मंगलवार, 2 फ़रवरी 2021

मंदिर वहीं बनाएंगे, जय श्रीराम.

 बजट में नहीं आया प्रधानमंत्री के फोन कॉल का रिचार्ज वाउचर पेमेंट

मंदिर वहीं बनाएंगे,

जय श्रीराम...


जय श्रीराम...

(त्रिलोकीनाथ)

इस प्रकार के नारे लगाते हुए आज शहडोल में प्रभात फेरी देखी, क्योंकि मेरे रास्ते से  वे आगे निकल गए थे..  कोई 30-40 लोगों का हुजूम भगवा झंडा लिए और पीछे कुछ पुलिस केे कर्मचारी,क्योंकि उनके पास वायरलेस सेट दिखा, जो संभवत  उनकी मॉनिटरिंग के लिए लगाए गए रहे होंगे। यह तय कर पाना मेरे लिए शहज नहीं था कि शहडोल के बहुतायत लोग थे अथवा बाहर से आए हुए या फिर विश्व हिंदू परिषद तोगड़िया गुट के लोग थे या फिर अन्य हिंदूू पंथी जन थे।क्योंकि यह एक जागरूकता का कार्यक्रम भी रहा होगा। 

भारत में आजादी के पहले जब देश गुलाम था तब इसी प्रकार प्रभात  फेरी जन-जागरण का हिस्सा होती थी, ऐसा हमनेे पढ़ा ।या फिर जो सिर्फ देखते आ रहे थे वह कि हमारे यहां गुरुद्वारा से प्रभात रैलियां, संगीत भजन के साथ अक्सर निकलती रही है... बेहद सुखद और प्रेरणादाई अनुभव  मानस पटल पर छोड़ती हुई... ।

बहरहाल अब मंदिर बन रहा अयोध्या का और कितनेेेेेे हजार या लाख करोड़ रुपए की जरूरत होगी यह अपन नहीं बता सकते।

   अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि स्थित एक और मंदिर ट्रस्ट के मंदिर निर्माण की जिम्मेवारी  ट्रस्टी चंपत राय के पास भी है। हम तो शहडोल मोहनराम मंदिर ट्रस्ट की बर्बादी के गवाह है क्योंकि यहां का हिंदू सनातन धर्म केे हिंदू इतने जागरूक नहीं है, जितने हिंदुत्वव के हिंदू ...यह अलग बात है इसमें बहुत से  हिंदू,  अयोध्या के  लिए चंदा मांग रहे हैं  जो  इस बर्बाद होती राम मंदिर के  साक्षी भी हैं  और  बर्बादी के  कारण भी ।

और सच बात यह भी है हमें जब चंदे की जरूरत पड़े तो हमने कभी प्रभात रैली के लिए जन जागरण अभियान भी नहीं चलाया  था। भविष्य में इस अनुभव का लाभ शायद मोहन राम मंदिर ट्रस्ट शहडोल को पापियों और अधर्मीयों से मुक्ति का कारण बन सके। यह फिलहाल शुभकामना है ....।

 30 जनवरी को प्रधानमंत्री जी बाबा नरेंद्र मोदी का एक बयान जनसत्ता में प्रमुख खबर के रूप में आया उससे लगा इतना चंदा तो मेरेेे पास था अगर कोई नंबर होता या किसी बैंक

खाते में मै भेज पाता तो ₹10 का एक चंदा भेजता ताकि मोदी सरकार के मुखिया नरेंद्र मोदी जी एक फोन रिचार्ज वाउचर डलवा लेते ताकि एक फोन कर सकते, किसानोंं को और उस फोन कॉल के जरिए किसानों सेेेे बात हो पाती। जिस कारण  करीब पौने दो सौ किसान  इस किसान आंदोलन में शहीद नहीं हो पाते।  ना ही  करोड़ों किसान  इस किसान आंदोलन से स्वयं को कुचले जाने  की प्रताड़ना से  बचा पाते। अपना मान-सम्मान अपने फटे-आंचल में छुपा पाते।  और इन सबसे बड़ी चीज भारत की आजादी में प्रमुख चेहरा बनने वाला दिल्ली का लाल किला स्थित तिरंगे की प्राचीर पर कोई सिरफिरा गंदी राजनीति की नाजायज पैदाइश, कोई सिद्धू ,तिरंगे झंडे का अपमान का साहस कर पाता...? किंतु मेरे पास प्रधानमंत्री जी को देने के लिए  क्या  इतना भी चंदा नहीं था ...? कि वह एक फोन कॉल पर पाते...।

 

बहुत अच्छी बात है कहते हैंं भारत में देर.... है अंधेर नहीं... और भगवान सबकी सुनता है। बाबा जी कि नींद भी टूटी है और उन्हें इस बात का दुख भी कि किसान आंदोलन सिर्फ एक फोन कॉल की जरूरत पर टिका है। जहां इंटरनेट सेवाएं खत्म की जा रही हो.. जहां शारीरिक, मानसिक,  व्यावहारिक , प्रताड़ना की  गंगा बह रही हो  वहां  आखिर कृषि संचार मंत्रालय  मृत क्यों पड़ा है..  कि प्रधानमंत्री जी को  इस बात की गरीबी है कि एक फोन कॉल  सब कुछ बदल सकता है....?

 

तो यह चिंतन और मंथन मेरे जैसे आदिवासी क्षेत्र् में मुझ जैसे आदिवासी पत्रकार को परेशान करता है की प्रभात फेरी के आखिर जन जागरण किसान आंदोलन के यह किसानों के हितों के लिए  क्यों नहीं हो रहे हैं....? आखिर इन प्रभात फेरीओं के जरिए पुलिस सुरक्षा व्यवस्था में इतना चंदा इकट्ठा क्यों नहींं किया गया ताकि प्रधानमंत्री बाबा नरेंद्र मोदी सिर्फ एक फोन कॉल  कर सकें  और उनकी चिंता यह मिट सके कि किसानों का हित पूरा हो जाए...?

 

क्या भारत में एक भी ऐसा जागरूक मर्द समाज नहीं है जो इस गरीब देश की एक फोन कॉल का पेमेंट कर सकें...?

 

यह बात हालांकि जब से कृषि बिल पैदा हुआ है तब से  चुभती चली आ रही है किंतु हमारे जैसे लावारिस सोच वाले नागरिक को विशेष तौर से जब से बड़े बडे बुजुर्ग महिला बच्चे किसान परिवार दिल्ली की सड़कों में पिछले 2 माह से  कड़क ठंडी में  ठिठुर रहा है  तब से परेशान किए हुए।

 

और आज जब मंदिर वहींं बनाएंगे, जय श्रीराम जय श्रीराम... पुलिस के संरक्षण में मेरी गली से गुजरा जो शायद मेरे मोहनराम मंदिर की गरीबी को दूर करने का जन जागरण रैली नहींं थी बल्कि जन्म योगी राम की धरातल पर बनने वाले बालक राम के लिए  यानी रामलला के लिए था, तो बुरा तो लगता ही था कि आखिर यह रैलियां प्रधानमंत्री को फोन कॉल के चंदे के  लिए  क्यों नहीं की जाती... ताकि हमारे प्रधानमंत्री किसानोंं अन्नदाता से बात कर सके...?

 

परम परमात्मा भगवान राम से यह विनती भी है कि भारत भाग्य विधाता किसानों के लिए जन जागरण अभियान चले... प्रभात फेरी मैं उनको भी कोई चंदा देने वाला हो.... ताकि मदहोश सत्ताधीश-चमचा-समाज उन पर राष्ट्रद्रोही होने का फंडिंग एकत्र का आरोप न लगा सके... और ऐसेे नारे भी हर गलियों में गूंजे....

 भारत यहीं बनाएंगे....

  जय श्रीराम जय श्रीराम 


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