सोमवार, 6 दिसंबर 2021

मिनी व्यापम घोटाला....

 गई भैंस पानी में...


जेडी मकबूल खान सहित कई अधिकारी हुए सस्पेंड

सरपंच, सचिव भी फंस गये  जाल में

विशेष खबर

पूत के पांव पालने पर कुछ इस अंदाज में मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत बकहो में भाजपा प्रवक्ता शैलेंद्र श्रीवास्तव का कुछ ऐसा जाल फेंका गया की मगरमच्छ


सहित झींगुर भी जाल में जा फंसे और अंततः ज्वाइन डायरेक्टर से लेकर सरपंच सचिव तक के विरुद्ध बड़ी कानूनी कार्यवाही की संभावना बनती दिखाई दे रही है फिलहाल अधिकारियों को और कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है शहडोल संभाग के नगर प्रशासन के ज्वाइंट डायरेक्टर मकबूल खान इस निलंबन टीम के मुखिया के रूप में निलंबित किए गए हैं..

मिनी व्यापम घोटाले के तर्ज पर हुई इस भर्ती में अंततः भ्रष्टाचार की परतें खुलने लगी हैं

बता दें कि भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता शैलेंद्र श्रीवास्तव लंबे समय से नगर प्रशासन में भ्रष्टाचार के लिए मुखर रहे हैं उन्हें अपनी ही पार्टी में इस दुस्साहस का सामना भी करना पड़ा है बावजूद इसके उन्होंने लड़ाई को जारी रखी और अंततः जो परिणाम आए उसमें शहडोल नगर प्रशासन के कई लोग निलंबित कर दिए गए हैं प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत,

 ओरियंट पेपर मिल्स स्थित ग्राम पंचायत बकहो को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने हाल में ही नगर पंचायत बनाए जाने का फरमान जारी किया था जिस में नई भर्तियां होनी थी भारतीयों के संदर्भ में बनाई गई कमेटी द्वारा अपने अपने लोगों को उपकृत किया गया है जिसकी शिकायत उच्चाधिकारियों को की गई थी


6 दिसंबर को नगर प्रशासन भोपाल द्वारा दिए गए आदेश में प्रमुख तौर पर ज्वाइन डायरेक्टर मकबूल खान को

उनके पुत्र आदिल कीवी नियम विरुद्ध भर्ती के लिए चिन्हित किया गया है इसी प्रकार सभी दोषी लोगों ने अपनेे-अपने रिश्तेदार नातेदार की भर्ती के लिए जिम्मेदार ठहराए गए हैं जबकि कुछ अन्य गैर रिश्ते के भ्रष्टाचार में संलग्न पाए गए थे इस तरह ज्वाइन डायरेक्टर के अधीनस्थों सहित सभी को निलंबित कर दिया है जबकि सरपंच फूलमती और सचिव श्यामलाल भी इस भ्रष्टाचार के हमाम में नहा रहे थे ऐसा पाया गया फूलमती के जीवन में यह दूसरा भ्रष्टाचार  होने का मामला सामने आया है

ग्राम पंचायत श्रीनगर पंचायत सत्ता परिवर्तन के दौर में भ्रष्टाचार जिनके लिए सुनहरे भविष्य की तौर पर देखा जा रहा था अब वह अंधियारे रास्ते की ओर चल पड़ा है देखना होगा की नगरी प्रशासन विभाग अपने आदेश और जांच पर किस कीमत तक टिका रह पाता है टीका भी रह पाता है अथवा नहीं क्योंकि अनुभव में आया है कि शहडोल नगरपालिका में जो भी भ्रष्टाचार हुए हैं नगरी प्रशासन अंत तक घुटना टेक दिया था या फिर फाइलें सत्ता कि राजनेताओं के पैर के नीचे दबा दी गई हैं...?




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