बुधवार, 2 जून 2021

और पुलिस की आंख से चोरी हो गया काजल

लॉकडाउन में पुलिस की चौकीदारी पर भू माफिया ने अतिक्रमण को तोड़ी 40 साल पुरानी दीवाल

 और, 

            काजल चोरी हो गया..

भू माफिया ने ऑपरेशन शंखनाद की  मेन चौक से निकाली हवा

लॉकडाउन विशेष यानी पोस्ट लॉकडाउन

 इसे यह कहना की नगर पुलिस ने गांधी चौक पर स्वयं भू माफिया से सौदा करके शासकीय भूमि पर अतिक्रमण करने के उद्देश्य से 40 साल की दीवार को तोड़ने का काम किया है, जरा नाजायज होगा। क्यों की अभी भी संभाग में तो नहीं शहडोल में भू माफियाओं सूदखोरों के खिलाफ पुलिस अधीक्षक अवधेश गोस्वामी का सफल "ऑपरेशन शंखनाद" के शंख से अवैध कार्य करने वालों के खिलाफ हवा बनी हुई है। किंतु यदि पुलिस अधीक्षक मुख्यालय के मुख्य गांधी चौक में लॉकडाउन के दौरान


जबकि पुलिस का प्रमुख कुनबा वहां पर 24 घंटे निगरानी कर रहा हो तो पुलिस कैंप के तीन-चार मकान बाद यदि भू मफिया अथवा सूदखोर शासकीय जमीन पर अतिक्रमण करने के उद्देश्य से बड़ेरिया परिवार के 3 किरायेदारों के पीछे 40 साल बनी 12 फीट ऊंची 16 फीट लंबी और करीब डेढ़ फीट चौड़ी दीवार को नीचे से तोड़कर

दुकानदारों के ऊपर गिरा कर सकता है उनकी दुकान नष्ट करने का काम का प्रयास इसलिए हुआ ताकि शासकीय भूमि पर वह कब्ज कर सके और फ्रंट पर आ सके यह कार्य बिना किसी नेता के अथवा अधिकारी के संरक्षण के संभव नहीं है...?

 और इसलिए की आंख की पलक सामने होती है पीछे नहीं और काजल सामने ही लगता है इसलिए कहना सही होगा की पुलिस की आंख से काजल चोरी कर भू माफिया और सूदखोर ने ऑपरेशन शंखनाद की की हवा निकाल दी और साबित किया कि पुलिस अधीक्षक यदि डाल-डाल है तो सत्ता के संरक्षण का माफिया पात-पात है।

 इतनी बड़ी भूमिका बनाना इसलिए जरूरी है क्योंकि कलेक्टर शहडोल डॉक्टर सत्येंद्र सिंह ने भू माफियाओं की मंसा को समझ कर नजूल आराजी पर मुख्य गांधीचौक पर स्थित करीब साढ़े 6 हजार वर्गफीट जमीन में स्व. निहालचंद बड़ेरिया को


जारी नजूल लीज 2 मार्च 21 को निरस्त कर दिया था। तबसे यह आराजी शासकीय नजूल आराजी के रूप में दर्ज घोषित हो चुकी है ।

 इस बात की छटपटाहट सत्ता के संरक्षण में पलने वाला दो बार गैरकानूनी  निर्माण का सजायाफ्ता नेमचंद जैन नगर पालिका परिषद के आवेदन पर दंडित भी हो चुका है। नगर पालिका को अवैध निर्माण को गिराने के लिए सिर्फ कार्यवाही करना शेष है। और यह बात साडे छःहजारवर्गफीट भूमि पर पूरी तरह से लागू होती है। जिसमें नेमचंद ने गैर कानूनी तरीके से तत्कालीन लीजधारी बड़ेरिया की भूमि को रामअवतार  और मोहन गुप्ता को ऊपर ही ऊपर सौदेबाजी कर लाखों रुपए लेकर पलटी कर दिया था। तब उक्त भूमि लीजधारी निहालचंद बड़ेरिया की खाली भूमि थी और उस जमीन की सुरक्षा के लिए बड़ेरिया ने लंबी चौड़ी मोटी दीवार सामने करीब 6 फीट जमीन छोड़कर बना दी थी और इसी जमीन पर बाद में उनके पुत्र नीरज बड़ेरिया ने तीन दुकानदार राजेश गुप्ता, बालकिशन और संतोष नामदेव को किरायेदारों बनाया था ताकि उसकी जमीन पर कोई गैरकानूनी कब्जा ना कर सके। जिसके लिए विहित तरीके से कलेक्टर शहडोल से अनुमति भी मांगी गई थी।

 इसी दौरान इस वर्ष कलेक्टर शहडोल ने पाया कि स्वर्गीय बड़ेरिया की  जारी नजूल लीज गैर कानूनी तरीके से खुर्दबुर्द की गई है और उन्होंने 2 मार्च 2021 को बड़ेरिया को जारी नजूललीज का पट्टा निरस्त कर दिया। शासन के नए नियम में जब यह बात आई के कब्जेधारी को नजूललीज 2000 वर्ग फीट तक देने का प्रावधान बनाया गया तब  अवैध रूप से किए गए निर्माण पर पट्टा पाने के उद्देश्य से राम अवतार और मोहन गुप्ता नेमचद जैन के साथ षड्यंत्र करके बीते हफ्ते बड़ेरिया के तीन किरायेदारों को सामने से हटाने के उद्देश्य से बड़ेरिया द्वारा बनाई गई 40 साल पुरानी दीवार को लाकडाउन मे दिनरात मेहनत करके दुकानों पर गिराने का काम किया गया। उक्त आशय का


आरोप लगाते हुए राजू टी स्टॉल के दुकानदार राजेश गुप्ता ने कहा पूर्व में भी मोहन गुप्ता इस प्रकार का षड्यंत्र करता रहा है क्योंकि उसने कई बार उसे धमकी दी वह दीवाल तोड़ने का प्रयास किया था जिसमें वह सफल नहीं हो पाया इसी आशय की शिकायत थाने शहडोल में किराएदार संतोष नामदेव और राजेश गुप्ता ने दर्ज कराया है पुलिस थानाा ने आईपीसी की धारा 294,506,247 के तहत प्रकरण दर्ज किया है 

देखना यह होगा की ऑपरेशन शंखनाद को चुनौती देने वाले इन भूमाफिया और सूदखोर के खिलाफ क्या पुलिस अधीक्षक उतनी ही ताकत के साथ संघर्ष करते दिखाई देते हैं जितनी शहडोल के अन्य क्षेत्र में पूरे दलबल के साथ दिखाई दिए थे...? यह चुनौती इसलिए भी है क्योंकि उनकी पुलिस कैंप यहां 24 घंटा लॉकडाउन के दौरान चौकीदारी करता रहा और भू माफिया अतिक्रमण का षड्यंत्र करने में अपराध करने में कोई परहेज नहीं किया। और इससे यह बात प्रमाणित भी होगी कि सत्ता के संरक्षण में अतिक्रमण और सत्ता के विरोध में अतिक्रमण करने वालों के साथ शासन व प्रशासन का रवैया किस प्रकार का प्रदर्शित होता है। तब और ज्यादा जब कलेक्टर शहडोल डॉक्टर सत्येंद्र सिंह स्वयं लॉकडाउन के पूर्व 2 मार्च को इस शासकीय नजूल भूमि के रक्षा करने के उद्देश्य नजूल लीज को निरस्त किया हो।

 गौरतलब इसलिए भी होगा क्योंकि इसी भूमि पर स्थित अवैध निर्माण को पाते हुए 580 वर्ग फिट


भूमि पर तत्कालीन तहसीलदार सोहागपुर बीके मिश्रा ने अवैध निर्माण करने वाले नेमचंद जैन चंद्रलोक वस्त्रालय के खिलाफ आदेश पारित करते हुए 90000रुपये का अर्थदंड का जुर्माना लगाया था और जब अतिक्रमण हटाने गए थे तब 1 दिन पहले तत्कालीन कलेक्टर ललित दायमा इसी दुकान में कपड़ा खरीदने पहुंच गए थे।

फिर जहां अतिक्रमणकारी नेमचंद और कलेक्टर दायमा की घंटों मुलाकात हुई। जिसके साक्षी शहडोल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रमुख स्वयं बने रहे। इस तरह इस सरकारी जमीन की लूटपाट का क्रम सत्ता के संरक्षण में होता रहा और अभी तक भू माफिया और सूदखोर के खिलाफ ऑपरेशन शंखनाद का कोई शंख नहीं बजा।

 अब लॉकडाउन के दौरान पुलिस की चौकीदारी में हुए वारदात को शासन और प्रशासन कितना तवज्जो देगा यह दिखने वाले प्रशासन का प्रमाण पत्र होगा। फिलहाल किरायादार राजेश गुप्ता बालकिशन और संतोष नामदेव की अजीबका पुलिस के संरक्षण में लॉकडाउन के बाद खत्म होती दिखाई दे रही है...।

 यह भी रोचक बात है भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बड़े नेता जो स्वयं को बताते हैं वह सब इसी जमीन के इर्द-गिर्द दुकानदार के रूप में इस घटनाक्रम को मूक-बधिर होते नजदीक से देख रहे हैं और प्रभावित लोगों को न्याय दिलाने में स्वयं को अक्षम पा रहे हैं। बेहतर होता की 35-40 साल से अपनी आजीविका चलाने वाले राजेश गुप्ता को क्या इस पुलिस प्रशासन से न्याय मिल पाएगा...? उसकी अजीबका क्या अभी संरक्षित रहेगी क्योंकि उसे आशंका है कि नगरपलिका कहीं उसके किराएदारी को खत्म करने के लिए दुकान ही ना हटाने का काम कर जाए...? जबकि नगर पालिका स्वयं उसे अतिक्रमण मुक्त घोषित कर चुकी है। और यदि ऐसा होता है तो हमाम में सब नंगे हैं यह भी प्रमाणित होगा। क्योंकि नगरपालिका शहडोल के आवेदन पर ही तहसीलदार बीके मिश्रा ने अवैध निर्माण पाते हुए ₹90000 का अर्थदंड सुनिश्चित कर नेमचंद का अतिक्रमण हटाने का आदेश पारित किया था।

 तब जबकि पुलिस ने चौकीदारी इसीलिए संभाली थी कि आप लॉकडाउन का पालन करो हम आपकी सुरक्षा करेंगे। तो क्या पुलिस का वचन झूठा था यह गांधी चौक शहडोल में देखने को मिलेगा अगर वास्तविक अपराधी पकड़े जाते हैं तो अन्यथा "रामराज में लूट है लूट सके तो लूट..." पुनः प्रमाणित होगा।



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