-एक अगस्त-
शास्त्रार्थ की बजाए,
शस्त्र बनता हमारा संसद....?
(त्रिलोकीनाथ)
हमारे इतिहास से निकली इस महान कथा का वर्तमान में सत्य होना अद्भुत संयोग है.. लोकतंत्र का अभिमानी समाज संसद में तीन कृषि अध्यादेश पर नए सिरे से कुछ नहीं सुनना चाहता... जिससे 8 महीने से एक बड़ा नागरिक समाज किसानों का समाज असमंजस में है... और अब जो सामने स्पष्ट हो रहा है कि भारत सरकार या उसके किसी प्रभावशाली व्यक्ति ने इजरायल की पेगासस जासूसी कंपनी के माध्यम से अपने ही मंत्री, सेना, न्यायपालिका और नेताओं तथा नागरिकों के खिलाफ उनकी गोपनीय निजता को सत्ता में बने रहने के लिए हथियार के रूप में उपयोग किया है.. जैसे कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने आरोप लगाया है और अब इस आरोप पर शास्त्रार्थ करने की बजाय संसद ठप कराने का काम हो रहा है.. इसलिए पहले इसको देखें
इस समय भारत का संसद एक शस्त्र बन गया है करीब 500 किसान अपने आंदोलन में मर गए। चाहे जैसा भी हो पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एक प्रतिनिधि है। उसने कहा है इसराइल की जासूसी कंपनी पेगासस एक हथियार है और उसका प्रयोग भारत पर हो रहा है।
हथियार या शस्त्र कब य किस रूप में अभिमानी समाज द्वारा प्रयोग किया जाता है और उसके हिंसा से कौन कहां और किस रूप में मानव समाज मरता है यह सब हम वर्तमान में देख रहे हैं ।
तब, जब राजा जनक और अब लोकतंत्र में कहीं कोई परिवर्तन नहीं हुआ.. देख और समझ कर यही लगता है।
तो हम सब मिलकर क्या खाक विकास किए हैं सिर्फ लूटपाट और षड्यंत्र के जरिए सत्ता में बने रहने का ताना-बाना ही बनाए रखते हैं । फिर चाहे वह मंदिर हो अथवा मस्जिद अथवा संसद सब जगह एक ही प्रकार का समाज लोकतंत्र के लाखों बलिदान हो को व्यर्थ साबित करता संघर्षरत दिख रहा है। आगामी स्वतंत्रता दिवस गुलामी की स्वतंत्रता का चेहरा लेकर आएगा.., क्योंकि गणतंत्र दिवस में भारतीय तिरंगे को अपने षड्यंत्र से अपमानित करने वाला समाज का चेहरा अभी हम नहीं देख पा रहे हैं.. क्योंकि न्यायपालिका और पुलिस तथा प्रशासन गुलाम हो गया है क्योंकि वह निश्चित अवधि में गणतंत्र दिवस पर लाल किले के अपराधियों को अभी तक सजा नहीं सुना पाया
है।
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