बौद्धिक समाज ने कहा, महामहिम से परीक्षाओं पर करें पुनर्विचार;
प्राध्यापक व विद्यार्थियों को
कोविड-19 से बचाना प्राथमिकता
(त्रिलोकीनाथ )
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्यशैली में एक अहम बैठक जो बहुत गोपनीय होती है उसे बौद्धिक कहते हैं। यह अलग बात है कि कोविड-19 में इस बौद्धिक का क्या प्रयोग किया गया..? कोविड-19 वायरस की महामारी की महाप्रताड़ना के दौर से गुजर रहे भारत में ढाई महीने बीतने के बाद भी अभी तक देखने को नहीं मिला है। किंतु जैसे कोरोना का कोविड-19 एक अदृश्य ताकत है, वैसे ही आर एस एस का बौद्धिक भी एक अदृश्य ताकत है। इसलिए इन बड़े लोगों की बातें अपने समझ से ऊपर रहते हैं। जैसे पंडित शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय में रिटायरमेंट की उम्र बीत जाने के बाद भी कैसे कोई आर एस एस के दबाव में रजिस्ट्रार बना दिया जाता है....?
किंतु ढाई महीना बाद भी जब भारत विश्व का चौथा बड़ा संक्रमित राष्ट्र हो चुका है तब जिद में हो रही परीक्षार्थियों से परीक्षा करवाने के दृष्टिकोण से। मध्यप्रदेश के महामहिम राज्यपाल लालजी टंडन के समक्ष प्रदेश का बौद्धिक समाज याने प्राध्यापक संघ ने एक पत्र लिखकर इस बात की गुजारिश की है
कि कोविड-19 कोरोनावायरस की अद्यतन परिस्थितियों के मद्देनजर तथा जिस प्रकार के दिशा निर्देश परीक्षार्थियों को परीक्षा के कार्य के दौरान दिए गए हैं उसके अनुपालन में संभावना की कमी को भी ध्यान में रखते हुए महाविद्यालय की शेष परीक्षाओं को करने के मामले में पुनर्विचार करना चाहिए। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि कोविड-19 का खतरा अभी टला नहीं है । देखना होगा महामहिम मध्यप्रदेश प्राध्यापक संघ की इस पत्र को कितनी गंभीरता से लेते हैं या फिर ज्ञापन को कचरे के डस्टबिन में डाल देते हैं।
फिलहाल आप बौद्धिक समाज के पत्र को भी पढ़िए और शासन के निर्देशों को भी पढ़िए को भी। जिसका पालन कराना असंभव तो नहीं है किंतु संभव नहीं है...
क्योंकि परीक्षार्थी व प्राध्यापक का मनोयोग परीक्षा के लिए तैयार होकर आएगा तो वह कोविड-19 की सुरक्षा के लिए अलग से मनोयोग कहां से लाएगा....?
तो क्या जिस प्रकार से विधायिका ने मजाक किया और देश में कोरोनावायरस सहजता से बढ़ते हुए विश्व का चौथा संक्रमित राष्ट्र है अब विद्यार्थियों और अध्यापकों की भी बारी है....?
क्या इससे बचा जा सकता है, यह विचारणीय है । यह भी देखते हैं महामहिम का क्या निर्णय आता है। हालांकि वे उस उत्तरप्रदेश से आते हैं जहां की कोरोना की ताकत को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इनकार करके कोटा में पढ़ रहे विद्यार्थियों को सबसे पहले पहल अपने घर वापस बुलाया था। उसके बाद घर वापसी का जो सिलसिला चालू हुआ वह रुका नहीं और अब हम विश्व के चौथे कोरोना संक्रमित राष्ट्र का दर्जा पा चुके हैं। तो आप भी पढ़िए क्या है मांग और क्या है निर्देश.....
प्राध्यापक व विद्यार्थियों को
कोविड-19 से बचाना प्राथमिकता
(त्रिलोकीनाथ )
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्यशैली में एक अहम बैठक जो बहुत गोपनीय होती है उसे बौद्धिक कहते हैं। यह अलग बात है कि कोविड-19 में इस बौद्धिक का क्या प्रयोग किया गया..? कोविड-19 वायरस की महामारी की महाप्रताड़ना के दौर से गुजर रहे भारत में ढाई महीने बीतने के बाद भी अभी तक देखने को नहीं मिला है। किंतु जैसे कोरोना का कोविड-19 एक अदृश्य ताकत है, वैसे ही आर एस एस का बौद्धिक भी एक अदृश्य ताकत है। इसलिए इन बड़े लोगों की बातें अपने समझ से ऊपर रहते हैं। जैसे पंडित शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय में रिटायरमेंट की उम्र बीत जाने के बाद भी कैसे कोई आर एस एस के दबाव में रजिस्ट्रार बना दिया जाता है....?
किंतु ढाई महीना बाद भी जब भारत विश्व का चौथा बड़ा संक्रमित राष्ट्र हो चुका है तब जिद में हो रही परीक्षार्थियों से परीक्षा करवाने के दृष्टिकोण से। मध्यप्रदेश के महामहिम राज्यपाल लालजी टंडन के समक्ष प्रदेश का बौद्धिक समाज याने प्राध्यापक संघ ने एक पत्र लिखकर इस बात की गुजारिश की है
कि कोविड-19 कोरोनावायरस की अद्यतन परिस्थितियों के मद्देनजर तथा जिस प्रकार के दिशा निर्देश परीक्षार्थियों को परीक्षा के कार्य के दौरान दिए गए हैं उसके अनुपालन में संभावना की कमी को भी ध्यान में रखते हुए महाविद्यालय की शेष परीक्षाओं को करने के मामले में पुनर्विचार करना चाहिए। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि कोविड-19 का खतरा अभी टला नहीं है । देखना होगा महामहिम मध्यप्रदेश प्राध्यापक संघ की इस पत्र को कितनी गंभीरता से लेते हैं या फिर ज्ञापन को कचरे के डस्टबिन में डाल देते हैं।
फिलहाल आप बौद्धिक समाज के पत्र को भी पढ़िए और शासन के निर्देशों को भी पढ़िए को भी। जिसका पालन कराना असंभव तो नहीं है किंतु संभव नहीं है...
क्योंकि परीक्षार्थी व प्राध्यापक का मनोयोग परीक्षा के लिए तैयार होकर आएगा तो वह कोविड-19 की सुरक्षा के लिए अलग से मनोयोग कहां से लाएगा....?
तो क्या जिस प्रकार से विधायिका ने मजाक किया और देश में कोरोनावायरस सहजता से बढ़ते हुए विश्व का चौथा संक्रमित राष्ट्र है अब विद्यार्थियों और अध्यापकों की भी बारी है....?
क्या इससे बचा जा सकता है, यह विचारणीय है । यह भी देखते हैं महामहिम का क्या निर्णय आता है। हालांकि वे उस उत्तरप्रदेश से आते हैं जहां की कोरोना की ताकत को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इनकार करके कोटा में पढ़ रहे विद्यार्थियों को सबसे पहले पहल अपने घर वापस बुलाया था। उसके बाद घर वापसी का जो सिलसिला चालू हुआ वह रुका नहीं और अब हम विश्व के चौथे कोरोना संक्रमित राष्ट्र का दर्जा पा चुके हैं। तो आप भी पढ़िए क्या है मांग और क्या है निर्देश.....
शानदार पोस्ट।
जवाब देंहटाएंBichar kijiye
जवाब देंहटाएंGovt.ko abhi sabhi exams cancel krna chahiye
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