रविवार, 14 अप्रैल 2019

           "रहिमन भ्रष्टता राखिए ,
                     बिन भ्रष्टता ,सब सून....."?
       दिग्विजय ने कि घोषणा ; राम मंदिर के लिए कांग्रेस की जमीन को दे देंगे.....     







तो मित्रो यह तय हो गया कि अयोध्या का विवादित ढांचा "राम मंदिर-बाबरी मस्जिद"की समस्या को ज्यादा वोट की राजनीति में इस्तेमाल नहीं  किया जा सकता और इसके राजनीतिक पक्ष कार भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी अन्य पार्टियां सत्ता मैं आने के बाद इस बात से संतुष्ट हो गई हैं कि यह वोट उगलने से ज्यादा सिर दर्द मशीन है। इस प्रकार से सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक कूड़ेदान में फेंक दिया गया । 

लेकिन राम मंदिर की श्रंखला का नया शंखनाद हो गया है। वह भी नवाबों की बस्ती भोपाल में। जहां कल पूर्व मुख्यमंत्री जी  दिग्विजय सिंह ने घोषणा किया कि वह राम मंदिर के लिए कांग्रेस पार्टी की जमीन को दे देंगे ।स्वभाविक है उन्हें लगता भी है मध्य प्रदेश में कांग्रेस का रजवाड़ा उनकी अपनी विरासत है ।तू जिसे चाहे जहां चाहे दे देंगे, अभी तक वक्त नहीं आया था देने का उन्होंने नहीं दिया। अब उन्हें लग रहा है कमलनाथ जी उनकी अपनी गवर्नमेंट के पवाईदार हैं और उनके कहने पर इतना होना भी चाहिए और लगे हाथ अगर इस आश्वासन से राम मंदिर से जन्म लेने वाला हिंदुत्व का कीड़ा या वायरस अगर कांग्रेस के लिए भोपाल की कांग्रेस के लिए प्राण दाई बनता है या फिर भाजपा के लिए वायरस बनता है इससे भला क्या हो सकता है .... पहले चोरी छुपे बोली जाती थी किंतु जब से हिंदुत्व की संस्था राज्य और केंद्र में स्थापित रही हैं मुखर अघोषित संविधान का हिस्सा है. सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की पहचान है .और हमारी धार्मिक आस्था का बड़ा वोट बैंक भी ।इसे संविधान में भी स्थापित कर ही देना चाहिए और यही 21वीं सदी की राजनीति की सबका साथ-सबका विकास की पहचान बनाया जा सके।

 ना जाने मध्यप्रदेश में कितनी मंदिर और कितने मस्जिद वीरान पड़े होंगे ...कितनी मंदिरों में राजनीतिक दलों के अपने अपने गुर्गे राजनीति की फसल को बोते और काटते होंगे...? इन्हीं फसल काटने वालों में आसाराम और राम रहीम दुर्भाग्य से करोड़ों अरबों की शासकीय भवनों के शान बने हुए हैं ।कहते हैं वे जेल में हैं लेकिन सच कुछ और होगा बस इससे ज्यादा शायद नहीं ,ई पहले भी बाहर थे अब नजर बंद है। 
शासकीय भवनों में  यह कटाक्ष इसलिए नहीं कर रहे हैं की बोट  बैंक के धंधे में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के हम किसी पैरोकार का विषय बन जाए बल्कि यह इसलिए किया जा रहा है अयोध्या के संत महंत जो समझे हमें नहीं मालूम , हम तो यह जानते हैं शहडोल में भी एक मोहन राम मंदिर है जिसे 15 साल भाजपा के सत्ता में उनके छुटपुट-किस्म के नेताओं ने इस हालात में पहुंचा दिया, सत्ता के जरिए गैर कानूनी; बल्कि हाई कोर्ट के निर्देशों की खुली अवमानना करते हुए, पूरी गुंडागर्दी के साथ ,मोहन राम मंदिर और उसके तालाब के अस्तित्व को चुनौती दिया। तालाब को तो नष्ट ही कर दिया ।
हाल में यह देखा गया है इस शहडोल के रघुराज स्कूल ग्राउंड के बगल में मोहन राम मंदिर की अचल संपत्ति को मंदिर के अंदर अवैध रूप से कब्जा कर रहने वाले धर्म का चोला पहने है लवकुश शास्त्री ने पूरे भवन पर मनमानी  तोड़फोड़ की आम के वृक्षों को काटा, कई पेड़ों को नष्ट किया, पूरी अचल संपत्ति को खुर्द-बुर्द किया 
और जब तहसीलदार न्यायालय सोहागपुर ने इस पर स्थगन जारी किया तो उनके आदेश को अपनी जूते की नोक में रखते हुए पूरी गुंडागर्दी के साथ ,आदेश की अवमानना करते हुए न सिर्फ बिल्डिंग को बनाया बल्कि डबल स्टोरी बनाकर उसका उपभोग निजी हितों के लिए करने लगा। यह बताते हुए कि वह यह उसकी  आराजी है, न्यायालय तहसीलदार सोहागपुर की क्या औकात कि उसने "स्थगन-आदेश" जारी कर दिया .....?यहां पर वह एक ठेकेदार की हैसियत से अपना दावा प्रस्तुत किया। बिल्डिंग का ठेकेदार होने के नाते यह बिल्डिंग उसकी है ।
वास्तव में यह आराजी श्री पांडे मोहन राम समिति शहडोल याने श्री रघुनाथ जी राम जानकी शिव पार्वती मोहन राम मंदिर ट्रस्ट शहडोल की घोषित आराजी है जिस पर शासकीय अभिलेखों में धोखाधड़ी-कूट रचना करते हुए लव कुश शास्त्री ने, जो कि कर्वी बांदा का निवासी है शहडोल आकर अपनी रोजी-रोटी चला रहा है मनमानी तरीके से धोखाधड़ी किया ....?जिला प्रशासन कम से कम जो वर्तमान में भाजपा की तो नहीं है भारतीय जनता पार्टी के गुर्गों के संरक्षण में मोहन राम मंदिर की याने दिग्गी राजा की माने तो राम मंदिर की निजी अचल संपत्ति को लूटने और लूटवाने का काम हुआ।
               ऐसा बात नहीं है कि शहडोल के मोहन राम मंदिर मामले में दिग्विजय सिंह अनजान है, उनको मालूम है शहडोल की विधायक विश्व-प्रसिद्ध शबनम मौसी ने  दिग्गी राजा से ही  राम मंदिर के भ्रष्टाचार को समाप्त करने का काम किया था और उच्च न्यायालय तक मुकदमा पहुंचाने का रास्ता खोला था... दिग्गी राजा 10 साल के वनवास को भोग कर वापस लौटे हैं, लेकिन मंदिर भाजपा के राज में लुट गया....?
 तो दूसरा पहलू भी देखें कि जब भाजपा के सांसद और प्रदेश अध्यक्ष रहे प्रभात झा से पूछा गया  "राम मंदिर अगर आप पहले देख लेते हैं तो यह दुर्दशा नहीं होती..? तो उन्होंने कहा कि "भगवान की ऐसी ही इच्छा थी. आप माने...."
 हो सकता है अयोध्या के राम देश को बोट पैदा करने की राजनीति देते हो ....जो अब बीते समय की बात हो गई हो। किंतु भोपाल के राम जिनको कांग्रेस की जमीन दी जाएगी वह भोपाल में वोट देते देने वाले हो...? किंतु बिचारे शहडोल के राम ....इनका कोई धणी-धोरी नहीं.... क्योंकि यह आदिवासी अंचल है यहां लूटपाट करने की खुली छूट,कानून और न्यायलीन आदेशों को अवमनना करने की प्रशासनिक व्यवस्था है। इसलिए शहडोल के राम का कोई वोटबैंक भी नहीं है। और शायद यही कारण है कि वे विचारे खुद  भाजपाई-हिंदुओं वर्तमान में कांग्रेसी-हिंदुओं के लूट के शिकार हो रहे हैं ....? किंतु भारतीय हिंदुओं या वास्तविक हिंदुओं या यू कहना चाहिए जो भारत की धार्मिक विरासत सनातनी हिंदू हैं के हालात हैं वे बद से बदतर होते जा रहे हैं उनकी धार्मिक आस्था लुटती हटती और हिंदुत्व के लूटपाट में बिखरती चली जा रही है आखिर इसका भी तो संरक्षण करना भारत की आजादी का लक्ष्य होना चाहिए था जिसके लिए फिलहाल तो सब कुछ ठीक नहीं दिखता।
क्या इन हालातों पर भी दिग्गी राजा कि कोई सोच का क्रियान्वयन होगा या भोपाल के ही राम को वे अयोध्या की राम की तरह बनाने के बारे में सोच रहे हैं...? चुनाव आयोग तो इन रामरहीमओ के चकल्लस में ज्यादा पड़ता दिखता नहीं....
इसीलिए हमारे नेता मनमानी तरीके से ताकतवर राम को प्रणाम करते हैं और गरीब राम को उसके अंजाम में छोड़ देते हैं..? जैसा कि शहडोल के श्री मोहन राम मंदिर के  राम ।

बहराल हाल में कमिश्नर शहडोल श्री शोभित जैन ने राम मंदिर का दौरा किया और उनके दिमाग में आया कि क्यों ना यहां शौचालय बना दिया जाए जो भूमि अनावश्यक कभी एकता बिल्डिंग वाले लूटते हैं तो कभी कोई और। किसी लोकतांत्रिक जनहित में ही काम आ जाए चलो, अच्छा है कोई प्रशासनिक अधिकारी कोई दृष्टिकोण तो रख भी रहे हैं अन्यथा कई ऐसे प्रशासनिक अधिकारी आए जिन्होंने अच्छे खासे भरे भरे तालाब को ऐसे ही लवकुश शास्त्री जैसे लोगों से मिलकर दो तालाबों को हिस्सा बांट कर दिया ।.....मूल तालाब का स्रोत-तालाब लूटने के लिए अतिक्रमण करने के लिए ,भाजपाइयों के लिए छोड़ दिया गया और दूसरा तालाब भगवान राम के भरोसे...?
 जो अब जल विहीन हो गया है......
 यह तो बीते हुए संतों की वाणी है कि, "बिन पानी सब सून....." लेकिन शहडोल का मोहन राम तालाब बिना पानी के भी करोड़ों रुपए पी रहा है. ........यानी मधुशाला की भाषा में कहें तो शुद्ध "नीड,... बिना पानी के"....
 अगर रहिमन होते तो अपने दोहा को बदल देते ,कुछ इस अंदाज में की:-
" रहिमन भ्रष्टता राखिए ,
    बिन भ्रष्टता सब सून.
    भ्रष्टता गए न ऊबरे,
     मोती- मानुष -चून.."....
           ............?

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