“प्रियंकागांधी
कमिंग एंड मोदी-साह गोइंग.......”
==========================(त्रिलोकीनाथ )===================================
जिस प्रकार से फिल्म इंडस्ट्री में शोले की
लोकप्रियता के शिखर को कोई छू नहीं पाया.., जैसे शोले फिल्म
इंडस्ट्री की भगवान हो गई. इसी फिल्म का अंश भाग है, जिसमें धर्मेंद्र या बीरू शराब पीकर
पानी की टंकी में चले जाते हैं और चिल्ला कर भीड़ इकट्ठी कर लेते हैं ताकि बसंती यने
हेमामालिनी से कोई उनकी शादी करा दे.. उसकी शुरुआत में डायलॉग हैजिसमें वीरू कहता है “..पुलिस, कमिंग - बुढ़िया गोइंग, जेल..” कुछ उसी अंदाज में “..प्रियंका गांधी कमिंग एंड मोदी साह गोइंग.......” की तरह गांधी परिवार की विरासत को
बढ़ाते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा ने घोषित तौर पर राजनीति में एंट्री किया है. और
कांग्रेस का दावा या प्रायोजित किया गया है कि “लोगों के दिल में राजनैतिक घंटी बज गई है’.
कांग्रेस पार्टी ने प्रियंका गांधी की एंट्री देश
की राजनीति के पूर्वी उत्तर प्रभार के साथ कराई है, जिसमें महत्वपूर्ण प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी का संसदीय क्षेत्र भी
है...?
1924 में बने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सृजन
भारतीयजनता पार्टी को लोकतंत्र में अपना ब्रांड-एंबेस्डर बनाने के लिए
करीब 3000 करोड़ रुपया खर्च करके सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति मध्यप्रदेश
के नर्मदानदी को ले जाकर गुजरात में उसके पीछे भी बनाना पड़ा. वर्तमान भाजपा के लोकतंत्र अज्ञात रूप से अदृश्य
रूप से महात्मागांधी और दृश्य रूप में सरदार वल्लभभाई पटेल, जिन की मूर्ति गुजरात में बनाई गई है. वैसे तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक
विचारधारा भी है,
जिस पर आरोप भी लगते रहे हैं उसी विचारधारा के कारण महात्मा गांधी की हत्या कर दी
गई और भाजपा की सरकार में हत्यारे नाथूराम गोडसे की मूर्ति का अनावरण भी हुआ जिस
का प्रचार प्रसार भी,
तथाकथित तौर पर उसे नजरबंद भी करने का काम हुआ. इस तरह भाजपा का लोकतंत्र “उधार के मॉडल पर”
अपनी सच्चाई के साथ कभी उभरता तो कभी डूबता रहा है..
बहरहाल
वर्तमान में जबकि 3 राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस
की सरकार के कांग्रेस अध्यक्ष राहुलगांधी के नेतृत्व में बन गई है तो तमाम आरोप-प्रत्यारोप के बावजूद स्थापित हो गया
है नेहरू -गांधी
का परिवार ही लोकतंत्र का जैविक मॉडल है. और यही जैविक लोकतांत्रिक ब्रांड-एंबेस्डर है. अब भाजपा चाहती है कि दागदार प्रचारित
कर लोकतंत्र के ब्रांड-एंबेस्डर को
ब्लॉक कर दिया जाए.
लगे हाथ तथाकथित “कांग्रेस
मुक्त भारत” का
ब्रांड भी स्थापित कर दिया जाए.
तथाकथित
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कि भारतीयजनता पार्टी किंतु वास्तव में गुजराती नरेंद्रमोदी
और अमित शाह के सपनों की का लोकतंत्र ही वास्तविक लोकतंत्र है, एक तरफ तो यह दोनों गुजराती भाई आरोप
लगाते हैं यह गांधी परिवार के बिना कांग्रेस चल ही नहीं सकता तो दूसरी तरफ तथाकथित
हिंदुत्व के ब्रांड के तले गुजराती बंधु पूंजीवादी-व्यवस्था भारतीय लोकतंत्र में ठोकने में लगे हैं और इसीलिए जिस
विचारधारा से जन्म लेने का घोषणा करते हैं उसी विचारधारा से हत्या कर दिए गए अदृश्य
महात्मा गांधी तथा दृश्य सरदार वल्लभ भाई पटेल का एक आईकॉन तैयार करते हैं, ताकी बता सकें गुजराती-बंधु ही वास्तविक डेमोक्रेटिक पार्टी
के विचारक हैं.
किंतु इन सब को धता बताते हुए 1947 देश की
आजादी के बाद अनेकता में एकता के सिद्धांतों ,बल्कि “वसुधैव
कुटुंबकम” की उद्घोषणा
करने वाले महावाक्य का समावेश करते हुए जातिगत मर्यादा को तोड़कर बने “गांधी परिवार” के जैविक आईकॉन अपनी विश्वसनीयता को
तमाम झंझाबतों के बावजूद बरकरार रखे हुए हैं.
आदिवासी नजर से देखा जाए तो लगता है यह सही भी
है कि जैसे भी हैं आदिवासी वास्तविक तो है.., उनमें सच्चाई तो है. हो सकता है वे उतने चालाक, शातिर और कुटिल न हो..?, हो सकता है विश्व के पूंजीपति, विश्व बाजार पर नजर रखने वाले बाजारये
भारतीय नागरिकों को अपने हिसाब से चलाते हो..?, किंतु निजी जीवन में सच्चाई का बड़ा महत्व
होता है. व्यक्ति मानव
है इसलिए उस में त्रुटियां हैं.
अन्यथा महामानव होता.
जिसे बाबासाहेब आंबेडकर ने उसके अस्तित्व को स्वीकारने से इनकार किया था.
जिसे
सनातन धर्म, भगवान
की संज्ञा देता है. और
यह विवाद विश्व के हर कोने में बरकरार भी है. किंतु पहले आर एस एस की विचारधारा बाद में हिंदुत्व का ब्रांड और
गुजराती बंधुओं मोदी-शाह
की जोड़ी लोकतंत्र बनाम कांग्रेस मुक्त भारत का सपना में जैविक आईकॉन “ब्रांड-एंबेस्डर” की
पुनर्स्थापना सी हो गई है.
जिसका अवतरण श्रीमती प्रियंकागांधी के रूप में भारतीय जनता पार्टी को उत्तर भारत
में ओले-भरी ठंड मे कंपा देने के
लिए बाध्य कर रही है.
क्योंकि “चौकीदार चोर है” इस
आरोप के साथ तीन राज्यों पर सत्ता में आने वाली कांग्रेस पार्टी के मंसूबे काफी
हाई प्रोफाइल हैं.
उन्हें अपना रास्ता सहज और सरल दिख भी रहा है इस तरह अपनी नई संगठनात्मक विस्तार
में एक तरफ मध्यप्रदेश के कचरे से ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे युवा चेहरा को निकाल
कर सकारात्मक कार्य में लगा दिया है, तो दूसरी तरफ प्रियंकागांधी के आने से इंदिरागांधी का स्वरूप कांग्रेस
पार्टी के लिए वरदान साबित हो सकता है. आखिर उत्तरप्रदेश में बुरी तरह से विफल कांग्रेस दो युवा चेहरों को
लेकर काफी उत्साहित भी है. यह
देखना होगा कि परिणाम क्या होते हैं बहरहाल आवाज जबरदस्त है.. ब्रांडिंग जरूर कमजोर है और कांग्रेस
को नरेंद्र मोदी के इवेंट-मैनेजमेंट
से ब्रांड-एंबेस्डर” की ब्रांडिंग की प्रस्तुति के बारे में
बार-बार सोचना चाहिए.
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