गुरुवार, 5 मार्च 2020

हमरो बिसाहू, हिरानो है.., ए दइया, मिले बता दैइय्यो.... 😅😂

हमरो बिसाहू, हिरानो है..,
ए दइया, मिले बता दैइय्यो.... 😅😂




( त्रिलोकीनाथ )
बिसाहूलाल शहडोल की राजनीत में दिग्विजय सिंह के प्यादे हैं, उनका गायब होना गायब होने की श्रेणी में नहीं होता... बल्कि अंतर्धान हो जाना कहलाता है। यह अलग बात है कि उसे साबित करने के लिए गायब होना थाने में लिखा जाना जरूरी हो और पटकथा लेखक को यह लिखना भी जरूरी हो गया हो। किंतु थाने की समस्या यह है कि जो यहां गुमशुदा हो जाता है उसका मिलना थोड़ा कठिन हो जाता है। 
अब बिसाहू लाल के संभाग में एक महिला तो हमें भी याद है जो 2016 से गायब है और शहडोल पुलिस "जयश्री मिश्रा उर्फ रेणु" को खोज पाने में असफल है। औरअनुमान लगाएं तो वह खोज पाने में असंभव ही है। वह उसे मृत घोषित क्यों नहीं कर रही है हो सकता है उसमें कानूनी दांवपेच अड़ंगा डाल रहा हो।

 जैसे बिसाहू लाल अंतर्धान हो गए हैं जानबूझकर ...,वैसे पुलिस के संज्ञान में जयश्री मिश्रा को अंतर्धान करा दिया गया है... और उसे प्रकट करने का मतलब पुलिस कार्यवाही का उनकी लापरवाही का और उससे जुड़ी एक अन्य हत्या का पर्दाफाश हो जाना भी है ...इसलिए बिसाहू लाल का गुमशुदा होना अंतर्धान का पर्यायवाची है ....।जैसे जयश्री मिश्रा का गुमशुदा (अंतर्धान) होना गायब कराने का पर्यायवाची है । किंतु जब पुलिस अंतर्धान कराती है तो खोज पाना मुश्किल है और जब राजनेता अंतर्धान कराते हैं तो जैसे भगवान कहीं भी प्रकट हो जाता है वैसे बिसाहू लाल भी प्रगट हो जाएंगे।
 जब तक बुंदेलखंड का यह चर्चित गाना मनोरंजन के लिए पर्याप्त है खासतौर से मध्य प्रदेश की राजनीति में कि
 "हमरो बिसाहू हिरानो है... ए दैइया, मिले बता दइय्यो....

अंतर्ध्यान होने में अकेले बिसाहू को महारत हासिल नहीं है बल्कि मध्य प्रदेश की राजनीति को एक अन्य विधायक डंग ने भी डंक मारा है देखते हैं उनके जहर में कितना असर है.....





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