
विलुप्त हो गई
नर्मदा .............-1-
सप्त कल्पक्षये क्षीणे, न मृता तेन नर्मदा
नर्मदै कैव राजेंद्र परंतिष्ठेत्सरिव्दरा
( नर्मदा ही एक मात्र सात कल्पों से सदानीरा है पुराणों में नर्मदा को कल्पों तक सदानीरा रहने का उल्लेख है)
जो नरेंद्र मोदी सरकार और हिंदुत्व की शासन प्रणाली में विलुप्त हो गई है...., यही एक कड़वा सच है.
.................................................( त्रिलोकीनाथ ).................

अब भयानक विकास हो गया है, कपिलधारा के ठीक पहले एक बेरियल लगता है और सैकड़ों की संख्या में चार पहिया वाहन भी वहां खड़े होते हैं, फिर पैदल जाना पड़ता है लगे हाथ टोल टैक्स वाले पैसा भी वसूलते हैं तब से अब तक बहुत विकास हो गया है।अमरकन्टक व नर्मंंदा में पक्के मकान बनने प्रारंभ हुए थे .....भू-जल निकास या ड्रिंल करके बोरिंग के जरिए पानी निकालना काल्पनिक घटना थी......; हरी-भरी पहाड़ी में नर्मदा की स्वतंत्रता और उसका वैभव अत्यंत मनोरम और दर्शनी रहा अभी कहानियों में लिखे जाने वाली कथा की तरह है,
जिस पर कुछ दिन बाद लोग भरोसा नहीं करेंगे ...., कि कभी अमरकंटक या यू कहना चाहिए अभी लोग भरोसा नहीं करेंगे की अमरकंटक कभी ऐसा था.....! क्योंकि अब नर्मदा अपने उद्गम से कपिल धारा के बीच तक सूख चुकी है !,नर्मदा है ही नहीं कहना चाहिए विलुप्त हो गई है ।तो इस कथा को यहीं छोड़ते हैं ... । शहडोल जिला मुख्यालय है कभी अमरकंटक का भी मुख्यालय शहडोल होता था। मुख्यालय मे एक मंदिर है , जिसमें एक कुआं है, शहडोल मे कथित तौर पर इस मंदिर के बगल में जहां अभी अधिवक्ताकच्छ लगता है। कभी रीवा राज्य के महाराजा का यह गेस्ट हाउस हुआ करता था, शिकारगाह का। पीपल के पेड़ के पास मंदिर के सामने एकमात्र कुआं था जिस के पानी के भरोसे पूरे कलेक्ट्रेट के कर्मचारी/ चतुर्थ वर्ग कर्मचारी आश्रित थे ,बल्कि तहसील केे भी ।क्योंकि तब यह कुआं तहसील कार्यालय सोहागपुर का इकलौता कुआं था ।पानी इसलीए साफ सुथरा रहा क्योंकि पीपल के नीचे था। पर्याप्त ऑक्सीजन पानी को मीठा रखती थी ।इसी पानी से ऐतिहासिक शिव मंदिर के शिव का स्नानादि रहा। यह सिलसिला तब तक बरकरार था जब तक कलेक्ट्रेट में खनिज भवन का निर्माण नहीं हुआ ।भवन निर्माण के लिए एक बोरिंग हुआ और इस बोरिंग की जलधारा जो शायद कुआं से मिलती थी, बोरिंग होने के बाद खत्म हो गई ।अभी सूखा कुआ रह गया है। भगवान को भी पानी नसीब नहीं..., हम आदमियों के सभ्यता विकास के कारण।
यह पहला बोरिंग नहीं था शायद कलेक्टरेट केंपस का चौथा या पांचवा बोरिंग रहा होगा..., फिर भगवान के पानी के लिए पुजारी ने सब भाजपा सरकार की एक कथित अनशन में आए सांसद ज्ञान सिंह और उनके नेतृत्व में जयस्तभ स्थान पर बैठे अन्य विधायक के समक्ष इस समस्या को रखा गया कि भगवान को पानी उपलब्ध कराया जाए .... ज्ञान सिंह आदिवासी थे, ऊपर से रामायण प्रेमी.., भावुक हो गए और उन्होंने तत्काल संज्ञान लेते हुये, उपलब्ध सभी विधायकों, जिला भाजपा अध्यक्ष , नगर पालिका अध्यक्ष आदि से इस आवेदन पर भी हस्ताक्षर कराए .., जो पुजारी सुरेन्द्रद्विबेदी जी ने ज्ञान सिंह को दिया। ताकि एक बोरिंग हो सके जो मंदिर में भगवान के लिए और भगवान रूपी प्रचारित जनता याने नेताओं के भगवन "जनता-जनार्दन" के लिए, पक्षकारों के लिए जो कलेक्ट्रेट में आकर भटकते थे....प्यास लगने पर। सांसद जी को कई बार याद दिलाया गया, उन्होंने कहा भी कि जल्द ही पानी की व्यवस्था हो जाएगी ......, अब सांसद जी की टिकट भी कट गई.., और वह चिट्ठी भी शायद कहीं गुम हो गई ....संसद के गलियारे में या फिर शहडोल जिला योजना समिति के जंगल में.....,?

शेस भाग .... 2 मे-
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