प्रत्यक्षम् किम् प्रमाणम्
क्या सुप्रीम कोर्ट में भी
भ्रष्टाचार है?
हलां कि यह प्रश्न पहली बार भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उस महान पत्रकार रूप में आए फिल्म स्टार अक्षय कुमार जैसा नहीं था कि, "आप आम चूस कर खाते हैं या काटकर .....?
बावजूद इसके, यह प्रश्न टीवी चैनल मालिक
जीग्रुप के चर्चित पत्रकार सुधीर चौधरी था.. और जवाब देने वाले थे, असाधारण व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश चर्चित व्यक्तित्व के धनी रंजन गोगोई..।
इंटरव्यू को दौरान जब एक आम आदमी बनकर आम आदमियों की ओर से सुधीर चौधरी ने पूछा कि क्या सुप्रीम कोर्ट में भी भ्रष्टाचार है...?
तो पूर्व CJI ने कहा कि,
"जज आसमान से नहीं गिरते हैं. भ्रष्टाचार
उतना ही पुराना है जितना कि समाज. भ्रष्टाचार जीवन का एक तरीका बन गया है – जीवन का ऐसा तरीका जिसे लोग अब स्वीकार्य करते हैं."
निश्चित तौर पर एक आम आदमी के रूप में इस जवाब में सुधीर चौधरी को फीलगुड हुआ होगा। क्योंकि जीवन के अनुभव में कई बार ऐसी कड़वी सच्चाई आती है जिसे यह जानते हुए कि वह जहर है, लोग पी लेते हैं... और बाद में उसे सिद्ध करना पड़ता है कि हां वह जहर ही है और जहर पिया जाता है' किंतु अगर कोई चीफ पूर्व जस्टिस ऑफ इंडिया इसे सिद्ध करते हैं आम आदमी बनकर तो
"खग जाने खग ही की भाषा" मे संतोष होता ही है.... यही आज का कड़वा सच है।
दोस्तों हम लोग तो पिछड़े लोग हैं आदिवासी क्षेत्र के आदिवासी पत्रकार। महात्मा गांधी और उनका नकल करने वाले नकलची हमारे अन्ना हजारे भारत के बेचारे लोग थे, जो अनावश्यक अपना और देश का समय नष्ट किए...?
है ना..., यही है आज का टीवी की दुनिया का सच... ? प्रत्यक्षं किम् प्रमाणम..
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