20अप्रैल20,आदिवासी क्षेत्र। मुख्यालय ने आंशिक छूट पर ली अंगड़ाई,
दफ्तरों में चहल-पहल
तो उद्योगपतियों ने दी दस्तक
(त्रिलोकीनाथ)
कोरोना महामारी लॉकआउट के 27 वें दिन 20 अप्रैल 20 को शहडोल मुख्यालय में पूर्व घोषित आंशिक छूट का नजरिया महसूस किया ।शासकीय कार्यालय खुले, चहल-पहल बढ़ गई तो सड़कों में भी उतना ही लाक आउट का प्रभाव और कुछ जनता में अंगड़ाई लेता परिवहन दिखा।
आज ही आदिवासी क्षेत्र मुख्यालय में विश्व स्तरीय रिलायंस सीबीएम का हैंडवाश बिना टच किए मैनुअल तरीके से लाइफ ब्वॉय साबुन के साथ देखा गया। क्योंकि मुख्यालय में जाम पड़ी प्रशासनिक लोक चेतना के लिए जनप्रतिनिधि व सामाजिक लोगों की एक बैठक भी रही ।जिसमें सांसद, विधायक व अन्य लोग शिरकत किये है।
वैसे बेहतर तो होता की विश्व स्तरीय सैनिटाइजर मुख्य गेट पर लगा होता। तो आदिवासी क्षेत्र के लिए एक मॉडल होता ।आज ही ओरिएंट पेपर मिल के अधिकारीगण 1000000 रुपए का डोनेशन राज्य शासन के लिए देने आए। मैंने एक अधिकारी से कहा भी कि वे चाहे तो मुख्य गेट पर ऑटोमेटिक सेनीटाइजर लगाकर ज्यादा बड़ा बोर्ड लगा सकते हैं। जो एक अच्छा संदेश जाता, आखिर करीब 55 साल से ओरिएंट पेपर मिल शहडोल की संसाधनों से अपने औद्योगिक विस्तार को पूरे भारत में फैलाया है। इतना छोटा काम उनके बाएं हाथ का था ,किंतु उन्हें शायद यह एक घटिया और पिछड़ी हुई तरकीब महसूस हुई होगी..., इसीलिए उन्होंने इसकी जरूरत न समझ कर जैसे आदिवासियों को लोग नजर अंदाज कर जाते हैं उन्होंने नजरअंदाज कर दिया....
यह औद्योगिक कल्याण कार्यक्रमों का पिछले 55 साल से सेवारत उद्योग की प्रस्तुति थी, वे कैश दान पर विश्वास करते रहे ....
उधर जिला आबकारी अधिकारी श्री रजोरे ने फिजिकल डोनेशन का उदाहरण देते हुए अपने हाथ से जरूरतमंद लोगों को खाद्य सामग्री पहुंचा कर आत्म संतोष की बात पर ज्यादा यकीन करते दिखे...
जिनकी कुछ फोटोग्राफ्स जन चर्चा में रहे। शहडोल सिंहपुर सीमा पर पोंडा नाला के पास बिना कोई सोशल डिस्टेंसिंग के भूख से घर आए हुए करीब डेढ़ दो सौ प्रवासी दिहाड़ी परिवार
दफ्तरों में चहल-पहल
तो उद्योगपतियों ने दी दस्तक
(त्रिलोकीनाथ)
कोरोना महामारी लॉकआउट के 27 वें दिन 20 अप्रैल 20 को शहडोल मुख्यालय में पूर्व घोषित आंशिक छूट का नजरिया महसूस किया ।शासकीय कार्यालय खुले, चहल-पहल बढ़ गई तो सड़कों में भी उतना ही लाक आउट का प्रभाव और कुछ जनता में अंगड़ाई लेता परिवहन दिखा।
आज ही आदिवासी क्षेत्र मुख्यालय में विश्व स्तरीय रिलायंस सीबीएम का हैंडवाश बिना टच किए मैनुअल तरीके से लाइफ ब्वॉय साबुन के साथ देखा गया। क्योंकि मुख्यालय में जाम पड़ी प्रशासनिक लोक चेतना के लिए जनप्रतिनिधि व सामाजिक लोगों की एक बैठक भी रही ।जिसमें सांसद, विधायक व अन्य लोग शिरकत किये है।
वैसे बेहतर तो होता की विश्व स्तरीय सैनिटाइजर मुख्य गेट पर लगा होता। तो आदिवासी क्षेत्र के लिए एक मॉडल होता ।आज ही ओरिएंट पेपर मिल के अधिकारीगण 1000000 रुपए का डोनेशन राज्य शासन के लिए देने आए। मैंने एक अधिकारी से कहा भी कि वे चाहे तो मुख्य गेट पर ऑटोमेटिक सेनीटाइजर लगाकर ज्यादा बड़ा बोर्ड लगा सकते हैं। जो एक अच्छा संदेश जाता, आखिर करीब 55 साल से ओरिएंट पेपर मिल शहडोल की संसाधनों से अपने औद्योगिक विस्तार को पूरे भारत में फैलाया है। इतना छोटा काम उनके बाएं हाथ का था ,किंतु उन्हें शायद यह एक घटिया और पिछड़ी हुई तरकीब महसूस हुई होगी..., इसीलिए उन्होंने इसकी जरूरत न समझ कर जैसे आदिवासियों को लोग नजर अंदाज कर जाते हैं उन्होंने नजरअंदाज कर दिया....
यह औद्योगिक कल्याण कार्यक्रमों का पिछले 55 साल से सेवारत उद्योग की प्रस्तुति थी, वे कैश दान पर विश्वास करते रहे ....
उधर जिला आबकारी अधिकारी श्री रजोरे ने फिजिकल डोनेशन का उदाहरण देते हुए अपने हाथ से जरूरतमंद लोगों को खाद्य सामग्री पहुंचा कर आत्म संतोष की बात पर ज्यादा यकीन करते दिखे...
जिनकी कुछ फोटोग्राफ्स जन चर्चा में रहे। शहडोल सिंहपुर सीमा पर पोंडा नाला के पास बिना कोई सोशल डिस्टेंसिंग के भूख से घर आए हुए करीब डेढ़ दो सौ प्रवासी दिहाड़ी परिवार
अपने भविष्य को लेकर चिंतित वह घबराया हुआ दिखा... जिसमें उत्तर प्रदेश व राजस्थान के पुरुष महिलाएं और बच्चे भी शामिल रहे इसमें राजस्थान केे लोगों बड़ी़ समस्या थी कि वे आटा पसंद लोग थे चावल लगभग नहीं खाते। और लगातार चावल खातेेेेे मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित दिखे ।
बहरहाल स्थानीय दूर गांव से आए हुए मजदूर आज सुबह-सुबह करीब 7:00 बजे बैंकों केे द्वारों पर आकर सोशल डिस्टेंसिंग कााा पालन करते बैंक खुलनेे का इंतजार करतेे देखे गए, ताकि उन्हें सासन
द्वारा भेजी गई मदद से कुछ राहत मिल सके
कुल मिलाकर यह भगवान की कृपा या फिर दरिद्र नारायण का देश है जहां मलेरिया का असर और दवाइयों का उपयोग भी यदा-कदा होता रहा तब जाकर देश में 18000 के करीब संक्रमित पाए गए। यदि मलेरिया नहीं होता तो अपने कुरौना बंधु को खुला हमला करने का
अवसरछोड़ देता । यह बात शायद अमेरिका फ्रांस जापान को समझ में आ गई है। इसीलिए उन्होंने भारत को मलेरिया की दवाई देने के लिए धन्यवाद दिया।
बहरहाल यह तो लोकज्ञान है किंतु अगर शहडोल की विश्वस्तरीय रिलायंस सीबीएम कंपनी मुख्यालय में जिला चिकित्सालय स्तर पर लगाए गए ऑटोमेटिक सेनीटाइजर लगाकर आदिवासी क्षेत्र के लोगों के लोक कल्याण का प्रदर्शन किए होते तो उनकी ज्ञान की उत्कृष्टता पर हमें गर्व होता कि हम भी विश्व स्तरीय रिलायंस फाउंडेशन केेे सानिध्य में सुरक्षित रख सकतेे हैं....?
बहरहाल यह लोकज्ञान आदिवासी क्षेत्र् के निवासियों के लिए क्यों प्रकट होगा.....? इस तरह आदिवासी क्षेत्र का मुख्यालय 27 दिन के बाद अंगड़ाई लेता हुआ नजर आया ।
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