सोमवार, 25 मई 2020

दिल्ली की सियासत का सिरफिरा सुल्तान

दिल्ली की सियासत का 
सिरफिरा सुल्तान

यात्रा के दौरान इतिहास पर भी मारे गए थे , नागरिक....

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मुहम्मद बिन तुगलक दिल्ली सल्तनत का ऐसा सुल्तान हुआ है जिसने योजनाएँ तो कई बनाईं पर उसकी योजनाएँ असफल रहीं। उसकी योजनाओं से चिढ़कर ही उसे मूर्ख कहा जाता है। वहीं कुछ लोग उसे विद्वान मानते थे क्योंकि वह लोकप्रिय था अपने अंध भक्तों के बीच में

इतिहास में यह अकेला सुल्तान है जिसे एक ही समय पर 'विद्वान-मूर्ख' कहकर बुलाते हैं। कुछ भी हो सुल्तान था बड़ा दिलचस्प।
 का चरित्र था ही ऐसा कि उसमें दिलचस्पी पैदा हो जाती है।शहजादा जूना खाँ ही मुहम्मद तुगलक था। मुहम्मद तुगलक ने दिल्ली पर 1325 से 1351 तक शासन किया। उसकी लिखावट भी बहुत सुंदर थी। सुल्तान में अक्सर ये गुण देखने को नहीं मिलते हैं पर तुगलक इन बातों में उस्ताद था। उसकी कुछ योजनाओं के बारे में आओ जानते हैं।

दोआब में कर वृद्धि की योजना
मुहम्मद ने दोआब इलाके में कर में वृद्धि इसलिए की क्यों‍कि राजकोष में धन की जरूरत थी। वह जानता था कि दोआब क्षेत्र के किसानों की स्थिति अच्छी है पर जब कर में वृद्धि की उसी साल इलाके में अकाल पड़ गया और कर-वसूली में सख्‍ती से जनता की हालत खराब हो गई। तब तुगलक को मालूम हुआ तो उसने कर वृद्धि रोक दी और जनता को राहत भेजी पर तब तक जनता को बहुत कोड़े पड़ चुके थे।

मुहम्मद तुगलक की राजधानी परिवर्तन कमी योजना का जिक्र बहुत होता है। यह कुछ ऐसे थी कि मुहम्मद तुगलक ने दक्षिण के राज्यों पर नियंत्रण रखने के लिए राजधानी को दिल्ली से बदलकर देवगिरी नाम की जगह पर ले जाने का फरमान दिया।

  तुगलक ने योजनाएँ तो बहुत अच्छी बनाई बस समय तुगलक के साथ नहीं था। उसके सारे आदेश वाली बात मोहम्मद तुगलक से ही निकलकर आई है।      
अब दिल्ली की जनता को आदेश दिया गया कि वह दौलताबाद जाए। लोग रास्ते की तकलीफें उठाकर दौलताबाद के लिए निकले। यात्रा में बहुत से लोग बीमार पड़ गए और मारे गए। यात्रा की कठिनाई देखकर तुगलक ने लोगों को वापस दिल्ली लौटने का आदेश दे दिया। लोग लौटे तो, पर उनमें से कई रास्ते में दम तोड़ गए। इस योजना से जनता में सुल्तान की छवि खराब हुई।

सांकेतिक मुद्रा का चलाने की योजन ा
मुहम्मद तुगलक ने अपने समय में सोने की 'दीनार' और चाँदी की 'अदली' चलाई थी। फिर सोने-चाँदी की कमी हो गई। तुगलक को मालूम था कि चीन में कागज और फारस में चमड़े का सिक्का चला है तो उसने राज्य में ताँबे का सस्ता सिक्का चलाया था। चाँबे के सिक्के बनाने के लिए राजकीय टकसाल नहीं थी। ताँबे के सिक्के की खबर आई तो लोगों ने घर पर ही सिक्के ढाल दिए और बाजार में इतने सिक्के हो गए कि ताँबे का सिक्का बंद करना पड़ा। जनता को ताँबे के सिक्के की जगह सोने के सिक्के दिए गए और खजाना खाली हो गया।

इतिहासकार इन योजनाओं के कारण ही उसे सिरफिरा कहते हैं। इन योजनाओं के अलावा भी मुहम्मद तुगलक में कई खासियत थी। काम को टालना उसे पसंद नहीं था। वह तुरंत किसी भी काम को पूरा करने में विश्वास रखता था। उसके समय में इब्नबतूता भारत आया था जिसने उसके समय का वर्णन किया है। 
 कुछ लोग मोहम्मद तुगलक को आज की व्यवस्था में दृष्टांत के रूप में देखते हैं जहां करोड़ों की संख्या में प्रवासी श्रमिक लगातार प्रताड़ित हो रहे हैं और मर भी रहे हैं किंतु हम यह मानते हैं कि यह झूठ ही अफवाह फैलाने का एक तरीका हो सकता है ....डिजिटल इंडिया की भाषा में कहें तो व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी का फेक न्यूज़.... किंतु दूसरा तबका इससे इंकार करता है.......... 
(संकलन व उपसंहार: त्रिलोकी नाथ)

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