नर्मदा चले , उल्टी चाल
नर्मदे हर..... नर्मदे हर........ नर्मदे हर...?
बहराल चुनाव रोचक होगा ,जीत और हार दोनों ही आनंददाई होगा ।भोपाल वासियों के लिए ही नहीं बल्कि प्रदेशवासियों के लिए भी कि कांग्रेस का हिंदुत्व जीतता है या भाजपा का ...?क्योंकि अन्य कोई विकल्प है भी नहीं ....?
बहुचर्चित फिल्म "दीवार" मैं अमिताभ बच्चन और शशि कपूर एक पुल के नीचे संवाद करते हैं ।अमिताभ कहते हैं मेरे पास यह है.., वह है.., फलाना है.., ढिकाना है ; तुम्हारे पास क्या है...? और कुल मिलाकर अभिमान प्रकट करते हैं ।तो शशि कपूर जो इंस्पेक्टर होते हैं तथा अमिताभ के भाई हैं बड़े ही शांत भाव से उत्तर देते हैं ...
"मेरे पास मां है...."
तो भैया नर्मदा मां के भरोसे नर्मदे-हर कर के शतरंज की बिसात पर दिग्गी राजा की चाल काबिले तारीफ थी।
यह बात बड़े-बड़े लोगों की है, अपन तो शहडोल आदिवासी धरा के निवासी हैं इसलिए जब कमलनाथ जी ब्योहारी मे खिल रहे थे, कमोवेश इसी दौर पर नर्मदा जी भोपाल से शहडोल की ओर उल्टा बहती आई.... चुनाव का वक्त है कई लोगों को अपने प्रजा को आशीर्वाद देना उचित लगा. किंतु , क्योंकि कॉपीराइट चिन्हित लोगों के पास है कांग्रेसका, इन दिनों, शहडोल में। तो नर्मदा को वही-वही बहाया गया या चिन्हित लोगों को ही पवित्र होने का वरदान दिया गया ।बाकी पूरी प्रजा वरदान से महरूम रही। ऐसे में नर्मदा का दोष कुछ भी नहीं होगा वे तो वही ही थी पवित्रता के लिए थकान खत्म करने के लिए। प्रबंधन ठीक करने के लिए ताकि लोग रिफ्रेश हो सके हो सके,लोकसभा चुनाव के लिए। किंतु जिन्होंने कॉपीराइट कर लिया था वह चिन्हित प्रजा के पास प्रजापति को पहुंचाएं और नर्मदा का आशीष दिलाने का काम किया।
इससे शहडोल में कांग्रेस को कितना लाभ मिलेगा यह तो अभी कहना जल्दबाजी होगी... किंतु जिस प्रकार से कांग्रेसका कुप्रबंधन कुछ चिन्हित हाथों के भरोसे हो रहा है यह उसी अंदाज को, दोबारा ,कहीं दोहरा न दे ,जिस अंदाज में पर्वतों की रानी हिमाद्री लोकसभा की मध्यावधि चुनाव की नैया पार करने निकली थी और उन्हें हताशा का सामना करना पड़ा। क्योंकि तब एक होटल में पड़ाव डाले कांग्रेसी महारथी कांग्रेसका संचालन कर रहे थे । इस बार कुछ दूसरा तरीका है
किंतु कुछ वैसा ही है ,जैसा अनुभव में देखा गया ।
बहरहाल अपन बात कर रहे थे नर्मदा के उल्टा बहने की और कुछ खास लोगों को पवित्र करने की, तो कम से कम यह आसरा तो बनता ही था कि नर्मदा कहीं भी बहे, कहीं भी रहे वे कांग्रेस अध्यक्ष रहे शिव के पास जरूर जाएंगी। किंतु कॉपीराइट होल्डर नर्मदा को वही-वही बहाते रहे, जहां-जहां उन्हें लगता रहा यही के प्रजा पात्र है , नर्मदा के आशीष के लिये अन्यथा शिव कुमार जी वरिष्ठतम भी हैं, वरिष्ठ भी हैं और कमलनाथ जी के नजदीक भी, नर्मदा का उनके यहां प्रवास ना होना दुर्भाग्य जनकहै? कांग्रेस को उल्टा बहने की आदत तो ठीक है किंतु देश के लिए राजनीति करना और व्यक्तिगत दुकानदारी की तरह राजनीत का व्यवहार कुछ अटपटा रहा इसलिए अपन भी कहेंगे नर्मदा के प्रथम प्रवास पर ,
नर्मदे हर..... नर्मदे हर........ नर्मदे हर...?
देखना होगा भाजपा की गंगा किसको किसको कहां कहां शहडोल में पवित्र करती है फिलहाल जमीनी स्तर का कार्यकर्ता भी मुंहबाए बैठा है, गंगा आए ..,पवित्र कर जाएं ...?जय गंगा मां की.....
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