गुरुवार, 6 मई 2021

सभी बने फ्रंटलाइन वर्कर, हिमाद्री

 मामला पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर बनाने का..


मारा तो छक्का ही है, सवाल यह है कि गिना जाता है या नहीं ...?

 क्योंकि शहडोल के जितने भी आदिवासी नेता रहे उन्हें गुलाम बनाकर रखने की आदत कांग्रेस में भी रही और भाजपा में भी... भाजपा ने तो मेहनत करना जाना ही नहीं। वह तो सीधे हाईजैक कर लेती थी। दलपत सिंह परस्ते के बाद श्री मति हिमाद्री सिंह उनके लिए सिर्फ लंबी रेस का खेल है। बहराल जब से श्रीमती हिमाद्री सिंह सांसद बनी है उन्होंने संसद में लोकप्रिय प्रश्न नागपुर के लिए आवश्यक ट्रेन सुविधा की मांग की थी  नागरिकों को मेडिकल हब नागपुर पहुंचने के लिए  सुविधा प्राप्त हो। यह अलग बात है कि उन्हें यह रास नहीं आया और जब रेलवे की बजट आया तो शहडोल की युवा सांसद की मांग को दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया गया।

 ठीक है उन्हें यह लगा होगा कि दलितों और आदिवासियों को भूखे पेट टुकड़े फेंके ही जाते हैं क्या जरूरत है मेडिकल सुविधाओं की...? चलिए मान लेते हैं सेठ साहूकार  हमेशा दलितों का दमन किए हैं.. इसलिए दिल्ली ने श्रीमती हिमाद्री सिंह सांसद को बजाय प्रोत्साहित करने के निराश कर दिया।

 इस बार फिर बारी आई है और संविधान में माननीय राष्ट्रपति जी के संरक्षण में विशेष आदिवासी प्रक्षेत्र शहडोल क्षेत्र संविधान की


पांचवी अनुसूची में शामिल होने के कारण अपने प्रतिनिधि के जरिए ही अपनी बात लोकतंत्र तक पहुंचा सकता है । अब बात इस पत्र की जो उन्होंने मुख्यमंत्री जी को लिखा। मुख्यमंत्री जी ने भी यह झूठ चिल्ला-चिल्ला कर बोला कि उन्होंने शहडोल संभाग को गोद में लिया है। बावजूद इसके उन्होंने शहडोल संभाग के उसके मूलभूत हक्क और अधिकार स्वरूप में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारिता का संभागी कार्यालय शहडोल में नहीं खोला।

 जिसका परिणाम यह हुआ की पत्रकारों की अधिमान्यता संबंधी जो समिति बनाई जानी चाहिए थी वह रीवा  शहडोल के कोटा को भी खा जाते थे परिणाम स्वरूप शहडोल में अधिमान्य पत्रकार  20-30  साल से पत्रकारिता से जुड़कर सेवा करने वाले पत्रकारों को चिन्हित करके उन्हें अधिमान्यता नहीं दिया गया। बल्कि जिन लोगों ने आवेदन भी किए और उनका अधिमान्यता किया जाना था उसे भी भ्रष्टाचार में बेच दिया गया और रीवा के या अन्य लोगों को दे दिया गया।

 ऐसे में जब कोविड-19 का दौर आया और मुख्यमंत्री जी अधिमान्यता क्राइटेरिया बनाकर कोविड-19 फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में घोषणा की तो शहडोल के पत्रकारों के साथ तो पूरी तरह से विश्वासघात जैसा काम किया गया।

 यह अलग बात है कि पूरे मध्यप्रदेश में यही विश्वासघात गैर अधिमान पत्रकारों के रूप में हर उस पत्रकार के साथ हुआ जो आपके गैर जिम्मेदार व्यवस्था या सिस्टम के कारण पत्रकारिता के पेसे में आए, नए व पुराने पत्रकारों के साथ लगातार शोषण और दमन किया जाता रहा है । पत्रकारिता के क्षेत्र में शहडोल काला पानी के रूप में इसलिए भी दर्ज है क्योंकि शहडोल में जो अपने आप को लीड अखबार कहते हैं चाहे भास्कर हो अथवा पत्रिका इनके एक भी  पत्रकार फ्रंटलाइन वर्कर की श्रेणी में नहीं दर्ज होते क्योंकि उन्हें अधिमान्यता दी ही नहीं गई क्योंकि यदि  नीतियां ही दोषपूर्ण है तो अधिमान्यता मिलेंगे कैसे बहराल ऐसे में 95% पत्रकार अधिमान नहीं है तो यह नीति गत कमियों के कारण है क्योंकि स्वतंत्र सोच रखने वाला पत्रकार आपका गुलाम नहीं हो सकता। देखना यह भी होगा कि क्या पत्रकारों के हित में अन्य विधायक गण भी फुंदेलाल जी की तरह मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखेंगे...?

बहरहाल पर्दे की ओट में जो कुछ भी होता था वह हुआ क्योंकि सिस्टम ऐसा ही था किंतु अब जबकि महामारी में कीड़े मकोड़ों की तरह है लोग मरने को विवश हैं। इस व्यवस्था में भी अगर शोषणकारी नीतियां विशेष आदिवासी क्षेत्रों में बनती हैं या क्रियान्वित होती हैं तो यह दुर्भाग्य है कि लोकतंत्र को कमजोर से कमजोर करना चाहते हैं।

 इस हालत में पांचवी अनुसूचित क्षेत्र की लोकसभा क्षेत्र के सांसद द्वारा लिखे गए पत्र का महत्व बढ़ जाता है अब यह अलग बात है कि आप जैसे पत्रकारों को शोषण और दमन को नियमित रखना चाहते हैं ठीक उसी प्रकार से सांसद का भी शोषण और दमन बरकरार रखना चाहते हैं तो रखिए। हमारे सांसद को भी यह सोचने समझने और अध्ययन करने का अवसर मिलेगा कि दमन और शोषण आदिवासी क्षेत्रों के नागरिकों की नियत है। और अगर माननीय महामहिम राष्ट्रपति जी के संरक्षण में यह सब हो रहा है तो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और निंदा जनक तो है ही। इसलिए सांसद जी के पत्र का हम बहुत अभिनंदन करते हैं और आशा करते हैं कि वह हमारी सच्ची नेता बनकर न सिर्फ अनुसूचित क्षेत्र के पत्रकारों और गैर पत्रकारों अथवा पत्रकारिता के कार्य करने वाले सभी लोगों के लिए बल्कि प्रदेश के पत्रकारिता क्षेत्र के लोगों का संरक्षण करेंगे ।बहुत-बहुत शुभकामनाएं।


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