सोमवार, 3 अगस्त 2020

"रक्षाबंधन "से मुक्ति पा सकती है आपराधिक मनोवृत्ति (त्रिलोकीनाथ)

रक्षाबंधन का अपराधिक मनोवृति सुधार के लिए अब तक नहीं हुआ कोई काम।

(त्रिलोकीनाथ)
 पहले रिश्तो की गहराई के लिए चांद की जरूरत थी
 "चंदा रे, मेरे भैया से कहना...
 बहना याद करें।"
 क्योंकि प्रत्यक्ष रूप में बहन अपने भाई के पास नहीं थी उसे वह हर साल की तरह इस साल भी कच्चे रेशम की डोर से मजबूत बंधन में बांध नहीं पा रही थी। राजा बलि हमारी विरासत के महान दानी रक्ष संस्कृति के व्यक्तित्व शाली राजा के सृष्टि को सकारात्मक संचालन के लिए राजा बलि को रिश्ते में बांधना बहुत जरूरी था इस मंत्र का जन्म हुआ
रक्षाबंधन का त्यौहार सच माना जाए तो आपसी विश्वास त्याग और समर्पण का अनुपम उदाहरण है इसे नजदीकी से समझने के लिए जब भी कभी मौका मिले अवश्य किसी भी जेल में जाना चाहिए जहां बहने अपने जेल में बंद भाई के लिए या फिर भाई अपने जेल में बंद पहन के लिए आंसू बहाता मिल जाएगा। इन आंसुओं के पीछे भलाई उसकी तात्कालिक भावना प्रवाहित हो रही हो। किंतु लंबे अंतराल से मिलने के कारण वह भावना एक कैदी के लिए भी तरल हो जाती है। और फिर से सोचने का एक अवासर भी देती है सोशल काउंसलिंग का इससे शानदार उदाहरण दुनिया के किसी भी काउंसलर के पास नहीं है । किंतु हमारा समाज आपराधिक मनोवृत्ति को ठीक करने के लिए रक्षाबंधन का सदुपयोग करना अभी तक नहीं जान पाया है। खासतौर से जेल प्रशासन में पदस्थ कर्मचारी इसे मानवीय भावनाओं और गुणों के तहत प्राथमिकता तो देते हैं, किंतु उच्च निर्देशों में कानूनी जामा के रूप में और सकारात्मक परिवर्तन के लिए इसका सदुपयोग कहीं लिखित पर आया हो, देखा नहीं गया। जेल की घटना स्थल के रूप में दृष्टांत देना इसलिए जरूरी है की कच्चे रेशम की डोर में चढ़कर बहन और भाई की भावना सहृदयता का जो मजबूत बंधन बांधती है उसे स्वतंत्र जीवन में मुफ्त में मिली हुई चीज के रूप में समाज को नहीं देखना चाहिए।

 रक्षाबंधन का त्यौहार सिर्फ भाई-बहन के बीच का समर्पण का रिश्ता नहीं है बल्कि यह रक्षा करने के विश्वास का भी रिश्ता है और इसीलिए अक्सर विरासत में चतुरवर्ण व्यवस्था का ब्राह्मण अन्य वर्ण के लोगों को रक्षा सूत्र का बंधता रहा । ताकि रक्षा की वचनबद्धता भुलाई ना जा सके। जातिवाद की राजनीति ने रक्षाबंधन को तथाकथित मनुवाद से जोड़ दिया। कई जगह है कथित गैरमनुवादियों ने रक्षा सूत्र को अथवा रक्षा संकल्प को तोड़कर अपना वोट बैंक बढ़ाने का काम किए। और प्रोपेगेंडा भी खूब किया किंतु जब भी पवित्रतम रक्षा संकल्प में त्याग और समर्पण का सुनिश्चित करना होता है तब रक्षाबंधन फिर से कच्चे रेशम की डोर पर हमें तैयार मिलता है। प्रतिवर्ष रक्षाबंधन का त्यौहार निष्ठा पवित्रतम प्रेम प्रदर्शन का अनुपम उदाहरण है यही कारण है की तमाम प्रकार के संवेदनात्मक बाजारीकरण के बाद भी रक्षाबंधन का त्यौहार हमारी आशाओं को और उनकी अरमानों को ऊंचा ले जाता है इसलिए रक्षा सूत्र के महत्व पर बहने अपने भाइयों का प्रतिपल इंतजार करते हैं क्योंकि यही एक सूत्र है जो उन्हें बांध कर रखता है हिंदू सनातन धर्म कि यह विरासत एकदिन भाईबहन के नाम वर्षों से हर वर्ष समाज को उत्साहित करता चला आया ।इसलिए जब भी कभी पवित्रतम प्रेम की प्रवाह को तरलता में बदलते देखना हो तो अवश्य एक बार जेल का रक्षाबंधन देखना चाहिए।  इसकी कीमत हमें तभी एहसास होती है। मिडिएशन के युग में अपराधिक मनोवृति निवृत्ति इससे शानदार वादा शायद ही कोई न्यायालय कर पाए।


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