जब जनप्रतिनिधियों को जागरूक और सतर्क होना चाहिए था वे राजनीति में व्यस्त थे... अब कोरोनावायरस का हमला दुनिया और देश के साथ हमारे मध्य प्रदेश में भी जीवन शैली को बदल रहा है ।निजी जिंदगी में भी सीमाएं तय कर रहा है। यह अलग बात है कि जनप्रतिनिधि क्या इन सीमाओं का पालन करते हैं...?
अक्सर देखा गया है वह स्वयं इनका पालन नहीं करते। क्योंकि जब भी जनप्रतिनिधि आते हैं तो उनके साथ उनके चमचों की चाटुकार की जिन्हें कार्यकर्ता भी कहा जाता है कोरोनावायरस के हमले की चुनौती को वे अपनी भीड़ और भेड़ चाल में जवाब देते नजर आते हैं।
इन सब से भ्रम होता है कि मंत्रियों के लिए अलग नेताओं के लिए अलग और जनता के लिए अलग कानून व्यवस्था बनाई गई है। जिससे जनमानस भ्रमित हो जाता है और वह बगावत के अंदाज में कानून और कुछ दिशा निर्देशों का जो की अति आवश्यक है कोरोनावायरस से लड़ने के लिए उनका पालन नहीं करता।
क्योंकि आज भी हमारा मन और मानस गुलाम है इसलिए "यथा राजा -तथा प्रजा" के अंदाज में अपने राजा के कार्यों का अनुगमन जनता करती है। और इससे पूरे प्रदेश में और देश में कोरोनावायरस को विस्तारित होने का अवसर मिल रहा है ।हालात बद से बदतर होते चले जा रहे हैं बेहतर होता जिन दिशानिर्देशों का आदेश होता है उसे स्वयं मुख्यमंत्री, मंत्री और अफसर कार्य रूप में परिणित करके संदेश देने का काम करें। बहरहाल नए निर्देश गृहमंत्री ने जो जारी किए हैं उसे गंभीरता से कम से कम 5 बार पढ़िए।
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