बुधवार, 4 मार्च 2020

चीनी-कोरोना" का कहर, हमारे "सांप्रदायिकता" ने अब तक मारे 40 से पार.... (त्रिलोकीनाथ)

अथ् कथा, जम्मू-दीपे
भारत देशे....
इटली से घुसे  "चीनी-कोरोना" का कहर,
  हमारे "सांप्रदायिकता" ने अब तक मारे 40 से पार....

प्रदेश के आदिवासी विभाग ने  भी  पर्यटन के लिए भेजे, युद्ध क्षेत्र में,
 475 बच्चे.....

( त्रिलोकीनाथ )

हमारे प्रधानमंत्री जी ने सीधे अहमदाबाद से चीन के राष्ट्रपति को लाए थे झूला भी झुलाए थे, तब कोरोना नहीं आया था। अब वह आया है तो भी अखबार की मानें तो इटली से घुसा है ।और त्रिकोण का नक्शा में कब्जा कर सकता है। देखने से तो ऐसा ही लगता है, बावजूद इसके कि कई लोग कोरोनो की चपेट में बड़ी तेजी से आए बताए जाते हैं किंतु अमेरिका से ट्रंप आए थे उस समय कुछ ही दिन में दिल्ली में "सांप्रदायिकता की बीमारी" से अब तक 40 से ऊपर लोग मर चुके हैं 400 से ऊपर लोग प्रभावित हैं... वे जिंदगी भर रहेंगे ।

इस मद्दे नजर देखा जाए तो सांप्रदायिकता कोरोना को पीछे छोड़ चुकी है। मौत के धंधे में हालांकि उसकी इंट्री इटली से हुई है ....और सांप्रदायिकता के बड़े जिम्मेदार हिंदुत्व को इटली से सतर्कता भी हमेशा रही आई है।
 यह भी तय है कि अब अचानक पाकिस्तान में उतर कर शक्तिमान की तरह भारत के प्रधानमंत्री वहां किसी को गले नहीं लगाएंगे, क्योंकि पाकिस्तान में उनका  अपना  सांप्रदायिकता फिलहाल कोरोना से भी ज्यादा बड़ा हो चुका है। और छुआछूत की "महामारी-अवतार" होने के बावजूद भी कोरोना ने भारत में हत्या का रिकॉर्ड की शुरुआत नहीं की है। फिलहाल ट्रंप यात्रा में"सांप्रदायिकता" ने सफलता हासिल करते हुए अब तक 40 पार किए हैं यह दिल्ली में खबर है ।


तो मध्यप्रदेश में भी तेजी से फैली की "रामबाई को भूपेंद्र सिंह प्लेन से दिल्ली ले गए , दिग्विजय के बयान पर शिवराज ने कहा- बेकार की बातें करते हैं।
 सही भी है गए तो कई लोग थे दिल्ली में, लेकिन "कोरोना का कहर" पुनः जल्द निर्णय लेने के लिए बाध्य कर दिया और वे कई विधायक जल्दी दिल्ली से वापस आ गए । क्योंकि एक विधायक की माने तो 25करोड़ नगद ही दे देना चाहिए था...
 मंत्री पद का झंझट और 5 करोड़ पर नगद का अफवाह को कौन झेलता ....।
वर्तमान राजनीति में तुरंत निर्णय होने लगे हैं। 
अमेरिका से ट्रंप भारत के लिए उड़े थे तो पीछे से खबर भी खूब उड़ी कि वे सीए और कश्मीर पर भी चर्चा करेंगे जितना दबाव अपना शानदार स्वागत 23000 करोड़ का सौदा होने तक वातावरण बदल गया भाषा इस्लामी आतंकवाद तब ठहर गई और चर्चित बिंदु भारत के आंतरिक समस्या बनकर दम तोड़ दिया दुनिया का मार्गदर्शक महात्मा गांधी के साबरमती में स्मारिका पर लिखा गया मेरे अच्छे प्रधानमंत्री मोदी धन्यवाद इस यात्रा के लिए।
 अंततः 40 मरने के बाद केजरीवाल का कीड़ा भी परेशान हो गया, नरेंद्र मोदी से मिले इसके पहले कन्हैया कुमार को दोनों ने मिलकर अंततः देशद्रोही के आरोप में न्यायालय के एंक्लोजर में भेज दिया.... क्योंकि बांधवगढ़ के दोनों बाघ कान्हा और बिजली आदमियों की परवरिश से अपना प्राकृतिक जीवन भूल गए थे..., जब प्रधानमंत्री से मिलकर लौटे दिल्ली के केजरीवाल तो कहा "मुलाकात शानदार रही..." जैसे पाकिस्तान से संयुक्त राष्ट्र में मिलने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस होती है। और नेता बोलते हैं एक-दूसरे के देश के बारे में।
 किंतु इटली से आए कोरोना और भारत के सांप्रदायिकता के वायरस के कहर से निपटने का जिसमें दिल्ली में ही तुरत फुरत सांप्रदायिकता ने 40 को निपटा दिया, कोरोना निपटाने को खड़ा है... कोई खुली चर्चा नहीं हुई...। प्रभावित व्यक्तियों के समाधान के लिए कोई बड़ा बजट देने के बारे में  मोदी-केजरीवाल के शिखर वार्ता  बीच में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं बताया गया।
 बहरहाल मध्यप्रदेश में कबीलाई
राजनीति से "अज्ञात वायरस" से 8 से 11 लोग प्रभावित हो गए थे। उन्हें  तुरंत इलाज के लिए भाजपा और कांग्रेस ने मिलकर किल करने का काम किया और सफलता हासिल कर ली। मंत्रिमंडल विस्तार में उसके व्यापक प्रभाव देखने को मिलेंगे। कुछ वायरस, बैक्टीरिया के रूप में प्रदेश की आदिवासी राजनीति को खत्म करने के लिए सक्रिय हो जाएंगे। हाल में ब्होहारी के विधायक शरद कोल
 आदिवासी राजनीति और पिछड़ेपन मैं करीब करीब राजनीतिक पार्टियों की अति दुर्दशा का बखान खुलकर किया था।
 इन सब से हटकर जब हमने आदिवासी संभाग के एक बड़े अफसर से पूछा कि जब पर्यटन क्षेत्र में दिल्ली आगरा में इटली से कोरोना घुसी चुका है तो प्रदेश के 475 बच्चों को काहे के लिए भेजा गया है...? शहडोल से भी 11 बच्चे इटली के वायरस से युद्ध करने के लिए जैसे भेज दिए गए...? उन्होंने कहा "तो क्या प्रदेश के निर्देश को ना माने..?, हमें लगा इसे कहते हैं कर्तव्यनिष्ठा...?
 अगर प्रदेश कहता है चाहे राजनीति में हो या ब्यूरोक्रेसी में कि "कुएं में गिर जाओ तो कर्तव्यनिष्ठ-अमला तत्काल कुएं में कूद जाता है..., जैसा दिल्ली में हुआ अब तक 40 मरे हैं।
 ईश्वर ना करें मध्यप्रदेश के आदिवासी बच्चे कोरोना वायरस से बिना अस्त्र-शस्त्र के लड़ें। आदिवासी विभाग शायद जागरूक हो जाए और तत्काल बच्चों को वापस बुला ले... अपने प्रदेश में। क्योंकि दिल्ली में खासतौर से चाहे कोरोना का हमला हो या फिर सांप्रदायिकता का दोनों ही वायरस भयानक खतरनाक तरीके से अपना कब्जा करने का संघर्ष कर रहे हैं। शुभम, मंगलम।(व्यंग;sabharjansatta)

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