मुख्यमंत्री का "जनजाति गौरव" सिर्फ शिगूफा..?
शासन की कथनी और करनी में फर्क में पिस रहा है केवल आदिवासी
हालांकि शहडोल कोई पाकिस्तान नहीं है.., और उमरिया कोई हिंदुस्तान नहीं है...; जहां
शहडोल में सूदखोरों के खिलाफ ज्यादिती हो रही हो और उमरिया मे सूदखोर शरण पा रहे हो....?
बावजूद इसके करोड़ों रुपए खर्च करके मध्यप्रदेश शासन जनजातीय गौरव दिवस मनाती है और आदिवासी वर्ग को सही न्याय दिलाने के लिए कटिबद्ध दिखती है किंतु उमरिया के नरोजाबाद थाना में रहने वाले शोषण के शिकार वयोवृद्ध आदिवासी केवल सिंह के साथ कुछ ऐसा ही घट रहा है कि उसे अपने सत्ता के नजदीक मंत्री और सांसद रह चुके रिश्तेदारों के बीच होने के बावजूद आदिवासी होने से प्रताड़ित होना पड़ रहा है...क्योंकि महात्मा गांधी भारत के अंतिम पंक्ति के अंतिम आदमी को न्याय का सिद्धांत नरोजाबाद पुलिस थाना में आकर दम तोड़ देता है...
अब तक तो यही प्रमाणित हुआ है क्योंकि मुख्यमंत्री सहायता के सीएम हेल्पलाइन पर की गई कंप्लेन 20 अगस्त 2019 को पर कि आदिवासी केवल सिंह की जीवन भर की कमाई 17लाख रुपए सूदखोर
उमेश सिंह द्वारा ठगी कर लिए जाने के मामले में बकायदे सीएम हेल्पलाइन
में पूरी इमानदारी से उमरिया पुलिस ने जानकारी दी है।
कि पुलिस ने 40हजार रुपये दिला कर मामले का निराकरण कर दिया गया है। और बाकी पैसा लेने के लिए केवल सिंह को न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए.... इससे कम से कम यह तो सिद्ध होता है कि शहडोल जिला में पुलिस सूदखोरों के साथ बहुत अन्याय कर रही है.... उनके बनेबनाए बंगलो को ढहा कर सूदखोरों के परिवार को जीने का अधिकार से वंचित कर रही है । वह भी चाहती तो मीडिया सेल के जरिए सूदखोरों और सूदखोरी से प्रताड़ित परिवारों को थाने में बुलवा कर 10%- 5% पैसा दिला कर दिखने वाला पारदर्शी न्याय कर सकती थी। किंतु शायद शहडोल पुलिस अधीक्षक की बेरहमी का शिकार सूदखोरी समाज शहडोल में रहने के कारण बर्बाद हो रहा है। उन्हें उमरिया में नरोजाबाद थाने में जाकर शरण लेनी चाहिए। शायद नरोजाबाद थाना अफगानिस्तान के तालिबान सरकार की तरह सूदखोरों को सत्ता का संरक्षण दे सकें। यह बात केवल सिंह के मामले में सीएम हेल्पलाइन पर गौरव के साथ जिला पुलिस उमरिया की स्वीकारोक्ति के साथ प्रमाणित होती है।
अन्यथा जिस तरह सूदखोरों पर शहडोल में चाबुक चल रहा है... उसी तरह दिखाने वाला न्याय करते हुए उमरिया पुलिस को, शासन की मंशा के अनुसार और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की जनजाति गौरव बनाए रखने की कटिबद्ध के अनुरूप, तत्काल सूदखोर उमेश सिंह के खिलाफ कानूनी दंडात्मक कार्यवाही करना चाहिए था, ना कि पैसा वसूल कर बंदरबांट करते दिखना चाहिए....
सीएम हेल्पलाइन मैं यह जानकारी देते हुए वह कैसे अनदेखा कर सकती है कि वह न्याय कर रही है...? तो जब जब कहीं कोई सूदखोरी से कोई सूदखोर शहडोल पुलिस महानिरीक्षक के कार्य क्षेत्र में दंडित होता दिखेगा तब तब सिर्फ केवल सिंह, केवल अकेला वह अंतिम पंक्ति का अंतिम व्यक्ति हमेशा शोषण के शिकार के रूप में पुलिस की व्यवस्था को मुंह चिढ़ाता रहेगा जो सीएम हेल्पलाइन में खुली शोषणकारी व्यवस्था को प्रमाणित होता दिखता है और सीएम हेल्पलाइन सिर्फ एक मजाक बनी व्यवस्था दिखाई देती है।
तो
"चना जोर गरम बाबू.. मै लाया मजेदार..
चना जोर गरम....."
ऐसा मानकर मनोरंजन करते रहिए और जनजाति समाज सांसद और विधायक होते हुए भी गौरव होने का आभास करता रहेगा...
क्योंकि पिक्चर अभी बाकी है....
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