आतंकवाद का नया आईकॉन ,
पिछले 6 साल से, क्योंकि क्योंकि यह भारतीय जनता पार्टी की हार्ड हिंदुत्व छवि वाले पार्टी की सरकार है और जिस प्रकार से भारत का प्रायोजित मीडिया इसका बखान करता है वह महिमामंडित करता है... उससे प्रतीत होता है कि इसका नेटवर्क भारत की किसी अन्य संगठन से ज्यादा सफल और शानदार नेटवर्क है.... और इसकी कुशल सांगठनिक क्षमता इसकी ताकत की पहचान है... कि जब यह रासायनिक बम कोविड-19 का अपने जमात के जरिए प्रयोग कर रहा था
(जैसा की बहु प्रचारित है) तब भी इस इंडियन-कोरोना को कोई सामान्य पुलिसवाला, इंस्पेक्टर , पुलिस अधीक्षक या पुलिस डीजीपी जो भी पुलिस की किसी भी अपराध की छानबीन के लिए क्रमशः सांगठनिक प्रक्रिया उच्चतर अधिकारी रहा हो, उन सब को नजरअंदाज करके भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल स्वयं देर रात्रि इंडियन-करोना साद के पास पहुंचते हैं...,
एक मच्छर आदमी को हिजड़ा बना देता है..... पालघर मावलिंचिंग
(त्रिलोकीनाथ)
प्रायोजित इंडियन मीडिया याने भारतीय राजभाटो की जमात निजामुद्दीन के मरकज के मुखिया साद को भारत मे आतंकवाद का नया आईकॉन बना दिया है। यह 21वीं सदी का रासायनिक बम (यदि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की माने तो)
को 130 करोड़ की आबादी में हमला करने वाला नया आतंकवादी के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। इस नए आतंकवादी-अवतार का अचानक आगमन नहीं हुआ है, बल्कि भारत की राजधानी दिल्ली के निजामुद्दीन में दिल्ली-पुलिस के थाने की निगरानी में और थोड़ा नजदीक से ले तो थाने की चौकीदारी में मरकज चला रहा था ।
प्रायोजित इंडियन मीडिया याने भारतीय राजभाटो की जमात निजामुद्दीन के मरकज के मुखिया साद को भारत मे आतंकवाद का नया आईकॉन बना दिया है। यह 21वीं सदी का रासायनिक बम (यदि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की माने तो)
को 130 करोड़ की आबादी में हमला करने वाला नया आतंकवादी के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। इस नए आतंकवादी-अवतार का अचानक आगमन नहीं हुआ है, बल्कि भारत की राजधानी दिल्ली के निजामुद्दीन में दिल्ली-पुलिस के थाने की निगरानी में और थोड़ा नजदीक से ले तो थाने की चौकीदारी में मरकज चला रहा था ।
पिछले 6 साल से, क्योंकि क्योंकि यह भारतीय जनता पार्टी की हार्ड हिंदुत्व छवि वाले पार्टी की सरकार है और जिस प्रकार से भारत का प्रायोजित मीडिया इसका बखान करता है वह महिमामंडित करता है... उससे प्रतीत होता है कि इसका नेटवर्क भारत की किसी अन्य संगठन से ज्यादा सफल और शानदार नेटवर्क है.... और इसकी कुशल सांगठनिक क्षमता इसकी ताकत की पहचान है... कि जब यह रासायनिक बम कोविड-19 का अपने जमात के जरिए प्रयोग कर रहा था
(जैसा की बहु प्रचारित है) तब भी इस इंडियन-कोरोना को कोई सामान्य पुलिसवाला, इंस्पेक्टर , पुलिस अधीक्षक या पुलिस डीजीपी जो भी पुलिस की किसी भी अपराध की छानबीन के लिए क्रमशः सांगठनिक प्रक्रिया उच्चतर अधिकारी रहा हो, उन सब को नजरअंदाज करके भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल स्वयं देर रात्रि इंडियन-करोना साद के पास पहुंचते हैं...,
और फिर जो होता है उसने शाद को अंतरराष्ट्रीय स्तर आतंकवाद का नया आईकॉन बनाने की रचना होने लगती है...
तत्कालीन परिस्थितियों में भविष्य का यह गंभीरतम अपराधी ससम्मान एक अलग मुल्क के बादशाह , के अंदाज में आइसोलेशन में चला जाता है....?
जिसे हमारा मीडिया छुप जाना या फिर अपने टीआरपी के हिसाब से अलग-अलग भाषा में प्रस्तुत करती रही ....
समय, चुंकि गुलाम नहीं है इसलिए बीतता चला जाता रहा और करीब 1 महीने बाद जब भारत में कोरोना फैलाने का महत्वपूर्ण भागीदारी की सफलता के साथ मरकज और उसका मुखिया अपने झंडे गाड़ देता है....
तब दानवीर कर्ण की तरह गरीबों का रहनुमा रासायनिक आतंकवाद का नया आईकॉन मोहम्मद शाद का एक बयान जारी होता है
.... "कि जमात के सभी जमाती, जो कोरोना से ग्रसित हैं वे अपना ब्लड प्लाज्मा भारत के कोरोना प्रभावित लोगों के लिए दान करें....." इस महान दान की घोषणा के बाद समझ पाना मुश्किल है की इस्लाम-धर्म का तबलीगी जमात भारतीय संस्करण का धार्मिक चेहरा वास्तव में अपराधी है या दानवीर.....?
इसमें कोई शक नहीं है कि जहां भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जाते हैं वह एक विशेष सुरक्षा कवच में घिरा होता है और अगर मौलाना साद से हमारे सुरक्षा सलाहकार मिले तो भी उस सुरक्षा कवच में आ गया था..... जिसमें उसकी निगरानी सहज थी। बावजूद इसके वह कैसे आइसोलेशन में चला गया, फरार हो गया.....?
यह आज सिर्फ नूरा कुश्ती के अलावा कुछ प्रतीत नहीं होता.... अन्यथा जो काम सामान्य पुलिस कर्मचारी का है वह कैसे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार करते.....? यह बात हमारी आदिवासी स्तर की बुद्धि, बौद्धिक समाज को नहीं समझा पा रही है।
इसमें कोई शक नहीं है कि जहां भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जाते हैं वह एक विशेष सुरक्षा कवच में घिरा होता है और अगर मौलाना साद से हमारे सुरक्षा सलाहकार मिले तो भी उस सुरक्षा कवच में आ गया था..... जिसमें उसकी निगरानी सहज थी। बावजूद इसके वह कैसे आइसोलेशन में चला गया, फरार हो गया.....?
यह आज सिर्फ नूरा कुश्ती के अलावा कुछ प्रतीत नहीं होता.... अन्यथा जो काम सामान्य पुलिस कर्मचारी का है वह कैसे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार करते.....? यह बात हमारी आदिवासी स्तर की बुद्धि, बौद्धिक समाज को नहीं समझा पा रही है।
यह भ्रम का धुआं प्रायोजित तरीके से फैलाया गया था या फिर स्वाभाविक तरीके से फैल गया... इसके जवाब भविष्य की धुंध में छिपे हैं ....., जो सामने आएंगे।
किंतु ठीक इसी प्रकार का नया धुंध, महाराष्ट्र की पालघर जिले के गढ़चिंचले गांव में हुई एक घटना से भारत की राजनीति में फैलाने का काम हुआ.... जब दो साधु और उनका ड्राइवर गैर कानूनी तरीके से बिना प्रशासनिक मंजूरी के गलत क्षेत्र में प्रवेश किए जाने के कारण वहां की अपनी स्थानी समस्या के चलते मॉब लिंचिंग के शिकार हो गए...,
अत्यंत दुखद हालात में निर्दोष साधु संत और उनका ड्राइवर नियत के हाथों मारे गए। और यह नियत का ही फैसला था कि गांव के करीब हर वर्ग के 102 लोग हत्या के आरोप में जेल के सलाखों में पहुंच गए।
अत्यंत दुखद हालात में निर्दोष साधु संत और उनका ड्राइवर नियत के हाथों मारे गए। और यह नियत का ही फैसला था कि गांव के करीब हर वर्ग के 102 लोग हत्या के आरोप में जेल के सलाखों में पहुंच गए।
गढ़चिंचले के इस दुर्घटना का जिसे इस प्रकार से प्रायोजित किया जा रहा है जैसे किसी योजना के तहत हिंदुत्व की हत्या करने के लिए इन हिंदू-साधुओं को मावलिंचिंग कराई गई.... हालांकि इसकी जांच चालू हो गई है वहां भी कट्टर तुम हिंदू मुख्यमंत्री हैं इसलिए निष्पक्ष जांच की शंका नहीं की जा सकती उसका इंतजार हमें करना ही चाहिए था।
चलिए , हम 2 मिनट को इसे सही भी मान लेते हैं....( अगर सही है तो इसे बाद में गंभीरता से जांच कराकर श्वेत पत्र जारी करा कर हिंदू सनातन धर्म की रक्षा की जा सकती थी )
तो क्या वर्तमान में निजामुद्दीन के मरकज का नया-दानवीर-कर्ण,आतंकवाद का नया आईकॉन मौलाना साद का प्रचार प्रसार जो हो रहा था वह कम था.... जो हिंदुत्व के पक्ष में ध्रुवीकरण कर रहा था और भाजपा का वोट बैंक मजबूत हो रहा था, क्या इसमें कोई कमी थी.......?
जिस कारण से हिंदू साधुओं की दुर्दांत हत्या को कांग्रेस नेता के खिलाफ वातावरण बनाने के लिए उपयोग करने के लिए काम किया गया....?
जिस कारण से हिंदू साधुओं की दुर्दांत हत्या को कांग्रेस नेता के खिलाफ वातावरण बनाने के लिए उपयोग करने के लिए काम किया गया....?
यह इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि जिस पार्टी का मुखिया उद्धव ठाकरे घटनास्थल क्षेत्र कि राज्य महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं और उनका प्रवक्ता जब राज्यसभा में यह कहते हैं कि
"जिस स्कूल (हिंदुत्व का स्कूल) के आप विद्यार्थी हैं वहां के हम प्रिंसिपल है," तो यह असहज लगता है, क्यों उनकी सत्ता आपको अपच हो रही है.....
कोविड-19 के इस महामारी रूपी परिस्थिति में भी सत्ता परिवर्तन की लालसा कितनी खतरनाक हो सकती है क्या मध्य प्रदेश की सत्ता परिवर्तन की प्रक्रिया से भारत कुछ नहीं सीख पाया......?
यदि मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के लिए जो समय नष्ट किया गया... , वह समय कोविड-19 को नष्ट करने के लिए काम होता तो, अनावश्यक भारत की बिगड़ती आर्थिक हालात और मर रहे लोगों बदतर सामाजिक परिस्थितिकी को रोका जा सकता था.... या कुछ कम किया जा सकता था.....।
क्या अभी भी कुछ बाकी है जो महाराष्ट्र के इस दुर्घटना को वोटबैंक मशीन बनाकर कुछ नवाचार किया जा रहा है.....?
यह बेहद चिंतनीय परिस्थिति है, आखिर जो लोग यह कर रहे हैं उन्हें बताया जा सकता था कि अभी वक्त नहीं है बाद में कर लेंगे.... अभी ही क्यों....?
फिर अभी इस विरोधाभास को भी तो जीना है की मरकज के मौलाना को आतंकवाद का नया आईकॉन बताया जाए या फिर दानवीर कर्ण.....?
जो ब्लड प्लाज्मा का दान करने की घोषणा भी करता है.... और उसे पूरा मीडिया जो "प्रायोजित-मीडिया" कहलाता है, प्रचारित भी करता है... क्या भ्रम फैलाकर कोविड-19 को बढ़ावा नहीं दिया जा रहा है.....? या जो मर गए हैं जो बदहाल हैं या भारत की आर्थिक परिस्थितिकीकी में जो लूट का आलम चल रहा है , वह अभी कम है.....? और इसे और तेज रफ्तार से आगे बढ़ाना जरूरी है.....?
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