बुधवार, 3 फ़रवरी 2021

विस्तारित हिंदू राष्ट्र की सीमा भी क्या जुमला था (त्रिलोकीनाथ)


विस्तारित हिंदू राष्ट्र की सीमा भी क्या जुमला था 





क्यों दिल्ली के इर्द-गिर्द

चर्चित हो रहे हैं बॉर्डर

×××××××त्रिलोकीनाथ×××××××××××××××

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे,

त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोहम् ।

महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे,


पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते ।।१।।

प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता,

इमे सादरं त्वां नमामो वयम् |

त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयं,

शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये |

अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिं,

सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत् |

श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं,

स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत् ।।२।।

समुत्कर्षनिःश्रेयसस्यैकमुग्रं

परं साधनं नाम वीरव्रतम्

तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा

हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्रानिशम् ।

विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्

विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम् ।

परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं

समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम् ।।३।।


इस का हिंदी भावार्थ  कुछ इस प्रकार  है  जो इसके साथ ही  प्रकट किया गया है 

हे परम वत्सला मातृभूमि! मै तुझे निरंतर प्रणाम करता हु, तूने सब सुख दे कर मुझको बड़ा किया|   हे महा मंगला पुण्यभूमि! तेरे ही कारण मेरी यह काया, तुझको अर्पित, तुझे मै अनन्त बार प्रणाम करता हुं। हे सर्व शक्तिमय परमेश्वर! हम हिन्दुराष्ट्र के अंगभूत घटक,तुझे आदर पूर्वक प्रणाम करते है।

तेरे ही कार्य के लिए हमने कमर कसी है।उसकी पूर्ति के लिए हमें शुभ आशीर्वाद दे। सारा विश्व का सामना कर सके, अजेय ऐसी शक्ति दे सारा जगत विनम्र हो, ऐसा विशुद्ध (उत्तम) शील|तथा बुद्धि पूर्वक स्वीकृत, हमारे कंटकमय मार्ग को सुगम करे,ऐसा ज्ञान भी हमें दे।अभ्युदय सहित निःश्रेयस की प्राप्ति का,वीर व्रत नामक जो सर्वश्रेष्ठ, साधन है,उसका हम लोगों के अंत:करण में स्फुरहण हो,हमारे हृदय मे, अक्षय तथा तीव्र ध्येयनिष्ठा सदैव जागृत रहे।तेरे आशीर्वाद से हमारी विजय शालीन संघटित कार्य शक्ति,धर्म का रक्षण कर ।

अपने इस राष्ट्र को परम वैभव की स्थिति,पर ले जाने में अतीव समर्थ हो ।

और अंत में भारत माता की जय हमेशा जुड़ जाता है

दरअसल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इस प्रार्थना में और उस कल्पना में जिस का नक्शा कुछ इस प्रकार से है


उसके बॉर्डर्स यानी सीमाओं को जब पहचानने का प्रयास करता हूं तो वर्तमान भारत मुझे छोटा दिखता है...।

 तो लगता है की हमारी बॉर्डर अगर कथित हिंदू राष्ट्र जब विस्तारित होगा, तो वर्तमान से बड़ा होगा अभी हम जब बॉर्डर का नाम सुनते हैं तो पाकिस्तान बॉर्डर, बांग्लादेश बॉर्डर, चाइना बॉर्डर, नेपाल का बॉर्डर कभी माना ही नहीं, अफ़गानिस्तान बॉर्डर आदि मानते चले आ रहे हैं। स्वाभाविक रूप से जब नक्शा देखते हैं तो लगता है बॉर्डर का नाम कुछ दूसरा होगा। किंतु सिर्फ 6 साल में सत्ता की मदहोशी का आलम यह होगा कि कथित हिंदू राष्ट्र के संरक्षण में कल्पना-कार राजनीतिक संगठन भारतीय जनता पार्टी के शासन में हम दुनिया में इस बात के लिए चर्चित होंगे कि हमारे बॉर्डर्स सिंधु-बॉर्डर, गाजीपुर-बॉर्डर, टिकरी-बॉर्डर आदि-आदि नाम से जाने जाएंगे और इतना ही नहीं हमारी संपूर्ण हिंदुत्व की छमता और योग्यता जिसे हम "नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमि" कहते हैं वह दिल्ली के लुटियन जोंस के इर्दगिर्द सिमट कर रह जाएगी....?

  आखिर 56 इंच का सीना रखने वाले हमारे नरेंद्र मोदी की सरकार यह किस प्रकार का जुमला आर एस एस के हिस्से मेंं डाल रही है की 1924 को जन्मी आर एस एस 96 साल बाद दिल्लीके इर्द-गिर्द बॉर्डर के लिए ही नहीं राष्ट्रों की सीमावर्ती बॉर्डर की भांति आम रास्तों को जाम कर रही है ।क्या 96 साल में आर एस एस ने इन्हेंं  इतना भी ज्ञान नहींं दिया की किसी हरदीप सिंंह सिद्धू को  लाल किले के इर्द-गिर्द न फटकने दें; अगर सिख धर्म के "निशान-साहिब" का चिन्ह उस भगवा झंडेेे में नही होता, तो मुझे वह आर एस एस का झंडा नजर आता.... यह भ्रम अभी बरकरार है...।

 


बहराल जो हुआ सो हुआ, बंदरों के हाथ में उस्तरा रहेगा या दिया जाएगा तो या तो ऐसी फैक्ट्री से अर्णब गोस्वामी जैसा पत्रकार निकलेगा या फिर हरदीप सिंह सिद्धू जैसा कलाकार। आप इस मोहल्ले स्तर की बचकानी प्रदर्शन की छूट देनेेे के बाद भारत सरकार की राजधानी इर्द गिर्द नॉन डेमोक्रेटिक हिंदी में गैर लोकतांत्रिक सीमावर्ती स्तर के बॉर्डर्सस बना दें ,यह बेहद आपातकाल लागू होने की धमकी भी है...? तो जो हम लिख रहे हैं तो यह भी हमारे लिए जेल जाने का प्रबंध है...  लेकिन अगर किसान जिसने पौने दो सौ लोग शहीद हो गए हैं और लाखोंं करोड़ों मैं बेचैनी छाई हुई है तो हमें भी बेचैन होना चाहिए.... हमें भी दंडित होना चाहिए... कुत्ते और बिल्लियों की तरह,  और जोड़े तो  सूअर की तरह पेट भरने और जीने सेेे ज्यादा बेहतर है कि सड़कोंं में लोहकील लगाकर ,कांटो की तारे लगाकर, आप आर्थिक साम्राज्यवादी सत्ताके पूंजी पतियों की चौकीदारी नहीं कर सकते.... क्योंकि आप लोकतंत्र में चौकीदार हैं। 

उम्मीद करना चाहिए कि आर एस एस की वंदना का कोई एक भाव आपको जमीर जिंदा होने का सबब बन सके, हम तो इसलिए चर्चा करते क्या हम भी जिंदा है...., बस और कोई बात नहीं... क्योंकि हम जानते हैंं हमारी बात हमारे राजा-महाराजा तक पहुंचाने की शक्ति किसी में नहीं है.. इसलिए हम आपस में जिंदा होने की चर्चा करते हैं.....।

 या देवी सर्वभूतेषु तुष्टि रूपेण संस्थिता नमस्तस्ए नमस्तस्ए् नमस्तस्ए नमो नमः 


 

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