रविवार, 12 जनवरी 2020

मेला राग दरबारियों का .....(त्रिलोकीनाथ)


मेला रागदरबारियों का
मकर संक्रांति आने को है लोकतंत्र में एक आईएएस अधिकारी श्री लाल शुक्ला ने इस दौरान लगने वाले मेला में अपने नजर से राग दरबारी का मेला लगाया है वर्तमान राजनीति में करीब 50 साल पहले लिखी गई राग दरबारी सटीक उतरती है हर चरित्र राग दरबारी का अंग दिखता है तो आइए हम भी राग दरबारी के मेले में अपना मेला ढूंढें वैसे भी भारतीय संसद के रात दरबारियों ने इन दिनों एनआरसी और एनपीआर का मेला जबरदस्त लगा रखा है आनंद लें अपनी अपनी राष्ट्रभक्ति में अपने-अपने राग दरबारियों का क्योंकि हमारे संसद की राग दरबारी इसी में आनंद ढूंढ रहे हैं तो हम और आप क्यों चुके लोकतंत्र अब एक मेरा ही है जिसमें मेले में खो नहीं जाता बल्कि पूरा का पूरा देश ही खो रहा है ...
(त्रिलोकीनाथ)
इसकी शुरुआत गुजरात में रहने वाली एक वकील साहिबा के वक्तव्य से समझें


(राग दरबारी के जरूरी अंश ही यहां प्रदर्शित किए गए हैं)














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