सोमवार, 29 नवंबर 2021

लाखों की उगाही कर चुका है पूर्व ट्रस्टी

भाजपा-राज में लुट रहा है राम मंदिर
राममंदिर ट्रस्ट में खुली लूट को किसका संरक्षण ..?,
ट्रस्ट-आराजी पर तहसीलदार ने दिया था स्थगन

*आदेश को जूते की नोक में रखकर बनाया बारात घर
 
*लाखों की उगाही कर चुका है पूर्व ट्रस्टी 
*बावजूद राम मंदिर की बिजली कनेक्शन कटा 
*पुजारियों को नहीं मिल रहा है वर्षों से वेतन 

 खबर है मोहन राम मंदिर ट्रस्ट शहडोल की रघुराज ग्राउंड के बगल स्थित खसरा नंबर 138 की 33 डिसमिल जमीन पर लाखों रुपए की बारात घर की बुकिंग लवकुश पांडे द्वारा गैर कानूनी तरीके से वसूली कर रहा है जिसके लिए वकायदे एक टेंट वाले से कांटेक्ट करके बारात घर पर बारात पर लाखों रुपए इकट्ठे किए गए हैं तो दूसरी तरफ मोहन राम मंदिर स्थित शिव पार्वती मंदिर का बिजली कनेक्शन विद्युत बिल भुगतान न हो पाने के कारण लंबे समय से कटा हुआ है..।
 जब तक मंदिर के निर्माता व दानदाता मोहनराम पांडे के वंशज शिव पार्वती मंदिर का देखरख स्वयं कर रहे थे कभी भी विद्युत कनेक्शन नहीं कटा। जब से मोहनराम मंदिर ट्रस्ट इसका प्रबंधन अपने हाथ में लिया है तब से विद्युत भुगतान न किए जाने के कारण विद्युत कनेक्शन काट दिया गया है।
 

हाईकोर्ट से 
मंदिर ट्रस्ट के लिए प्रबंधन के लिए नियुक्त स्वतंत्र समिति जिसमें तहसीलदार सोहागपुर, आर आई सोहागपुर, एडवोकेट रमेश त्रिपाठी, समाजसेवी राजेश्वर उदेनिया भी मेंबर हैं। मंदिर ट्रस्ट से अपदस्थ किए गए ट्रस्टी लवकुश पांडे और अन्य लोगों

से 10 वर्ष बाद भी प्रभार नहीं ले पाए हैं... जो खुलेआम और डंके की चोट में गैरकानूनी कब्जा करके मोहन राम मंदिर में रहता तो है लेकिन एक काल्पनिक संस्था बनाकर मोहन राम मंदिर ट्रस्ट की आराजी पर कब्जा कर रखा है। परिणाम स्वरूप लवकुश पांडे अपने समूह के सहयोग से मोहनराम मंदिर ट्रस्ट की वर्षों पुराने दस्तावेज गायब कर दिया है।

और ट्रस्ट की खसरा नंबर 138 कि शहडोल स्थित गैर कानूनी 33 डिसमिल जमीन पर गैर कानूनी कब्जा करके बारात घर बना कर लाखों रुपए लूट रहा है।
 ज्ञातव्य है जब इस आराजी पर तोड़फोड़ कर अवैध कब्जा किया जा रहा था तब उच्च न्यायालय के निर्देश पर बनी "स्वतंत्र-समिति" सदस्य ने तहसीलदार सोहागपुर से स्थगन आदेश प्राप्त किया था और उसके बाद आज तक प्रकरण को ठंडे बस्ते में या तो डाल दिया गया है अथवा मिलीभगत करके गायब कर दिया गया है..? ताकि मोहनराम मंदिर ट्रस्ट की उक्त आराजी पर हो रही लूटपाट में बंदरबांट हो सके..?
 अन्यथा कोई कारण नहीं है की वर्षों बाद


तहसीलदार न्यायालय इस प्रकरण में आरोपी लवकुश पांडे के विरुद्ध अपना स्थगन आदेश पालन नहीं करा सका है और कानूनी अवमानना की फाइल पर सुनवाई भी नहीं करा सका... 
यह जानते हुए कि तहसीलदार सोहागपुर स्वयं मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देश में गठित स्वतंत्र समिति का अहम सदस्य है। तो क्या चाहे "स्वतंत्र-समिति" हो चाहे मंदिर के पूर्व ट्रस्टी सब नूरा कुश्ती करके मंदिर ट्रस्ट की प्रॉपर्टी में खुली लूटपाट को संरक्षण दे रहे हैं..? यह बड़ा प्रश्न बना हुआ है ।
देखते हैं अब जबकि लाखों रुपए बारात घर बना कर मंदिर ट्रस्ट की आराजी में खुली लूट की जा रही है मोहन राम मंदिर स्थित पुजारियों को उनकी वर्षों लंबित मजदूरी वेतन मिल सकेगा...? अथवा शिव पार्वती मंदिर का विद्युत बिल बकाया भुगतान करके विद्युत कनेक्शन जोड़ा जा सकेगा...?

 यह भी देखना होगा क्या लगातार हो लाखों की लूट को स्वतंत्र समिति मंदिर ट्रस्ट खाते में जमा कराने का कोई प्रयास करेगी..... ?
 अन्यथा लूट सके तो लूट; राम नाम पर लूट है, लूट सके तो लूट....

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