शुक्रवार, 31 जनवरी 2020

भाजपा-कांग्रेस में धर्म युद्ध, ..क्योंकि ट्रस्ट होगा भ्रष्ट.. लोकतंत्र बनाम माफियातंत्र भाग-5 त्रिलोकीनाथ

भाजपा कांग्रेस में धर्म युद्ध
क्योंकि ट्रस्ट होगा भ्रष्ट....!

*राम वन गमन पथ ट्रस्ट में शामिल होंगे भ्रष्ट ट्रस्टी, याने धार्मिक माफिया..?
*प्रशासन का बधिया करण कर, मोहन राम मंदिर को जमकर लूट रहा है धार्मिक माफिया ...प्रशासन लाचार..
*कैसे चलेगा माफिया मुक्त अभियान..?
लोकतंत्र बनाम माफियातंत्र भाग-5

पुरुष बली नहीं होता है..., 
समय होत बलवान।
 भीलन लूटी गोपियां..., 
वाहे अर्जुन वही बाण।। 

(त्रिलोकीनाथ)

और यही कारण है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह परेशान है।

 उनकी समस्या यह है कि उन्होंने उनके-हिंदू-धर्म के आईकान भगवान राम और उनके परम भक्त हनुमान जी महाराज जोकि  भाजपा की वोट बैंक दुकान ब्रांड एंबेसडर को अतिक्रमण की दुकान  की तरह  तोड़ने का काम कर रहे हैं.... मंजे हुए शानदार खिलाड़ी की तरह।
 कमलनाथ भाजपा के कमल को कुचलते हुए अपना कमल खिला रहे हैं..... उन्होंने "राम वन गमन पथ" का काम अपने एजेंडे में लिया था तो भक्त शिरोमणि हनुमान जी महाराज की आराधना का रिकॉर्ड,    मिंटोहाल

 में करने की जो घोषणा की उससे तो मानो हिंदुत्व का ढकोसला ही जैसे ढहने को आ गया और राकेश बाबू टूट से गए। उन्होंने कहा वे नकल कर रहे हैं कहते हैं "राम को काल्पनिक बताने वाले हनुमान जी की पूजा कर रहे हैं"....?
 जबकि हमारे आदर्श कहते हैं,
 "राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट" इतना ही नहीं उन्होंने कहा "अंत काल पछतायेगा जब प्राण जाएंगे छूट"

 तो क्या बुरा है अगर कांग्रेस के कमलनाथ अपना कमल खिला रहे हैं तो राम का कमल जितना खिल जाए उतना हिंदू धर्म के लोगों को खुश होना चाहिए और मोगैंबो को भी.... लेकिन मोगैंबो बहुत दुखी है।
 तो दुखी अपन भी है भैया, क्योंकि राम वन गमन पथ मे शासन ट्रस्ट बनाने जा रही है, और ट्रस्ट में भ्रष्ट लोग शामिल नहीं किए जाएंगे इसकी कोई गारंटी नहीं.... ....बल्कि भ्रष्ट लोग ही ट्रस्ट में शामिल होंगे...

 चित्रकूट के जमीन से जैसे कोई गारंटी देता नजर आ रहा है..... और यह बात हमें दुखी करती है क्योंकि अगर ऐसा "भ्रष्ट-ट्रस्ट" निर्मित होगा तो शहडोल आते आते यह राम जी का वनपथ हमारे भ्रष्टाचार को महिमामंडन करेगा और उसके महिमामंडन में शहडोल का "मोहन राम मंदिर ट्रस्ट" लूट और डकैती का अघोषित अड्डा बन जाएगा....


.. उसे सरकारी संरक्षण मिल जाएगा.., अघोषित ही सही मिला तो अभी भी हुआ है.... बेचारा न्यायपालिका और उसे बचाने वाले न्यायअधिकारी की दया भी मोहताज होती चली जाएगी.... क्योंकि वही अंतिम स्थान है जो लोकतंत्र के भ्रष्टाचार के सफेद हाथी को नियंत्रित करता है, अंकुश लगाता है।
 2013 में हाईकोर्ट ने शहडोल के मोहन राम मंदिर के प्रकरण पर विवादित लोगों को किनारे कर के एसडीएम सुहागपुर को निर्देश दिया था जिससे पूरे मोहन राम मंदिर ट्रस्ट का प्रबंधन के लिए स्वतंत्र कमेटी बने कमेटी भी बनी, जो "ट्रस्ट" ही थी/है..., उसमें भ्रष्ट लोग भर भी गए क्योंकि भाजपा का राज था... और भाजपा को विरासत में भ्रष्टाचार का ट्रस्ट हिंदुत्व के ब्रांड में बनाए रखने का निर्वहन करना था... कुछ ट्रस्टी तो मर गए.... कुछ ने इस्तीफा दे दिया... अब बचे सरकारी और नाममात्र के गैर सरकारी इनकी हिम्मत नहीं है कि यह अब इस "भ्रष्ट ट्रस्ट" के संचालन पर अपनी भूमिका अदा करें.... क्योंकि "धर्म का माफिया" कम से कम मोहन राम मंदिर के मामले में तो हम हैं अब कांग्रेस के नेताओं को नियंत्रित करने लगा है और प्रशासन मैं बैठे लोगों को यह भ्रम है कि वे "धर्म के माफिया" के दया और कृपा से शहडोल में प्रशासन कर रहे हैं... हाई कोर्ट कुछ भी चिल्लाता रहे, उसका कोई महत्व नहीं.....? इनके लिए मोहन राम मंदिर लूट जाए, डाका पड़ता रहे... हाई कोर्ट के आर्डर की अवमानना पैरों तले कुछ ली जाती रहे.... बहुत महत्व नहीं रखता..... किंतु "धार्मिक माफिया" और धर्म के आतंकवादियों का आतंक बरकरार रहना चाहिए...... इसलिए मोहन राम मंदिर ट्रस्ट को लूटते देखते रहना चाहिए......?
 यही कारण है कि 2013 से अब तक हाईकोर्ट की इच्छा अनुसार विवादित पक्षकारों से कोई प्रभार गठित "स्वतंत्र एजेंसी  के अद्यतन ट्रस्टीयों" ने नहीं लिया है... उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार विवादित पक्षकारों को उन्हें मंदिर प्रबंधन से पृथक भी नहीं किया गया है..., क्योंकि धार्मिक माफिया को मालूम है उसका भ्रष्टाचार उसकी खुली डकैती का एक-एक हिसाब प्रभार बदलते ही पारदर्शी हो जाएगा और उनका यानी धार्मिक माफिया का नकाब उतर जाएगा। 
तो आइए जानिए वर्तमान में मोहन राम मंदिर की रक्षा का दायित्व किन पर है... स्वतंत्र कमेटी के सदस्य कौन है, वर्तमान में तहसीलदार सोहागपुर ,राजस्व निरीक्षक सोहागपुर, संग्रहालय अध्यक्ष शहडोल और दो अन्य श्री रमेश त्रिपाठी एडवोकेट और श्री राजेश्वर उदैनिया यह सब मौन सहमति देते हुए मंदिर ट्रस्ट को लूटने का और लूटवाने का काम करते नजर आ रहे हैं... भलाई इनकी सहमति ना हो किंतु मौन सहमति तो दिखती ही है....।



 हां एक बात और, जब भी कभी किसी पुरुषार्थधारी एसडीएम ने मोहन राम मंदिर ट्रस्ट को हाईकोर्ट की इच्छा अनुसार आदेश पालन कराने का काम किया है, तो "धार्मिकमाफिया" ने किसी न किसी तरीके से एसडीएम को "बधिया-करण" कर दिया या तो ट्रांसफर कर दिया या फिर उसे 2013 से मंदिर प्रबंधन का प्रभार बदलने फाइल को ठंडे बस्ते में रखने का निर्देश दिया... कम से कम भाजपा की सत्ता के विदाई के वक्त आईएएस अधिकारी लोकेश कुमार जांगिड़ ने जब मंदिर प्रभार बदलने का काम किया तो उन्हें मामूली से "बुढार के सटोरिए जो भाजपा का नेता है के कहने पर या यूं कहें "फर्जी जाति प्रमाण पत्र" पर जीवित भाजपा नेता के इशारे पर शहडोल से स्थानांतरण कर दिया गया..., समय बदला कांग्रेस आई फिर से एसडीएम धर्मेंद्र मिश्रा ने मोहन मंदिर ट्रस्ट को हाईकोर्ट के इच्छा के अनुसार आदेश पालन कराना चाहा.... किंतु "धार्मिक माफिया" ने प्रशासन को नपुंसक बनाने का पूरा काम कर डाला.... उनका भी स्थानांतरण हो गया..।
 इससे यह तय है कि सत्ता किसी की भी हो "धार्मिक आतंकवादी अथवा धर्म का नकाब पहन कर काम कर रहा माफिया हमेशा सक्रिय रहता है.... मंदिर और मस्जिदों को लूटने और उस पर अपनी मंशा से मनमानी काम कराने में सफल रहता है.....।
 शहडोल मोहन राम मंदिर ट्रस्ट के कुप्रबंधन के कारण न्यायालय ने ट्रस्ट को हटाया और जो धर्म का नकाब पहनकर ट्रस्टी बने उन्होंने गिरोह बनाकर मोहन राम मंदिर ट्रस्ट की खसरा नंबर 138 की करोड़ों की जमीन ऊपर ही ऊपर अपने नाम करा ली......? एक फर्जी संगठन के नाम पर.....? और इस फर्जी संगठन का "हेड क्वार्टर" भी चित्रकूट होना शासकीय भू अभिलेख खसरा नंबर 138 में दिखाया गया...?
 चित्रकूट से अगर राम वन गमन पथ का करोड़ों अरबों रुपए का ट्रस्ट मध्यप्रदेश शासन बना रही है... उसमें यह भ्रष्ट ट्रस्टी नहीं रहेंगे...  इसकी क्या गारंटी.....?
 कम से कम हम तो शहडोल में बैठकर देख ही रहे कि, यही लोग ट्रस्ट को लूटने के लिए राम वन गमन पथ के नाम पर डाका डालेंगे......, और मध्यप्रदेश शासन उस वक्त भी कुछ नहीं कर पाएगा... क्योंकि अभी ही वे नपुंसक नजर आते है.... उसका प्रशासन 2013 से शहडोल की मोहन राम मंदिर को बचा पाने में असफल रहा है....
 भाजपा के राकेश बाबू को दुख क्यों ना हो.... कि जो माफिया उसके लिए काम करते थे.... वह कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं... राकेश बाबू हम आपके दर्द के साथ हैं... होता है हमें गलत महसूस होता है, कि माफिया को हम खेलते हैं...., दरअसल माफिया हमको खेलता है....? राजनीतिक पार्टियों को खेलता रहता है...., जरा सोच बदलने की जरूरत है...।
ज्यादा दुखी ना हो.... वक्त है बदल जाएगा... क्योंकि...,
 समय बलि नहीं होत है...., आपके अंडर में माफिया भी आएगा और वह आपको चलाएगा भी.... अपनी मजदूरी का इंतजार करिए.... हमारी शुभकामनाएं...

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