रविवार, 27 जून 2021

कांटेक्ट ट्रेसिंग से समाप्त हो सकता है नशा का कारोबार (त्रिलोकीनाथ)



सुनहरे अवसर का लाभ दिखता क्यों नहीं...?

कांटेक्ट ट्रेसिंग के जरिए समाप्त हो सकता है नशा का कारोबार 

फिर पकड़ाया गांजे का खेप

(त्रिलोकीनाथ)

 पिछली बार जब मादक पदार्थों की बड़ी खेप पकड़ी गई थी तो पुलिस अधीक्षक अवधेश गोस्वामी स्वयं प्रेस वालों से इसको शेयर किया  उनकी चर्चा के बाद यह बात स्पष्ट हुई कि अभी तक जो मादक पदार्थों को लेकर कार्यवाही की गई हैं उनकी नजर में उसमें 60% तस्करों पर कार्रवाई हुई है और इससे तस्करों का गठजोड़ टूटने का की उम्मीद की थी। किंतु देखा यह जा रहा है कि अगर मादक पदार्थों के व्यापार का बाजार किसी एक तस्कर के यहां से खत्म होता है तो उस बाजार में कब्जा करने के दशकों से मादक पदार्थों के व्यापारी वहां पर सेटिंग करने लगते हैं। आज फिर एक कारोबारी पकड़ा गया  जैसा कि पुलिस की


प्रेस विज्ञप्ति बताती है कि पकड़ा गया पवन जेल में रहा और छूट कर आया था इसलिए उसने  गोहपारू  में गांजे का कारोबार कर रहा था। पुलिस अधीक्षक श्री गोस्वामी के कार्यकाल में मादक पदार्थों पर की गई कार्यवाही अब तक की की गई कार्यवाहीयों मैं अब्बल कहीं जाएंगी और निश्चित तौर पर शहडोल जिले के नागरिकों को खास तौर से युवा पीढ़ी को गांजा का व्यापार करने वाले खुलेआम तरीके से आकर्षित नहीं कर पाएंगे। किंतु इसकी सफलता और सुनिश्चितता तब तक संभव नहीं है जब तक कि इस पर गांजा के सेवन करने वाले व्यक्ति से पूरे चैनल का लिंक ना ढूंढा जाए। इसमें गुप्त तरीके से गांजा के ग्राहकों की मदद से तस्करों को "कांटेक्ट ट्रेसिंग" के जरिए पकड़ना आसान होगा और फिलहाल तो कोरोना महामारी के दौरान "कांटेक्ट ट्रेसिंग" क्या होती है पुलिस विभाग को बताने की जरूरत नहीं है,वह भली-भांति इस पर काम कर रहे हैं।
 इसके बावजूद भी यदि 1 किलो गांजा भी विभिन्न थाना क्षेत्रों में सफलता के साथ बिक रहा है तो कोई शक नहीं होना चाहिए की पहली नजर में वहां का बीट प्रभारी के सीआर में यह बात दर्ज होनी चाहिए और इतनी कड़ाई पर, निश्चित तौर पर जो कि बीट प्रभारी पूरे संज्ञान में रखता है हर अपराध उनकी नजर से गुजरता है गांजा को अथवा अन्य मादक पदार्थों के बाजार को नेस्तनाबूद किया जा सकता है। और क्योंकि पुलिस अधीक्षक की मंसा मादक पदार्थों को लेकर पवित्र दिखती है और इस दौर पर भी अगर कांटेक्ट रेसिंग के जरिए माधक कारोबारी चिन्हित होकर पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किए जाते हैं तो शायद पुलिस विभाग अपना सुनहरा अवसर खो देगा। देखना होगा कि अपने पुलिस कप्तान के साथ पुलिस का सिपाही कितनी ईमानदारी के साथ फर्ज को अदा करता है क्योंकि उसके किए गए कार्यों का जमीन में युवा वर्ग के पूरी पीढ़ी का भविष्य उस से जुड़ा हुआ है और अगर एक भी युवा गांजा पीता अथवा ड्रग्स लेता पाया जाता है तो निश्चित तौर पर उसका हिस्सा क्षेत्रीय पुलिस पीठ प्रभारी अथवा थानेदार को मिलता ही होगा ऐसे में पुलिस कप्तान की मंशा के साथ धोखाधड़ी भी होगी और जिले के साथ गद्दारी तो है ही।



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