बिसाहूलाल कार से तो प्रजापति हेलीकॉप्टर से पहुंचे उपचुनाव की पृष्ठभूमि पर
प्रजापति के इर्द-गिर्द बना फंड का फंडा...
गुटबंदी की सभी सीमाएं तोड़ दी गई
(त्रिलोकीनाथ)
पिछले दिनों कांग्रेस से बगावत कर कांग्रेस की सरकार गिराने वाले प्रमुख नेताओं में के बिसाहूलाल भाजपा के कैबिनेट मंत्री के रूप में शहडोल संभाग में पधारे, उनके साथ उनके सभी प्रिय कार्यकर्ता अपनी उपस्थिति दिखाते देखे गए. उन्होंने भी अपने प्रिय कार्यकर्ताओं के घर में जाकर उनका उत्साहवर्धन किया। नरोजाबाद में पूरे पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष अध्यक्ष नसीम बानो उर्फ गुल्लू के घर पहुंच कर पत्रकारों से भी बात की। फिर शहडोल होते हुए अपने लाव-लश्कर के साथ अनूपपुर चले गए। सत्ता परिवर्तन की प्रक्रिया के दौरान ये नेता जो कोरोनावायरस की हलचल के बीच में भारत के आसमान में कभी गाजियाबाद तो कभी बेंगलुरु में उड़ते रहे किंतु जब मंत्री बन कर आए कार से आए।
भारतीय जनता पार्टी दुनिया की सबसे धनी पार्टी भी है जिसमें हवाई यात्रा का सुख सामान्य बात है किंतु सत्ता से बाहर हो जाने के बाद विधायक नर्मदा प्रसाद प्रजापति हेलीकॉप्टर से शहडोल के जमुई में इसी दिन आये। यह पहली बार रहा कि शहडोल निवासी नर्मदा प्रसाद प्रजापति हेलीकॉप्टर से सत्ता हटने के बाद यात्रा पर आए। वह भी बिसाहूलाल के चुनाव क्षेत्र अनूपपुर में कांग्रेसका रंग ढंग बताने के लिए।
एक तरफ जहां बिसाहूलाल के लिए उनके कांग्रेसी समर्थक उन्हें कटनी से अनूपपुर तक अपने लाव लश्कर के साथ अगवानी किए वही शहडोल के जिला कांग्रेस अध्यक्ष आजाद बहादुर को इस बात की भनक न लगी कि आसमान से उड़कर कांग्रेस कि एक तारणहार शहडोल निवासी नर्मदा प्रसाद प्रजापति शहडोल नगर के पास उतर रहे हैं ।
हलांकि आजाद बहादुर ने उनकी इस यात्रा को नजरअंदाज करने की दृष्टिकोण में कहा कि वह उनकी व्यक्तिगत यात्रा रही होगी...।
हेलीकॉप्टर से कोई व्यक्तिगत यात्रा करता है वह भी शहडोल निवासी व्यक्ति अपने आप में रोमांच करने वाला है ।बहरहाल इतना तो तय है की बिसाहूलाल को आंख दिखाने के लिए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति आसमान से उड़कर आए। लेकिन उनका स्वागत जिला कांग्रेस अध्यक्ष अथवा संगठन के लोगों ने नहीं किया ।कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं ने जरूर उनकी व्यक्तिगत तौर पर अगवानी की, बाद में एक कांग्रेस नेता ने कहा कि "मिसअंडरस्टैंडिंग" की वजह से जिला कांग्रेस को खबर नहीं हो पाई होगी।
चलिए बात आई गई हो गई। बताते हैं इस दौर में एक एनएसयूआई के कोई महासचिव भी शहडोल में मुख्य मार्ग होकर आ रहे थे। अब रास्ते में जिला कांग्रेस कार्यालय पड़ता है तो यहां पूरी तैयारी के साथ जिला कांग्रेस अध्यक्ष अगवानी के इंतजार में थे किंतु उक्त महासचिव को उस मुख्य मार्ग से हटाकर जहां जिला कांग्रेस का कार्यालय पड़ता है, बाईपास से एक कार्यकर्ता के यहां ले गए ।
इस बात को लेकर जिला कांग्रेस अध्यक्ष और उनका संगठन आवेश में आ गया। बताने वाले बताते हैं कि जितनी भी सीमाएं होती हैं पतन की, उन सबको पार करके कांग्रेस की राजनीति में इस पतन पूर्ण राजनीति का जवाब दिया गया।
तो एक तरफ भविष्य में होने वाले 24 उपचुनाव में महत्वपूर्ण कांग्रेसका आदिवासी बागी नेता बिसाहूलाल पूरी योजनाबद्ध तरीके से चुनाव लड़ने की प्लानिंग पर हैं और दूसरी ओर कांग्रेस की पतित-राजनीति में झगड़ा इस बात का है कि चुनाव का लाभ जिसे आर्थिक लाभ भी कहा जाता है उस फंड पर किस गुट का हिस्सा रहेगा। जो उसे अनूपपुर उपविधानसभा चुनाव में खर्च करने की योग्य माना जाएगा।
इसी राजनीति का या कूटनीति का समावेश एनपी प्रजापति के हेलीकॉप्टर से आने पर दिखा और बाद में वह सड़क मार्ग में पढ़ने वाले जिला कांग्रेस कार्यालय के अपमान से भी दिखता नजर आया। वास्तव में कांग्रेस पार्टी में कार्यकर्ता कम और कांग्रेस से लाभ लेने के लिए अनेक प्रकार का काकस कांग्रेस संगठन को छिन्न-भिन्न कर दिया है। यदि जनता चाहती भी है कि वह परिवर्तित कर दें और परिवर्तन का संदेश दे तो कांग्रेस के इस कार्यकर्ता दिखने वाले गुटों में चुनाव के समय आने वाले फंड को लेकर कांग्रेस संगठन की धज्जियां उड़ाई जाती रही हैं। इसलिए अक्सर कांग्रेस पार्टी अपनी जीती हुई बाजी राजनीत की माफिया गिरी में खो देता है। जबकि दूसरी ओर स्व संगठित तरीके से बिसाहूलाल का प्रबंधन भाजपा की तरफ मुसलमानों का झुकाव बढ़ाता चला जा रहा है। तो जो भी परिस्थितियां वर्तमान में कांग्रेस के अंदर कार्यकर्ता कार्यकर्ता नुमा-गुटों में दिख रहा है वह वास्तव में कहीं बिसाहूलाल का प्रायोजित कार्यक्रम का हिस्सा तो नहीं है...?
अन्यथा जिस सतर्कता, शालीनता और विनम्रता के साथ जनता से अद्यतन परिस्थितियों के लिए वोट मांगने का काम होना चाहिए बजाय उसके कांग्रेसी फंड के फंडा में लगता है कार्यकर्ता एक दूसरे का खून न बहा दे। भलाई अलग-अलग स्तर के कांग्रेसी नेता कुछ भी दुहाई दे किंतु सच्चाई यह है कि कांग्रेस को उपचुनाव की अगर चिंता है अभी तो बड़े नेताओं के इर्द-गिर्द रहने वाले कुछ मुट्ठी भर लोगों की वजह से कांग्रेस रसातल में जा रही है ।वक्त रहते यदि स्थितियों को नहीं संभाला गया तो बड़ी बात नहीं है कि बिसाहूलाल एक कामयाब नेता की तरह है इन गुटों/ कार्यकर्ताओं को दो टुकड़े में बेच दे। देखना होगा कि धंधेबाज लोगों के चक्कर में पड़ी कांग्रेस की राजनीति किस प्रकार के धुंध में धांधली करती है। या फिर चंद कार्यकर्ता अदृश्य कोरोनावायरस की तरह कांग्रेस को खत्म कर देने का काम करेंगे। यह अलग बात होगा कि हवा का बहाव जनमानस प्रबल हो अन्यथा कांग्रेस के ठंड के फंडे में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने मैं कोई कमी नहीं हो रही है।
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