रविवार, 25 जुलाई 2021

पुरानी लंका चित्रकूट से पधारे स्वामी जी रोहिणी प्रपन्नाचार्य से एक खुला प्रश्न


एक सार्वजनिक प्रश्न, पुरानी लंका चित्रकूट से पधारे महंत रोहिणी प्रपन्नाचार्य जी महाराज से...?

(त्रिलोकीनाथ)

 एक युग था जब पुरानी लंका चित्रकूट में बहुत सिद्ध महापुरुष गद्दी पर बैठते थे। हमारी धारणा है किस सिद्ध महापुरुषों की गद्दी में बैठने वाले व्यक्तियों को उस गद्दी की महत्ता के अनुरूप कुछ ज्ञान प्राप्त हो जाता है, और यही सोच कर लकीर के फकीर की तरह काफी लोग अपने गुरुओं का अनुगमन करते हैं। क्योंकि उन्हें वही मोक्ष का ज्ञान प्राप्त होता है।

 लेकिन जब से करोड़ों भक्तों का दावा करने वाले बहुचर्चित बलात्कारी बाबा बापू जी आसाराम जेल चले गए तो लगा कि कुछ थोड़ा बहुत शिष्यों/ अंध भक्तों को को ज्ञान प्राप्त होगा..? लेकिन जब से यह सुना कि जहां महान बलात्कारी बाबा आसाराम जी बंद है और गुरु पूर्णिमा को कुछ भक्त लोग वहां जाकर उस जेल की आरती उतारते हैं तब से यह मन में बैठ गया कि हिंदू धर्म का पतन किस चरम स्थिति तक जाएगा कहा नहीं जा सकता.. ।

किस गद्दी में, कौन बैठकर, कितना बड़ा भगवान बनकर, किसे, कहां, कब, कितना ठगता है उसका अब महत्व नहीं रह गया है... क्योंकि कितने भी बड़े अपराधी, बलात्कारी और अनैतिक व्यक्ति हैं लेकिन अगर आप किसी बड़े मठ में मठाधीश हैं अथवा स्वयं को भगवान का अवतार सिद्ध करने में कामयाब हो रहे हैं, तो आप जिस जेल में रहेंगे वह जेल पूजनीय हो जाएगी.. यह कलयुग का एक  प्रताप है। और प्रमाण भी।

 इसलिए किस मठ में, कौन मठाधीश बैठता है यह बहुत महत्वपूर्ण बात नहीं रह गई। चित्रकूट के एक आश्रम का एक बाबा दिल्ली में नागिन डांस करते हुए चर्चित हुए थे।

 किंतु जिन मठों की सिद्ध गलियों में कोई व्यक्ति प्रतिनिधित्व करता है उससे यह अवश्य पूछा जाना चाहिए कि आपने पाप तो नहीं किया...? इसलिए क्योंकि भलाई सिद्ध पीठ पर बैठा हुआ व्यक्ति पापी ना हो लेकिन उसके संरक्षण में और उसके शरण में बल्कि बराबर का पार्टनर होने की तरह यदि कोई व्यक्ति लवकुश पांडे नाम का मोहन राम मंदिर ट्रस्ट की जमीन आराजी खसरा नंबर 138 की 33 डिसमिल जमीन पर पटवारी से मिलकर फर्जीवाड़ा करते हुए जमीन "बेनामी संस्था" के नाम से करवा कर उस पर कब्जा कर लेता है और लवकुश पांडे के खिलाफ तहसीलदार न्यायालय में स्थगन आदेश होने के बाद भी गैर कानूनी आपराधिक मनोवृत्ति के तहत संरक्षण पाकर मोहनराम मंदिर ट्रस्ट की प्रॉपर्टी को लूट लेता है.. तब तो यह पूछा ही जाना चाहिए इसी ट्रस्ट के प्रधान ट्रस्टी रोहिणी प्रपन्नाचार्य जी से( ना कि किसी रोहिणी द्विवेदी से )कि स्वामी जी आपके संरक्षण में आखिर मोहनराम मंदिर ट्रस्ट की प्रॉपर्टी की खुली लूट क्यों हो गई...? और आप इसे मौन सहमति क्यों दे रहे हैं...? क्या मोहन राम मंदिर ट्रस्ट के राम आपके  सौतेले भगवान हैं...? या पुरानी लंका चित्रकूट के राम आपके सगे भगवान हैं...?

 अगर दोनों भगवान एक ही हैं तो फिर मोहनराम मंदिर ट्रस्ट की प्रॉपर्टी की लूट का अपराधी कैसे आपका प्रिय व्यक्ति बना हुआ है..., अभी तक आपने उसे कान पकड़कर वापस चित्रकूट क्यों नहीं बुलाया है...? क्या आप इस अपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति से किसी गुप्त रहस्य के कारण डरते हैं या फिर आप को कोई अन्य भय है...? क्योंकि  आप पुरानी लंका चित्रकूट के लाखों शिष्यों के अधिश्वर गुरु भी हैं..?

 इसलिए आपसे यह प्रश्न उत्तर की अपेक्षा है... मुझे याद है बद्रिका आश्रम के शंकराचार्य जी महाराज से एक बार मैंने यही प्रश्न किया था कि आखिर क्या कारण है कि मदरसों की संपत्ति कुशल प्रबंधन का हिस्सा है और उसका व्यापक स्वरूप दिखता है किंतु मंदिरों की प्रॉपर्टी को संरक्षित नहीं किया जाता..? उन्होंने कहा तो यही था की राज्य सत्ता संरक्षण जब तक नहीं देती तब तक हिंदू धर्म का विकास नहीं होगा...

 मैं उनसे असहमत था क्योंकि मुझे लगता था कि जब तक मठाधीश का पारदर्शी धार्मिक चेहरा नहीं दिखाएंगे तब तक धार्मिक संस्थान और हिंदू मठ मंदिरों का इसी तरह विनाश होता रहेगा।

 तो आपसे भी गुरु पूर्णिमा के दूसरे दिन अवसर पर यह सार्वजनिक प्रश्न प्रस्तुत कर विनती है कि रहस्य को उजागर करिए...?, मोहनराम मंदिर ट्रस्ट को खुली लूट करने की अनुमति आपके संरक्षण में होती क्यों दिख रही है...? क्या आप अपराधियों को इसी प्रकार से संरक्षण देंगे अथवा उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करा कर मंदिर प्रॉपर्टी को लूटने वालों को दंडित कराने की कार्यवाही करेंगे...? 

आखिर आपका यह धार्मिक और नैतिक अधिकार भी है ।विनम्र अपेक्षा है आप पुरानी लंका चित्रकूट के पावन गद्दी के अनुरूप इस प्रश्न का समाधान करेंगे.. जय सियाराम।

 प्रश्न का उत्तर न देकर भी आप की चुप्पी एक समाधान ही होगी.. ऐसा मैं मान लूंगा और यह समाधान पतन की ओर जाता दिखेगा।

 ऐसा भी मैं मान लूंगा। जय सियाराम। आप जितने दिन शहडोल में निवास करेंगे आप से अपेक्षाए बढ़ती चली जाएगी। ईश्वर हम सबका भला करें।



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

भारतीय संसद महामारी कोविड और कैंसर का खतरे मे.....: उपराष्ट्रपति

  मुंबई उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड की माने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के  राम राज्य में और अमृतकाल के दौर में गुजर रही भारतीय लोकतंत्र का सं...