वर्ष पूर्व हुए मजदूर की मौत का मामला जो पांडव नगर के ठेकेदार आदि की मिलीभगत मैं हुई मौत पर क्या लीला को 1 वर्ष बाद भी न्याय मिल पाएगा फिलहाल तो वह पुलिस वा प्रशासन की रामलीला मे सिर्फ एक भटकती आत्मा बनकर रह गई है। यह आदिवासी क्षेत्र है इसलिए सब कुछ सिस्टम के नजरिए से ही तय हो पाता है ..... और यही आदिवासी क्षेत्र का गणतंत्र है..? गणतंत्र दिवस के शुभकामनाएं।
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