मंगलवार, 4 अगस्त 2020

कहीं दीप जले कहीं दिल....कोरोना के राम, तुझे सत-सत प्रणाम ( त्रिलोकीनाथ)

 कहीं दीप जले..., कहीं दिल.
कोरोना के राम, तुझे सत-सत प्रणाम ..      
    ( त्रिलोकीनाथ)
 
राम की चिड़िया, राम का खेत; चुग रे चिड़िया....


मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री कभी           फायरब्रांड नेता रही उमाभारती पर जब भाजपा का तत्कालीन राजनीतिक काकस उन्हें भारत के तिरंगा झंडा के सम्मान और लगे हाथ न्यायालय के सम्मान में नैतिकता का नकाब ओढ़ाकर मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद घर वापसी के दौरान मुख्यमंत्री पद पर बैठने का रास्ता बंद कर दिया तब अमरकंटक ही वह स्थान था जहां उन्होंने अपने बनवास के सबसे  कष्ट दाई समय को गुजारा।
 तब उमा भारती के सानिध्य में आने का अवसर लगा, वे अंदर जंगल से किसी आश्रम से "माई की बगिया" आंई, जहां प्रेस कॉन्फ्रेंस किया ।अर्द्धविक्षिप्त सी दिख रहीं थी।
  धार्मिक-परिवेश की उमाभारती आज पूरे आत्मविश्वास के साथ यह बोलती नजर आयीं,

"श्री राम जी सबके हैं, भाजपा का कोई पेटेंट नहीं है" इसके पहले  उन्होंने अपने साथ हुए धोखाधड़ी का और आत्मविश्वास का प्रदर्शन किया था कि "रामजी का काम हो गया है इसके लिए वह किसी भी त्याग को करने को तैयार हैं।, न्यायालय जो भी सजा देगी वह भोगने को तैयार हैं।"

 उमा भारती का व्यक्तित्व अपनी व्यक्तित्वसाली वाणी के लिए जगजाहिर हुआ। वे अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचा को गिराए जाने की गुनहगारों की सूची मैं अगुआ नेता है। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी आदि भी उसी क्रम पर हैं, विनय कटियार भी इसी सूची के हिस्सा है।
          बावजूद इसके सन्यासियों के चतुर्मास के दौरान कल जब तथाकथित अशुभघड़ी में अयोध्या के राम मंदिर निर्माण का शुभारंभ अयोध्या में होने जा रहा है तो उसमें मंच पर कथित तौर पर 5 लोग के बैठने की खबर है। राम मंदिर भूमि पूजन के लिए स्टेज पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ 4 अन्य लोग रहेंगे. ये लोग आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और महन्त नृत्य गोपालदास हैं. भूमि पूजन में अशोक सिंघल के परिवार से महेश भागचंदका और पवन सिंघल मुख्य यजमान होंगे.

कुल 175 मेहमानों को भेजा न्योता

श्रीराम जन्मभूमि पर राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन के लिए 175 मेहमानों को न्योता भेजा जा चुका है. 36 आध्यात्मिक परंपराओं से संबंध रखने वाले 135 पूज्य संत भी कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे. नेपाल से हिंदू संतों को भी आमंत्रित किया गया है. अयोध्या के कुछ प्रख्यात लोगों को भी आमंत्रित किया गया है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र का यह भी कहना है कि कोविड19 महामारी के कारण कुछ मेहमानों के आने में मुश्किलें हैं. मौजूदा हालात में 90 साल से अधिक के लोगों का आना उचित नहीं है. वहीं चातुर्मास के कारण पूज्य शंकराचार्य जी व कई अनय पूज्य संतों ने आने में असमर्थता जताई है. इस तरह  द्वारका पीठ और पुरी के शंकराचार्य  स्वरूपानंद सरस्वती जी  महाराज ने कल के 5 अगस्त को  राम मंदिर निर्माण की तिथि  के हिसाब से  अशुभ घड़ी घोषित किया है। मतलब तय है कि वे हिंदुत्व ब्रांड की सत्ता के नजर में द्रोही हैं। तो उन्हें भी इस कोरोनाकाल के मंदिर निर्माण के  कथित 175  आगंतुकों  के  निमंत्रण की सूची में  शामिल नहीं किया गया होगा..?
     क्योंकि अयोध्या के  राम जन्मभूमि  मंदिर  में रामलला के  मुख्य पुजारी  सत्येंद्रदास  भी मंदिर निर्माण कर्ताओं के  सोच के विपरीत  अक्सर  आलोचनात्मक  दिखने वाले  भाषा का  विचार प्रकट कर दिया करते थे,  इसलिए  उनको  कोरोना-पॉजिटिव का घोषित करते हुए क्वारंटाइन कर दिया गया है। क्योंकि जैन समुदाय से बताए जाने वाले गृह मंत्री अमित शाह भी कोरोनापाजिटिव होकर मेदांता प्राइवेट हॉस्पिटल में एकांतवास में चले गए हैं। अतः वह भी सत्ता के हिंदुत्व के इस राममंदिर के शुभारंभ पर 5 लोगों के बैठने की श्रेणी में नहीं आएंगे। अभी यह भी पता नहीं चला है कि 5 का अंक का रहस्य क्या है जो हिंदुत्व की सत्ता इस पर मोहित है।
 
     बहरहाल अब जब उमा भारती ने हिंदुत्व से निकली सत्ता के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है तो मेरी क्या बिसात है कि सत्ता के संरक्षण में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय को आंख दिखाते शहडोल के मोहनराम मंदिर के अनाधिकृत कब्जे के खिलाफ कलेक्टर, कमिश्नर को बात करूं, और यदि मैं करता भी हूं तो उनकी भी क्या
बिसात कि वे उच्च न्यायालय के आदेश का क्रियान्वयन करवा सकते हैं....? यह प्रश्न चिन्ह एक कीड़े की तरह  मेरे मन में कुलबुला रहा है .....?

     अगर हिंदुत्व की सत्ता से संरक्षित कोई धार्मिक नकाबधारी ट्रस्टी मोहनराम मंदिर में पिछले 9 साल से उच्च न्यायालय के आदेश को "अपने जूते की नोक में रखकर" राम मंदिर से जुड़ी अचल संपत्ति में खुलेआम डाका डालते हुये और धोखे से वह प्रमाणित भी हो जाए कि वह एक अतिक्रमणकारी अपराधी है
तो ऐसे अपराधियों के खिलाफ सिर्फ इसलिए कार्यवाही न की जाए क्योंकि वह भारतीय जनता पार्टी के लोग हैं यह उन से संरक्षित हैं, यह वर्तमान लोकतंत्र का भयानक चेहरा है...।
 अगर यह चेहरा कांग्रेस पार्टी की कमलनाथ सरकार में भी अपने अपराधों को संरक्षित करने में सफलता प्राप्त कर लिया है तो इस वर्णसंकर धार्मिक अतिक्रमणकारी को छूना प्रशासन के लिए, प्रशासन में बैठे हुए किसी भी स्तर के योग्यताधारी अधिकारी के लिए एक चुनौती है....और स्वयं को परीक्षण करने का समय भी कि उसने जो शिक्षा-दीक्षा या प्रशासनिक-दक्षता प्राप्त की है उसकी रक्षा कर पाने में क्या 1% भी वह सफल रहा है.....?
 यही वर्तमान लोकतंत्र की असफलता की गारंटी भी है। जो प्रमाणित करती है धार्मिक नकाब पहनकर साधु के रूप में किस प्रकार से रावण ने "राम की सीता" का का अपहरण किया था। यह दृष्टांत वर्तमान में अयोध्या में भी दिख रहा है। और शायद उसे उमा भारती देख रही है। शहडोल में हम भी देख रहे हैं। मोहनराम मंदिर के मामले में और अब अमरकंटक से भी एक खबर पुष्ट हो रही है ।

हिंदुत्व की सत्ता में संरक्षित मृत्युंजय आश्रम का कोई ड्राइवर की कोई पत्नी , उमाभारती के तीर्थ नगरी अमरकंटक में कथित तौर पर तहसीलदार के न्यायालय की आदेश को "जूते की नोंक" में रखते हुए लगातार अतिक्रमण करा रही है।

शिकायतकर्ता शीला जयसवाल इस बात से बहुत नाराज हैं क्योंकि वह 70 साल से निवासी होने के बावजूद भी अपनी अधिकारिता को कानूनी जामा नहीं पहना पाई है, क्योंकि उनसे भी एक बड़ी घूस की राशि मांगी गई थी और उन्होंने नहीं दिया था। बावजूद इसके कथित तौर पर इस घूस की राशि मांगने वाले नगर पंचायत परिषद अमरकंटक कि पदधारी एक महिला द्वारा गैरकानूनी तरीके से खुलेआम पक्का निर्माण कराकर अतिक्रमण किया जा रहा है। और उसे रोकने में वहां के तहसीलदार, कलेक्टर और शायद कमिश्नर भी असफल सिद्ध हो रहे हैं। 
यह धार्मिकनकाब का कट्टर चेहरा है। जो तानाशाह है, जो राजा की वह पिलई भी है जो जहां इच्छा पड़ती है किसी के आटे में कभी भी मूत आती है" यह हिंदुत्व ब्रांड से जुड़े होने का मामला है, अतः  अगर वीर संघर्षवाली उमाभारती ने आत्मसमर्पण कर दिया है  सजा भोगने को तैयार हैं राम के नाम पर तो हमें भी राम के नाम पर सब कुछ लूटते देखना चाहिए.....।
 लेकिन अल्लाह के नाम पर धनपुरी रीजनल हॉस्पिटल के सामने कोई  सिद्दीकी राष्ट्रीय राजमार्ग पर खसरा नंबर 351 में खुलेआम


अतिक्रमण करता है तो उसे रोकने की बजाय शिकायतकर्ता को रोकने का काम के साथ ही संबंधित राजस्व आमला इस अतिक्रमण को बिना पूर्ण जांच के वैध करार करता है, यह तो नाजायज़ लगता है ।अगर बात हिंदुत्व के तानाशाह होने की है और उनके अतिक्रमणकारियों और गैरकानूनी लोगों को संरक्षण देने की है चूंकी सत्ता  हिंदुत्व है तो आत्मसमर्पण चाहे वह उमाभारती का हो ..... कुछ हद तक माना जा सकता है । 

किंतु अल्लाह के नाम पर ईमान को बेईमानी के साथ खरीद कर कोई गैर कानूनी कार्य हो..., उसे भी संरक्षण दिया जाए तो यह बात सिर्फ यह सिद्ध करती है कि ना ऐसे लोग, रामजी के हैं ना अल्लाह के... ना यह मंदिर के हैं ना मस्जिद के....
 यह तो सिर्फ एक विचारधारा है भ्रष्टाचार की, तानाशाह की और खुली डकैती डालने की विचारधारा.... जो समय समय पर अपना नकाब बदलती रहती है.....। चाहे सरकार हिंदुत्व-ब्रांड की हो अथवा गैर हिंदुत्व-ब्रांड की ।,वास्तविक सरकार भ्रष्टाचार की, अनैतिकता की, अराजकता की और जिसकी लाठी उसकी भैंस की .... इस सिद्धांत पर चलने वालों की है अभी  4 तारीख तक तो यही सिद्ध हुआ है । 
      अयोध्या से लेकर शहडोल और अमरकंटक तक  लगे हाथ धनपुरी में भी ....,  तो देखते हैं कि क्या कर्तव्यनिष्ठ प्रशासन का दावा करने वाले और उसका नमक खाने वाले, उसके वेतन पर पलने वाले, अपने परिवार पत्नी और बच्चों का पेट पालने वाले तहसीलदार,कलेक्टर या कमिश्नर गहरी नींद से कुंभकरण की नींद से जागने का प्रयास करते हैं। हालांकि रामायण का यह अति बलशाली रक्ष संस्कृति का कुंभकरण बेहद नैतिक इमानदार और उच्च सिद्धांत वाला था उसके जागने से शायद रावण को समझ में आ जाए कि धर्म में क्या है ....., बाद में मरना कुंभकरण को भी पड़ता है.... बात अनुवांशिकी की भी है।
 और यही वर्तमान का कड़वा सच है, तो क्या हमारा वर्तमान, कुंभकरण भी बन पाएगा...? यह बड़ा प्रश्न चिन्ह है ?,
 साधु नहीं तो क्या शैतान बन पाएगा यह भी बड़ा प्रश्न चिन्ह है....?
 लोग कहते हैं मैं लेख को इतना खींच देता हूं की मूल विषय ही भटक जाता है। इसलिए भूमिका चाहे जो भी हो मूल विषय अयोध्या के राम नहीं,शहडोल के राम की रक्षा..., अमरकंटक में राम की रक्षा और धनपुरी में अल्लाह के रक्षा की है। यानी सत्य की रक्षा की है .. यही मूल विषय है। आशा करता हूं कि प्रशासन  मनोरंजन के साथ ,आनंद के साथ समस्याओं का समाधान करेंगे ताकि हजारों साल की गुलामी के बाद प्राप्त स्वतंत्रता का अधिकार सुरक्षित रह सके।
 रही बात अयोध्या और सन्यासिनी राजनीतिक हमारे पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती की तो हमारी सद्भावना उनके साथ है....., राम जी उनका कल्याण करें.... अगर उमाभारती न्यायालय से दंडित होकर सजा भी पाती हैं तब भी हम उनके साथ रहेंगे.... वह सच्ची सन्यासिनी हैं अपने राम जी के लिए। उन्होंने अद्भुत त्याग किया है। उमा दीदी तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं।
 यह अलग बात है कि देश की न्यायपालिका क्या अब तक गुलाम नहीं हुई है....? यह तो भविष्य बताएगा..... क्योंकि मोहन राम मंदिर मामले में राम जी आज भी गुलाम है तो फिर  उन्होंने कहा है  कि 5 अगस्त को दीप चलाइए  राम जी के नाम पर यहां  राम के नाम पर  यह सत्य के नाम पर  किस गारंटी के बिना पर दीप जलाएं...? बात सिर्फ मूर्तियों की है बाकी दुनिया ही राम जी की है ।
राम की चिड़िया, राम का खेत चुग रे चिड़िया.......। बाकी आप पूरा करें...।


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