बुधवार, 24 अप्रैल 2019

लोकसभा का चुनावी मुद्दा...

लोकसभा का चुनावी मुद्दा........
  "अंडरवियर"   "विरासत"  
------------( त्रिलोकीनाथ ) -----------------
पता नहीं "कांग्रेस मुक्त भारत" , यह ख्वाब, प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी के लिए कितना कठिन है..? किंतु उन्होंने "गरीब की जोरू" याने "भारत की पत्रकारिता" को पत्रकारिता मुक्त करने का जो काम किया उसका हालिया प्रदर्शन बहुचर्चित फिल्म स्टार अक्षय कुमार, हां..., वहीं अक्षय कुमार जिन्होंने "टॉयलेट एक प्रेम कथा" कही थी, प्रधानमंत्री के साथ "टॉयलेट-इंटरव्यू" किया गैर-राजनीतिक-इंटरव्यू.., साक्षात्कार नाम दिया गया.

 मेरे समझ में नहीं आया कि जब सदी का महानायक अमिताभ बच्चन साक्षात वर्तमान में जी रहे हैं... अमिताभ बजाय यह इंटरव्यू प्रधानमंत्री ने अक्षय कुमार क्यों करवाया..? क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी और उनका नेटवर्क अगर चाहता है तो भारत कोकिला भारतरत्न लता मंगेशकर से    भाजपा के मोदी के लिए गवैया बना देता है.. इसमें  कोई इलाज लोक-लाज की बात नहीं..., मुंबई के बाजार में पैसा कमाने के लिए बैठे कलाकार कोई साधु सन्यासी तो है नहीं..... कि वे यह सब सोचते बैठे...?

1919 का चुनाव, मुद्दा का चुनाव नहीं  कहलाएगा......, हवा हवाई बातें.. जैसे "चौकीदार चोर है..." तो "मैं ही चौकीदार" हूं कमोवेश, इसी प्रकार के हालात चाहे उत्तरप्रदेश के रामपुर लोकसभा क्षेत्र की हो अथवा शहडोल मध्यप्रदेश की बात | कोई मुद्दा ही नहीं.... लोग वोट क्यों दे रहे हैं...? अपने ससद  उनको क्या भेजा... , किसी से भी पूछो तो समझ में नहीं आता और इस वातावरण में मुद्दे खोजते-खोजते अचानक सामने आ जाते हैं, जैसे रामपुर में अंडरवियर किस कलर का है..., मुद्दा बन गया और शायद पूरा चुनाव "अंडरवियर" में लड़ा जाएगा....
शुद्ध हिंदी में कहे तो "अंतर्वस्त्र "में|
 तो शहडोल में पूरी लड़ाई कांग्रेश से जंप किया तो भाजपा की डाल में जा बैठी, हिमाद्री सिंह..., तो भाजपा की धोखाधड़ी से त्रस्त होकर उनकी विधायक प्रमिला सिंह जंप मारी और कांग्रेसी प्रत्याशी बन गई ....,अब जब कोई मुद्दा है ही नहीं...., विचारधारा भी नहीं है..., कोई सोच भी नहीं दिख रही है तो रिक्त स्थान को कौन भरें....?
 भाजपा के लिए नरेंद्र मोदी एक मुद्दा है |भाजपा की सरकार से ज्यादा "मोदी-सरकार" बनाना तो कांग्रेस के लिए "चौकीदार चोर है...." | राहुल गांधी, लालपुर हवाई अड्डे पर महिलाओं का मन जीतने का बहुत प्रयास किए,राहुल ने कहा  बैंक खातों में जिसका पैसा मोदी निकाल लिए हैं,  5 साल में साढे तीन लाख साठ हजार रुपय़ॆ अब उनके खातों में आएंगे  और यह पैसा निश्चिंत रहना महिलाओं के खाते में जाएगा... पुरुषों को खुश होने की जरूरत नहीं है
| देखा गया महिलाओं के चेहरे में मुस्कुराहट तो आई,  बहरहाल कांग्रेस के घोषणापत्र में अच्छे-अच्छे वादे हैं, लेकिन एक पत्रकार होने के नाते घोषणा पत्र की कॉपी अभी तक प्राप्त नहीं हुई है. कहते हैं वेबसाइट में है, एक जमीनी पत्रकार को घोषणापत्र का ज्ञान नहीं है तो जमीन के मतदाताओं को तो मालूम ही नहीं होगा, कि क्या... क्या घोषणा हो गई |बहराल यह जरूर है कि जब राजीव गांधी बोलते हैं "मोदी... तो लोग कहते हैं,. चोर है.." जब वह कहते हैं, "चौकीदार... तो लोग कहते हैं.. चोर है..."| यही है अब बचा यह जानने का...?
 स्थानी मुद्दा क्या है..? जैसे रामपुर में जयप्रदा परेशान हैं भाजपा का बुर्का पहनकर... प्रत्याशी बन कर. फिलहाल जयाप्रदा सपा नेता आजम खान के खिलाफ चुनाव लड़ रही.. जया प्रदा का फिल्म शराबी का वह गाना बहुत चर्चित हुआ था "..मुझे नौलखा मंगा दे रे, ओ सैया दीवाने..."
 आजम खान अपनी शैली में ही.., जैसा कि उनका दावा है उन्होंने जयप्रदा का नाम नहीं दिया ब कहा तो बड़े स्टाइल से "17 साल लग गए पहचानने में" जबकि आजम खान को 17 दिन में ही पता चल गया था "अंडरवियर का रंग भी खाकी है".. बस क्या था आजम खान ने क्या कहा खाकी रंग को... बस फिर क्या था, आजम खान ने तुक्का छोड़ा था.., तीर बन गया शब्द-खंड "अंडरवियर का खाकी रंग" रामपुर की चुनावी फिजा में चर्चित नारा बन गया....  भारत की पूरी राजनीति जैसे मदहोश हो गई..., लगा अब न "गंगा पार लगाएगी ना राम और ना ही बुलेट ट्रेन, पुलवामा का सैनिक  भी छोटा दिख गया...? एकाएक राजनीतिक-पतन की तमाम सीमाओं को चीरता हुआ जैसे पाकिस्तान के लाहौर में फट गया .अंडरवियर  और उसका खाकी रंग.. जबकि टेलीविजन में यही अंडरवियर पूरी शिद्दत के साथ मल्टीनैशनल्स के मार्केटिंग करने वाले ऐसा प्रदर्शित करते हैं मानव बस-चले, टीवी के डब्बे को तोड़कर बाहर निकाल दे.., किंतु इतना हल्ला नहीं हुआ कभी भी... अगर आजम खान इसी अंडरवियर को खाकी रंग की बजाए किसी मल्टीनेशनल कंपनी का नाम लेकर बोल दिया होता.. तो करोड़ों अरबों रुपए से झड़ जाते... आजम खान कि सपा की गरीबी खत्म हो गई होती.... बहहाल.., यही तो रामपुर की चुनावी फिजा है... अगर बरेली लोकसभा में यह होता अंडरवियर नहीं वहां के बाजार में झुमका गिरता क्योंकि गाना बना था "झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में...." खूब चला... और जब नायिका को डकैत आंख मारता है राहुल गांधी को भी शर्मिंदा कर देता है... नायिका भी हतप्रभ हो जाती है .. क्या इतने में भी वोट नहीं मिलते......?
हवा में जो बातें हैं उड़ी वह "लज्जा" नाम की उपन्यास को भी पीछे छोड़ दी, कुछ पल के लिए... कहते हैं इस उपन्यास में लेखक को बांग्लादेश से बेदखल कर दिया गया था| 
तो अंडरवियर जमकर मुद्दा बना, खाकी रंग से बहुत मतलब नहीं था क्योंकि अब आर एस एस के मोहन भागवत की इच्छा से , अपना संविधान बदल कर "हाफ-पेंट" की ह "फुल-पैंट" का खाकी रंग स्वीकार कर लिया है.. क्योंकि समय की मांग थी| अंडरवियर का मतलब महिलाओं के अंडरवियर से जोड़कर देखा गया, जिसका रंग आजम खान को कैसे पता चला...? इस प्रकार हम भी जयप्रदा और भाजपा दोनों की ही बातों पर आंख मूंदकर विश्वास किए..
 जब चुनाव आयोग ने लगेहाथ आजमखान को भी कहा "जवान बंद रखो, कुछ घंटों के लिए" का आदेश दिया तब हम गंभीर हो गए, अरे;यह चुनाव का मुद्दा था ..?
.इस प्रकार से अंडरवियर खाकी रंग का रामपुर की लोकसभा में मुद्दा बन गया|   और उसका रंग जमकर चला बीच में बड़े नेता अमर सिंह भी बौखला गए क्योंकि आजम खान ने अस्पष्ट रूप से ही सही.., स्पष्टीकरण दिया था उन्होंने जयप्रदा के लिए अंडरवियर का रंग का बात नहीं कही थी... बल्कि वह   यूपी की राजनीति में फिल्मी सितारों का सिक्का चलाने वाले अमर, अमरसिंह के लिए कही थी| तब अमर सिंह ने भी खूब दाएं-बाएं बोला, इस प्रकार लोकसभा रामपुर क्षेत्र का बहुत चर्चित मुद्दा 2019 में अंडरवियर बन गया |
अब हम बात करते हैं मध्यप्रदेश के  शहडोल यहां पर भी कमोबेश सभी लोकसभा क्षेत्रों की तरह स्थानीय मुद्दा गायब ही था... जबकि खनिज की लूट.., कोयला-कबाड़-सट्टा खोरी., पर्यावरण, भू माफिया, औद्योगिक प्रदूषण , रिलायंस कंपनी का भूमि शोषण जैसे बहुत से मुद्दे बेरोजगारी और बेकारी के साथ साथ बरकरार हैं..... इसके बावजूद लोकसभा चुनाव में मुद्दा बना "विरासत की सियासत" का क्योंकि कांग्रेस वाले कांग्रेसी सांसद रहे दलवीर सिंह और उनकी धर्मपत्नी राजेश नंदनी सिंग को अपनी जागीर मान कर कांग्रेस के पोस्टर में उनकी फोटो का उपयोग किए, जबकि कांग्रेस जानती है इन्हीं दोनों नेताओं की लड़की श्रीमती हिमाद्री सिंह भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी हैं... बैरल जिलानिर्वाचन अधिकारी अनूपपुर ने फैसला देकर कांग्रेस को प्रतिबंधित कर दिया कि बिना हिमाद्री सिंह की अनुमति के उनके माता-पिता की फोटो  लगाई जाए| एक तो शहडोल आदिवासी क्षेत्र के अपन मतदाता ऊपर से लेखक-पत्रकार सो लि मारे कि "कांग्रेस ने हिमाद्री को उपहार में दी पहली जीत.." 
अभी कुछ ही दिन बीते थे नया आवेदन आ गया, मुद्दा है.. कि स्वर्गीय दलपत सिंह परस्ते जो  सांसद थे भारतीय जनता पार्टी से, उनकी धर्मपत्नी ने आवेदन दिया है क्योंकि पति की फोटो बिना उनकी इजाजत के भारतीय जनता पार्टी दलवीर सिंह  के साथ ना लगावे, क्योंकि दोनों ही हमेशा एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ते रहे... इस तरह "विरासत की सियासत" अबकी बार दलपत सिंह परस्ते की धर्मपत्नी के ओर से चली है.., देखना होगा की जिला निर्वाचन अधिकारी क्या अपने पुराने फैसले पर बरकरार रहते हैं, भाजपा को अब प्रतिबंधित करेंगे कि वे अपने सभी पोस्टर से दलपत सिंह परस्ते की फोटो हटा दें....? दरअसल बात यह भी है कि भारतीय जनता पार्टी ने जमकर दलपत सिंह परस्ते का खूब उपयोग किया, भाजपा की अमानत नहीं है.. दलपत सिंह, मूलतः समाजवादी विचारधारा के नेता रहे और समाजवादियों ने ही उन्हें पहले पहल नेता बनाया किंतु जब समाजवाद का आर एस एस करण होने लगा, शहडोल के समाजवादी नेताओं को अंडरवियर खाकी रंग की पहनी जाने लगी या फिर आर्थिक परिस्थितियों के दबाव में नेताओं ने पहनना चालू कर दिया...? फिर भाजपा के सांसद का पट्टा भी लगाने लगे.., इस प्रकार दलपत सिंह भाजपा की विरासत बन गए थे..., अब जबकि उनकी धर्मपत्नी ने एक नया दावा किया है विरासत की सियासत का देखना होगा विरासत की सियासत का यह मुद्दा मतदान होने तक कितनी देर तक गर्म रह पाता.... और उसका क्या कोई असर भी होने वाला है...?
 इस संबंध में राजनीतिक दलों में कांग्रेस की प्रत्याशी श्रीमती प्रमिला सिंह की टिप्पणी इसलिए नहीं जा सकी दूरभाष काम नहीं कर रहा था
 जब भारतीय जनता पार्टीी के लोकसभा प्रभारी गिरीश द्विवेदी जिसे बातचीत हुई तो उन्होंने कहा की दलपत सिंह परस्ते अंतिम समय तक भाजपा में रहे उनकेेे परिवार की लड़की अनूपपुर मेंं जिला पंचायत अध्यक्ष उनकीी बहू शहडोल में पार्षद हैं भाजपा से इस प्रकार परिवार हमारे से पार्टी में हैं और जहां तक हिमाद्री सिंह के माता-पिता की बात हैै वे इकलौती उत्तराधिकारीी हैं स्वाभाविक है उनका अधिकार है कि बिना अनुमति के उनकी माताा पिता की फोटो काा उपयोग कोई दूसरा न करें प्रति प्रश्न करने पर की जिन्होंने आपत्ति कीी है दलपत सिंह की धर्मपत्नी है श्री द्विवेदी ने कहा कि मुझे नहीं मालूम उनकी कितनी पत्नियां है लेकिििन कोई मसला है तो सुलझा लिया जाएगा श्री द्विवेदी के अनुसार यह कोई मुद्दा नहीं है भाजपाा में अपना मुद्दा है और भाजपा उसपर चुनाव लड़ती है।
बहराल रोचक है नरेंद्र मोदी सरकार ने कुछ किया हो... या, ना किया हो....केंद्र में और संसदीय क्षेत्रों में मुद्दों को मूक-बधिर कर दिया है...खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से हर सांसद को 5 साल में सिऱ्फएक काम करने की चुनौती दी थी.... "सिर्फ एक गांव को आदर्श गांव के रूप में सुविधाजनक बनाने की बात कही थी.., वह भी मुद्दा नहीं बन पाया.. अगर शहडोल लोकसभा की करीब 1000 ग्राम पंचायतों में शहडोल का ग्राम  केलनिया, ग्राम पंचायत को ही मुद्दा बनाकर आदर्श प्रस्तुत किया जाता.. तो शायद राजनीतिक और संसदीय मर्यादा कायम रह पाती..., वह भी मुद्दा नहीं बना...?

 क्यों कुछ सबको मालूम है पूरे भारत में ऐसे ही  केलनिया गांव बीते कल की बातें हो गई हैं..... बीता हुआ मुद्दा हो गया है..           अब मुद्दा तो विरासत की सियासत और अंडरवियर तक में चला गया है जिसका नतीजा यह है कि रामपुर में अंडरवियर वोट दिला रहा है शहडोल में माना जा रहा है की विरासत की सियासत वोट दिलाएगी...? अंतिम निर्णय 29 तारीख को पेटी में बंद हो जाएंगे किंतु जो परिणाम आएंगे वे अंडरवियर से निकल कर विरासत की सियासत ..यासियासत  की विरासत,तक क्या पहुंच पाएंगे.... और उससे जनहित किस प्रकार प्रदर्शित होगा यह भी देखेंगे...............................................? जय हिंद मित्रों...?
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