अखबारी कतरन 19 .05.2020
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20 साल पहले तत्कालीन सांप्रदायिकता में राजनीति का शिकार हुआ कांग्रेस सांसद सुनील दत्त का पुत्र संजय दत्त जिसने 21वीं सदी में लगे रहो मुन्ना भाई का चरित्र निभा कर महात्मा गांधी को पुनर्जीवन देने का प्रयास किया.... तब विजय आश्रम ने मुंबई की आंतरिक राजनीति पर लेख प्रकाशन किया था।
यह अदृश्य शक्तियां भी कोरोनावायरस से से कमतर नहीं.....🤔
वास्तव में पत्रकारिता की गुणवत्ता भारत की आजादी के पहले विद्यमान रही होगी , जिससे कारण गुणवत्तापूर्ण नागरिक का निर्माण भी होता था और हर नागरिक जिम्मेदार था, देश को आजाद कराने में अपनी भूमिका अदा किया यह पत्रकारिता की कलम की ताकत थी, आज वह ताकत कमजोर या फिर पतित हो गई है.... क्योंकि पूंजीपति वर्ग जमीनी स्तर पर पत्रकारिता को सेंसर कर रखा है...
हमने पहल की की गुणवत्ता पूर्ण समाचार पत्रों की कतरने आम नागरिक तक पहुंचाएं.... ताकि वह भाषा और स्तर की अभिरुचि से रूबरू हो सकें...
किंतु आज जब समाचार कतरन हम डाउनलोड कर रहे थे तो कुछ अखबार मालिकों प्रबंधन की निम्न सूचना ने हमारे हाथ में हथकड़ी लगा दी...
आखिर अखबार मालिक / प्रबंधन पैसा लगाकर अखबारों को अमीरों की जागीर क्यों बना रहा है... कि वह सिर्फ अमीरों के लिए सुलभ रहे । जिन अखबार मालिकों बुरा लगे, माफ करें.... क्योंकि जमीनी पत्रकार का यह फ्रस्ट्रेशन है.., कि आप गुणवत्तापूर्ण भाषा को गिरवी रख लिए हैं ......?
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Vijaymat shahdol
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Agnivarsa
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नई दिल्ली से आशीष गौतम द्वारा प्रेषित यह फोटो बताती है हमने आदमी को क्या बना दिया। क्या यही है लोकतंत्र......?
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20 साल पहले तत्कालीन सांप्रदायिकता में राजनीति का शिकार हुआ कांग्रेस सांसद सुनील दत्त का पुत्र संजय दत्त जिसने 21वीं सदी में लगे रहो मुन्ना भाई का चरित्र निभा कर महात्मा गांधी को पुनर्जीवन देने का प्रयास किया.... तब विजय आश्रम ने मुंबई की आंतरिक राजनीति पर लेख प्रकाशन किया था।
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