गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

पुरुष और उसका पुरुषार्थ

पुरुष और उसका
 पुरुषार्थ 





अयोध्या के महाराज दशरथ एक पुरुष है फिर  अगर पुरुष है, तो 3 विचारधारा में जीवन खत्म कर देता है...., क्योंकि माया अपनी "त्रिगुणात्मक  शक्ति" से पुरुष को
मोहपाश में डाले रहती है.... ।


रामायण में नजदीक से देखने पर आभाष होता है कि जैसे यह तीन शक्तियां
 सत ,रज, तम का बाल्मीकि जी ने व्यक्ति के रूप में परिवर्तित कर  दिया है।

 राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या सत का का प्रतीक है, तो सुमित्रा रज का

 और कैकेयी रानी तम का प्रतीक।
 आप किसके अधीन हैं यह सुनिश्चित करता है कि आप अपने पुरुषार्थ को कितना प्रभावित करते हैं। कर्म व्याख्या में देखें तो महारानी कैकेई का तामस स्वरूप जगह जगह अभिव्यक्त हुआ है। उसका अयोध्या राजपरिवार में और उसके बाहर भी क्या असर हुआ है। जैसे राम का वन गमन, लोक कल्याण का कारण बना और उच्चतम आदर्श के मापदंड स्थापित हुए। इसलिए तामस स्वरूप रानी कैकेई का योगदान कमतर नहीं रहा है ....

मजे की बात यह है एक पुरुष अगर वह महिला है तो उसमें भी पुरुषार्थ है यह समझ कर चलना चाहिए, कितना अपने स्वविवेक का उपयोग करता है क्योंकि यह तीनों रानियां हमारे और आपके जीवन में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष बनी रहती हैं रामायण की यह सीख अद्वितीय है

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