कम आया है, पशु-पक्षी के चरित्र में खरगोश, बंदर,मगर; मिट्ठू,कौवा और सूअर आदि जंगली जानवरों पर लेखक ने ज्यादा फोकस किया।
विष्णु शर्मा अगर आज जिंदा होते तोआज कुत्तों पर फोकस करते । आधुनिक मानवीय सभ्यता में कुत्ता सबसे विश्वस्त जानवर रहाहै। हमने बड़े-बड़े नेताओं को कुत्तों के साथ खेलते हुए देखा है, अटल बिहारी वाजपेई उनमें से एक हैं... हाल में स्वदेशी कुत्तों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोकस किया था... तो कुत्ता किस नस्ल का होना चाहिए इस पर भी खूब चर्चा हुई ।
शहडोल संभाग भू माफियाओं का नया स्वर्ग है रेत की तस्करी मैं कथित 5 साल के अनुबंध पर जिला स्तर पर ठेकेदारी का नकाब पहनकर कई मुरारी रेप तस्करी का बंसी बजा रहे हैं..., जिन्हें चिल्ल-पों करना हो, करते रहे... नए इंडिया में इसकी कोई जगह नहीं..।
किंतु शानदार अपनी चौथी पारी खेल रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कुछ अलग हटके कहा था कुछ ऐसा "माफिया को जिंदा गाड़ देंगे..." लेकिन अगर माफिया कुत्ते पालना सीख जाएं, अपनी चौकीदारी के लिए तो फिर उन्हें जिंदा कैसे गाड़ा जाएगा..., यह बड़ा प्रश्न है।
अगर कुत्ता कांग्रेस-नस्ल, भाजपा नस्ल, समाजवादी नस्ल का या किसी राजनैतिक नस्ल का है तो समझा जा सकता है कि कुत्ता किस विचारधारा से ओतप्रोत है। और कैसी चौकीदारी करने में दक्ष है। और इसी को ध्यान में रखकर शिवराज सिंह जी ने उन्हें यानी माफिया को जिंदा गाड़ने की बात सोची रही होगी.... लेकिन अगर कुत्ता Rss विचारधारा का है और वह किसी माफिया की चौकीदारी कर रहा है तो उसे कैसे जिंदा गाड़ा जाएगा यह बड़ा प्रश्न है...?
और अगर वह उस माफिया की चौकीदारी करता हो जो शहडोल मोहनराम मंदिर ट्रस्ट मे अवैध निर्माण करता रहा तो उसे कैसे जिंदा गाड़ा जाएगा.? यह इसलिए भी बड़ा प्रश्न है क्योंकि एक तो राम, ऊपर से नस्ली विचारधारा... दो-दो योग्यताधारी कुत्ता जब किसी की रक्षा करता है तो उसे जिंदा नहीं गाड़ा जा सकता और वे सुरक्षित रहते हैं।
यह बात प्रदेश ही नहीं देश के माफियाओं को भी गांठ-बांध आईकॉन कर रखना चाहिए क्योंकि ऐसा विशिष्ट योग्यता धारी कुत्ता जिन लोगों ने भी शहडोल में पाला है उन्हें हमारे
स्वी मुख्यमंत्री भी जिंदा नहीं गाड़ पाए हैं। और वे लगातार भ्रष्टाचार की माफिया गिरी की चंद्रलोक में चमक रहे हैं।
आचार्य विष्णु शर्मा होते तो सिर्फ जंगल पर नहीं "जंगल और मानव समाज" मे आज मिलकर कोई नया "वर्णसंकर- पंचतंत्र" लिख रहे होते हैं... जो कुछ इसी प्रकार का होता है... इसमें शहडोल मे अपनी निजी धन और संपत्ति के दानदाता पूजनीय स्वर्गीय मोहनराम पांडे द्वारा निर्मित मंदिर के "गरीब राम" को लूटने के लिए विशिष्टनस्ल का कुत्ता माफिया की चौकीदारी कर रहा होता। क्योंकि अयोध्या के अमीर राम के लिए भजन-मंडली करने वाले और चंदा इकट्ठा कर करोड़ों रुपए "अमीर-राम" की पत्थर की मूर्ति और मंदिर के लिए जो दिन रात चंदा एकत्र कर फोटो सहित फेसबुक में छाए रहते हैं उन्हें शहडोल के "गरीब-राम" से कोई लेना देना नहीं है।
शहडोल के "गरीब-राम" की गरिमा को वहां पर अवैध निर्माण करवा कर राम मंदिर लूटने वाले और लूट का हिस्सा "अमीर-राम" को पहुंचाने वाले शहडोल के हिंदुत्व और राम से कोई नाता नहीं रखते,
शायद यही कारण है कलेक्टर शहडोल के निर्देश के बाद भी अवैध अतिक्रमण रुका तो जरूर, बाद में विशिष्ट-नस्ल के कुत्तों के संरक्षण में डंके की चोट पर अवैध निर्माण और अवैध कार्य पुनः चालू हो गया.... इसलिए भी विशिष्ट-नस्ल के कुत्तों को पालना कॉर्पोरेट जगत के लिए वरदान साबित हो रहा है..।
जैसे शहडोल संभाग में रेत तस्करी पर रेत
माफिया के लिए, उनके विशिष्ट-नस्ल के पालतू कुत्ते ट्रांसपेरेंट-लोकतांत्रिक-माफिया-गिरी के लिए वरदान बने हैं फिर विंध्य पर्वत श्रंखला को हिमालय का पहाड़ तो है नहीं जहां शिव का कहर पर्यावरण विनाश का दंड देता हो। हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी के लिए यह भी एक बड़ी चुनौती है। कि वह ऐसे भू-माफिया, रेत-माफिया को जिंदा कैसे गाड़े..?
फिलहाल तो सड़क माफिया और कारपोरेट माफिया के गिफ्ट से मिली नहर की लाशों का हिसाब उन्हें तंग कर रहा होगा...
क्योंकि कॉर्पोरेट माफिया को भी जिंदा रखना है और वोट बैंक को भी... क्योंकि अगर लालकिले में तिरंगा का अपमान किए जाने का रास्ता किसी हरदीप सिंह सिद्धू के लिए सड़क मार्ग खोल दिया जाता है तो नहर में नागरिकों सुनियोजित हत्या का मार्ग रीवा अमरकंटक सड़क मार्ग "छुहिया घाटी" के तरफ जाम लगाकर बंद भी किया जा सकता है...? ताकि दुर्घटनाएं आसानी से हो सके और समूह में लोग नहर में डूब कर मर सके, क्योंकि "चुल्लू भर पानी में डूब कर मरने" की कहावत पुरानी हो चुकी है...।
इसलिए टुकड़े-टुकड़े खबरों में रीवा अमरकंटक सड़क मार्ग में मरने वालों की भी कोई गिनती नहीं होती, क्योंकि "माफिया को जिंदा गाड़ने" का नया कहावत नए जुमले को भी बनाए रखना है...। आखिर विशिष्ट-नस्ल के कुत्तों को पालने वाले नई कहानियों के सूत्रधार जो हैं.... ।
अगर आचार्य विष्णु शर्मा आज होते तो कुछ इसी प्रकार की बेसिर पैर की "वर्णसंकर पंचतंत्र" का निर्माण करते हैं... ऐसा हम सोचते हैं.. जिसे कुछ टीवी चैनल "आधा हकीकत-आधा फसाना" बताते हैं..., ना सच, ना झूठ..... सच मानो तो सच झूठ मानो तो झूठ....।
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