भोजपुर, भोलेनाथ की कल्पना का साकार स्वरूप ....
(त्रिलोकीनाथ)
भोजपुर भोपाल के पास भगवान भोलेनाथ की भव्यता का कल्पना का साकार स्वरूप यही देखने को मिलता है। पुरातात्विक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण इस विशाल मंदिर में विशाल शिवलिंग की स्थापना आराधना, तपस्या और प्रेम का साकार स्वरूप है। बाहर से आप इसको समझ नहीं पाएंगे, किंतु मंदिर के पास जाने के साथ ही शिव के होने का अर्थ समझ में आने लगता है।
जैसे मंदिर में प्रवेश करेंगे तो शिवलिंग से आपका संपर्क टूट जाता है, जैसे मंदिर प्रवेश द्वार में खड़े होंगे शिव के मध्य यानी जलहरी का दर्शन होता है किंतु जैसे आप मंदिर के बाहर खड़े होते हैं तो शिवलिंग के दर्शन होते हैं। यहां आने पर आभास होता है शिव को एक दृष्टि से आप नहीं देख पाएंगे जिस भाग को आप देखेंगे वही भाग दिखेगा। संपूर्ण शिव आपको आकलन करना पड़ेगा शिव की विराट्ता की कल्पना का पिंड स्वरूप देख कर मन और आंखें स्वयं जलमग्न हो जाती हैं। शिव से प्रत्यक्ष से जुड़ने का आभास सहसा प्रकट होता है यही भगवान भोजनाथ की हम सब लोगों के ऊपर अनुकंपा है ।
ऐसे करुणावतारं भगवान भोलेनाथ को बारंबार प्रणाम। उनकी कृपा हम सब पृथ्वी वासियों के लिए यूं ही बना रहे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें