53 पत्रकारों का समूह कोविड-19 से संक्रमण का हुआ शिकार।
(त्रिलोकीनाथ)
राजभाटो के लिए इस खबर का अर्थ वैसे भी ज्यादा नहीं... क्योंकि यह उनके दृष्टिकोण में एक निरर्थक और फालतू की खबर है। बावजूद इसके की पूर्व जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने जंप के हवाले से पत्रकारों की बीमा को मध्यप्रदेश में एक जरूरत के रूप में बताया था। यह महाराष्ट्र की घटना है इसका मतलब नहीं कि मध्य प्रदेश से उत्कृष्ट पत्रकारों का समय वहां काम कर रहा है बल्कि अभी तक इन पत्रकारों के लिए वहां की राज्य शासन है कुछ सोचा भी है यह बात भी सामने नहीं आई है....
मध्यप्रदेश में कल शिवराज सिंह जी जब हितग्राहियों की सूची पढ़ रहे थे तो पत्रकारों के लिए हमारी आंखें भी झोली फैलाए खड़ी थी कि शायद कुछ गिर पड़े... किंतु जैसे उन्होंने कसम खा ली थी एक शब्द नहीं बोलेंगे..।
हो सकता है नरोत्तम मिश्रा से भी सहमत ना हो या फिर नरोत्तम मिश्रा प्रायोजित तरीके से पत्रकारों को खुश करने का सिर्फ एक माध्यम रहे हो ।बहरहाल मध्यप्रदेश के राजभाट पत्रकार वैसे भी बंद कमरों से ही काम करने में विश्वास रखते हैं ।
हम शहडोल की बात करेंगे जहां बहुसंख्यक पत्रकारों का समाज अपने परिवार हित व्यक्तिगत हित की परवाह किए बिना कोरोना के इस महाभारत युद्ध में जुटा रहता है उसे अपनी राष्ट्रीय निष्ठा दिखाने के पहले महाराष्ट्र के 53 पत्रकारों के प्रति संवेदना रखना चाहिए और इन्हें याद कर पर्याप्त सतर्कता के साथ पत्रकारिता का निर्वहन करना चाहिए। अन्यथा उपयोग करके फेंक दी गई वस्तु के समान मध्यप्रदेश शासन पत्रकारों को फेंक भी देगी और पता भी नहीं चलेगा।
तो अपनी सुरक्षा कोरोना से अपनी गैरेंटी पर करिए... क्योंकि अगर डिंडोरी और करंज्या में करोना पॉजिटिव निकल आया है तो शहडोल में नहीं होगा इसी गैरेंटी बिल्कुल मत लीजिएगा....
"जान है तो जहान है" हमारे प्रधानमंत्री जी हमें यही सिखा कर गए हैं.... उनकी यह सीख गांठ बांध लीजिए... शुभम मंगलम।
(त्रिलोकीनाथ)
राजभाटो के लिए इस खबर का अर्थ वैसे भी ज्यादा नहीं... क्योंकि यह उनके दृष्टिकोण में एक निरर्थक और फालतू की खबर है। बावजूद इसके की पूर्व जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने जंप के हवाले से पत्रकारों की बीमा को मध्यप्रदेश में एक जरूरत के रूप में बताया था। यह महाराष्ट्र की घटना है इसका मतलब नहीं कि मध्य प्रदेश से उत्कृष्ट पत्रकारों का समय वहां काम कर रहा है बल्कि अभी तक इन पत्रकारों के लिए वहां की राज्य शासन है कुछ सोचा भी है यह बात भी सामने नहीं आई है....
मध्यप्रदेश में कल शिवराज सिंह जी जब हितग्राहियों की सूची पढ़ रहे थे तो पत्रकारों के लिए हमारी आंखें भी झोली फैलाए खड़ी थी कि शायद कुछ गिर पड़े... किंतु जैसे उन्होंने कसम खा ली थी एक शब्द नहीं बोलेंगे..।
हो सकता है नरोत्तम मिश्रा से भी सहमत ना हो या फिर नरोत्तम मिश्रा प्रायोजित तरीके से पत्रकारों को खुश करने का सिर्फ एक माध्यम रहे हो ।बहरहाल मध्यप्रदेश के राजभाट पत्रकार वैसे भी बंद कमरों से ही काम करने में विश्वास रखते हैं ।
हम शहडोल की बात करेंगे जहां बहुसंख्यक पत्रकारों का समाज अपने परिवार हित व्यक्तिगत हित की परवाह किए बिना कोरोना के इस महाभारत युद्ध में जुटा रहता है उसे अपनी राष्ट्रीय निष्ठा दिखाने के पहले महाराष्ट्र के 53 पत्रकारों के प्रति संवेदना रखना चाहिए और इन्हें याद कर पर्याप्त सतर्कता के साथ पत्रकारिता का निर्वहन करना चाहिए। अन्यथा उपयोग करके फेंक दी गई वस्तु के समान मध्यप्रदेश शासन पत्रकारों को फेंक भी देगी और पता भी नहीं चलेगा।
तो अपनी सुरक्षा कोरोना से अपनी गैरेंटी पर करिए... क्योंकि अगर डिंडोरी और करंज्या में करोना पॉजिटिव निकल आया है तो शहडोल में नहीं होगा इसी गैरेंटी बिल्कुल मत लीजिएगा....
"जान है तो जहान है" हमारे प्रधानमंत्री जी हमें यही सिखा कर गए हैं.... उनकी यह सीख गांठ बांध लीजिए... शुभम मंगलम।
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