सोमवार, 9 दिसंबर 2019







जीतूसोनी के मुकाबले जादाताकतवर है शहडोल का अतिक्रमणकारी...?
नेमचंद जूती तले दबा रखा है....
Kanoon,व्यवस्था को....





मां बाप ने जब नाम रखा होगा जीतू, तो जरूर सोच रही होगी यह सब कुछ जीतेगा किंतु जीतू हार गया.... क्योंकि वह जीतने के लिए नहीं बल्कि हारने के लिए जीत रहा था... तो लक्ष्य को पा गया। और जीतू सोनी का काला संसार अवैध अतिक्रमण कुछ घंटे में ही जमींदोज हो गए। क्योंकि इंदौर का कलेक्टर कमिटेड थे कि वह अवैध अतिक्रमण को हटा  देंगे। तो अतिक्रमण कुछ घंटे में हट गया ।यह कर्तव्य निष्ठा का परिणाम था, प्रशासनिक दायित्व के निर्वहन में पत्रकारिता का नकाब काम ना आया, क्योंकि जो कुछ काली दुनिया में जीतू की जीत का कारण बना वह सब उसी काली दुनिया में जैसे गायब हो गया। उसके बंगले में सिर्फ एक सत्य "भगवान का मंदिर" को बचा दिया गया ।क्योंकि यही सच था, प्रशासन की मंदिर को बचाने की मनसा में कहीं ना कहीं सत्य स्थापित रखना एक उद्देश्य रहा होगा 
     बहरहाल, इंदौर में जीतू अतिक्रमणकारी माफिया के रूप में हार गया किंतु शहडोल में मुख्यगांधी चौक में सरकारी जमीन पर माफियागिरी कर कभी आरएसएस का नकाब पहनकर तो, कभी कांग्रेसी का दामन पकड़ कर अपने अवैध कारोबार में पालतू की तरह नेताओं को पालकर चौकीदारी कराने वाला नेमचंदजैन, जीतूसोनी से ज्यादा सफल अतिक्रमणकारी है।
 क्योंकि शहडोल के तहसीलदार सोहागपुर द्वारा 19अक्टूबर19 को उसके अवैध अतिक्रमण को जमींदोज करने के लिए पूरी तैयारी करने के बाद और तैयारी होने के बाद अचानक पर मौन साधना ले ली जाती है....?
 खबर है कांग्रेस पार्टी के लोगों के संरक्षण में और आरएसएस की एक नेता की चौकीदारी में अवैध अतिक्रमणकारी नेमचंद जीत जाता है यह जीत जीतूसोनी की हार में एक बड़ा तमाचा है.....।
अवैध निर्माण की पुष्टि होने के बाद कारोबारी जीतूसोनी के 3 होटल और 2बंगले  को ध्वस्त कर दिया। नगर निगम, पुलिस और प्रशासन ने संयुक्त रूप से 24 हजार वर्गफीट के प्लॉट पर 7 हजार वर्गफीट में बने बंगला 'जग विला', होटल- माय होम, बेस्ट वेस्टर्न और ओ टू के तथा एक आशियाने अवैध हिस्सों को गिरा दिया।
4 घंटे में जीतू की करोड़ों रुपए की संपति को धराशायीकरने की पटकथा ने 15 दिन पहले तब आकार लिया, जब जीतू के अखबार ने हनीट्रैप मामले में जेल में बंद महिलाओं से कुछ नेताओं और अधिकारियों से संबंध उजागर किए। इसमें आरोपी महिलाओं के साथ बातचीत और कृत्य के ऑडियो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए। इसके बाद 30 नवंबर यानी 5 दिन पहलेनिगम इंजीनियर फरियाद लेकर पुलिस के पास पहुंचा और जीतू के सारे राजखोल दिए।
मध्य प्रदेश की राजनीति में हनी ट्रैप के नाम से मशहूर चेहरा स्वप्निल जैन का लिंक जैसे जीतू के घर तक उसकी काया-माया सेब जुड़ा सब कुछ जीतू हार गया ।उसका काला साम्राज्य उसका साथ ना दे सका और वह एक लाख का फरारी बन बैठा।

यह सही है कि हनीट्रैप की स्वप्निल जैन शहडोल के अतिक्रमणकारी नेमचंद जैन तक लिंक नहीं कर पाई.., किंतु नेमचंद जैन के अतिक्रमण उसके गांधीचौराहा स्थित "भ्रष्टाचार का चंद्रलोक" अभी उसी तरह से चमक रहा है जैसे जीतू की जीत इंदौर पर चमकती रही।


 बावजूद इसके मध्यप्रदेश उच्चन्यायालय ने शहडोल के खसरा नंबर 119,120 के मुख्य गांधीचौक स्थित इस नजूलभूमि पर अवैधनिर्माण को हटाने के लिए निर्देश जारी किए थे । तब नगरपालिका परिषद ने कहा यह काम नजूलविभाग का है क्योंकि अतिक्रमण नजूलभूमि की है..., तो नगरपालिका क्यों हटाए....?
 अब जब तहसीलदार नजूल ने इस अतिक्रमण के एक भाग, 560 वर्ग फीट पर ₹90000 का जुर्माना ठोकते हुए 19 अक्टूबर को बेदखली की पूरी तैयारी की इसके बावजूद अचानक रातोरात उनका निर्णय कैसे बदल गया....?
- क्या तहसीलदार सोहागपुर की कार्यवाही विधि-विहीन और जल्दबाजी में लिया गया निर्णय था...?
 - क्या हाई कोर्ट जबलपुर ने नगरपालिका परिषद को गलत निर्देश दिए थे...?
- या फिर शहडोल नगरपालिका परिषद के आवेदन पर अवैध अतिक्रमण किए जाने की बात को स्वीकारते हुए जो दो बार नेमचंद जैन ने जुर्म और जुर्माना स्वीकार किया था, क्या जिला न्यायालय गलत था...?
   क्या पूरी व्यवस्था विधि विरुद्ध कार्य कर रही थी..., नहीं, यह अतिक्रमणकारी नेमचंद जैन की जीत है, क्योंकि इंदौर का जीतू भी जीत रहा था जबतक राजनीति,प्रशासन विधायिका और कार्यपालिका ऐसे अतिक्रमण कारी माफियाओं के चंगुल में बंधी है वह न्याय की जीत को हार में बदल देती है.... किंतु प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत किसी स्वप्निल जैन को जीतू की जीत का काला संसार कुछ घंटे में धारासाई कर देता है 
    फिर भी शहडोल प्रशासन को मुख्य गांधी चौक पर तहसीलदार नजूल सोहागपुर के ₹90000 जुर्माना लगाए जाने के बावजूद तत्काल "रेमंड शोरूम खोल" कर प्रशासन को चुनौती देने वाली इस अतिक्रमण को अब हटा ही देना चाहिए..... या फिर "स-सम्मान" नेमचंद ए
के घर में जाकर उसे नजूल का "स्थगन आदेश" स्वर्ण-पत्र पर दे देना चाहिए। ताकि न्याय का सिद्धांत जीत जाए ....दिखाने के लिए ही सही एक सच कानून के नजर में स्थापित हो।
 अन्यथा यह तो साबित हो ही गया है जीतूसोनी के मुकाबले शहडोल का अतिक्रमणकारी नेमचंद जैन पूरी व्यवस्था को जूती तले दबा रखा है....

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