बुधवार, 22 अप्रैल 2020

नवाचार कर जड़ीबूटी के लोक ज्ञानियों /जानकारों से कोविड-19 की समस्या का समाधान क्यों नहीं....?

आखिर लोगज्ञान की
अवमानना क्यों...?


  नवाचार कर जड़ीबूटी के लोक ज्ञानियों /जानकारों से कोविड-19  की समस्या का समाधान क्यों नहीं....?
  क्या यह हमारी मानसिक गुलामी है....?
 एक झूठ में संभावना की तलाश कितना गैर जरूरी.....? 
( त्रिलोकीनाथ, संयोजक पर्यावरण मंच, पूर्व संस्थागत सदस्य जिला पर्यावरण वाहनी)

आज हमारा पूरा नागरिक समाज शासन और प्रशासन के भरोसे बैठा है। ऐसा लगता है कि लोकतंत्र नहीं होता तो यह देश तत्काल खत्म हो गया होता। जैसे कभी भारत में कोई आपदा कभी आई ही ना हो।
 वैसे भी भारत अनोखी बौद्धिक क्षमता का केंद्र रहा है और वह उसे उसकी मिट्टी से प्राप्त हुआ है। इसी मिट्टी में कुछ विशिष्ट स्थान हैं जहां हर प्रकार के रोग प्रतिरोधक क्षमता के निदान का आयुर्वेदिक इलाज संभव है।
  अब तो हम वैज्ञानिक युग में जी रहे हैं, मंगल में जाने की उड़ान भी कर रहे हैं, फिर भी अपनी विराट सनातन पारंपरिक आयुर्वेदिक ज्ञान पद्धति और उसका अद्यतन रासायनिक सम्मिश्रण को हमने नाली के गटर में बहा के रख दिया है।
 यही कारण है कि कभी हिमालय से भी ऊंचा विंध-मैंकल क्षेत्र का यह अमरकंटक क्षेत्र चाहे कथानक में ही क्यों ना रहा हो किंतु भौतिक रूप से आज भी जड़ी बूटियों का ज्ञात और अज्ञात विशाल भंडार है। जिसे आधुनिक विकास की रफ्तार में हम लगातार नष्ट करने का सभी प्रयोग कर डाले हैं।
 यह अलग बात है कि वह नष्ट नहीं हो पाया होगा ....इस तरह तमाम विरोधाभासी परिस्थितियों के बावजूद हमारा पूरा क्षेत्र जड़ी बूटियों से भरा पड़ा है। इसी क्षेत्र से लोकज्ञान के बड़े-बड़े जानकार भी पूरे भारत में अपनी बातों को रख चुके हैं । कुछ तो प्रदेश के राज वेद के रूप में स्थापित भी हैं  चाहे राष्ट्रपति  भवन रहा हो या फिर केंद्रीय मंत्रियों का  आवाज शहडोल  के लोग ज्ञानी  हर जगह अपना दखल दिए ।

प्रदेश शासन भी अब आयुर्वेद की तरफ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए पत्राचार कर रहा है। कमिश्नर साहब स्वयं आयुर्वेद के उपयोग के बारे में  कह चुके, बावजूद इसके अभी तक किसी भी कलेक्टर ने कोई ऐसा नवाचार नहीं किया है। कि इन जानकारों को प्रोत्साहित और पुरस्कृत करके इस महारोग से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और यदि संभावना है तो वहां कोविड-19 कोरोनावायरस रोग से जीतने की काबिलियत भी ढूंढने चाहिए। शायद हम इन्हें अपने लोकज्ञानियों को, जड़ी बूटी के जानकारों को बहुत पिछड़ा और अति दलित मानकर भुला बैठे हैं.... जो वर्तमान में उचित नहीं लगता मुझे।
 हो सकता है मैं गलत सोचता हूं किंतु अक्सर कलेक्टर नवाचार करते हैं  एक झूठा नवाचार करने में क्या हर्ज है.....
 शायद, अंधे की हाथ बटेर लग जाए....

1 टिप्पणी:

  1. तुलसी, सप्तपर्ण, नीमपत्र, अडूसा, गिलोय, कालमेघ , मूलेठी, हल्दी, बिलपत्र, मदार(अकमन की जड़),अजवायन, अदरक,कालीमिर्च,दशमूल, पित्तपापड़ा,पिप्पली,नागरमोथा,अतिविषा,नागकेशर,गुड़ आदि औषधीय जड़ी-बुटियों का मिश्रण का काढ़ा बनाकर।कोरोना वायरस से ग्रसित रोगी को काढ़े को ठंडा करके पिलाकर एवम रोगी को वातानुकूलित रखकर रोगी के शरीर मे संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सकता है ऐसा मेरा विचार है। मेरे द्वारा बताई गई औषधियों के मिश्रण का आयुर्वेदाचार्यो चिकित्सको और चिकित्सा वैज्ञानिको द्वारा सफल परीक्षन करवाकर यह औषधीय मिश्रण कोरोनो वायरस के संक्रमण को रोकने में कारगर साबित हो सकता है।

    जवाब देंहटाएं

"गर्व से कहो हम भ्रष्टाचारी हैं- 3 " केन्या में अदाणी के 6000 करोड़ रुपए के अनुबंध रद्द, भारत में अंबानी, 15 साल से कहते हैं कौन सा अनुबंध...? ( त्रिलोकीनाथ )

    मैंने अदाणी को पहली बार गंभीरता से देखा था जब हमारे प्रधानमंत्री नारेंद्र मोदी बड़े याराना अंदाज में एक व्यक्ति के साथ कथित तौर पर उसके ...