मैंने अदाणी को पहली बार गंभीरता से देखा था जब हमारे प्रधानमंत्री नारेंद्र मोदी बड़े याराना अंदाज में एक व्यक्ति के साथ कथित तौर पर उसके प्लेन पर बैठे थे ।उसका नाम गौतम अडानी था फिर धीरे-धीरे यह चर्चित हुआ कि मोदी जी का खास है और सोचने को भी विवश था था की एक स्टेशन में चाय बेचने वाले परिवार में जन्मे नरेंद्र भाई का इतना याराना इस अरबपति अदाणी के साथ कैसे हो गया...? फिर बातें अडानी अंबानी की जुगलबंदी सत्ता और उद्योगपति से चालू हुई अदाणी एक ट्रेडमार्क हो गया। इसी दौरान दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था नाम की चिड़िया के उड़ने की खबर आई कि भारत तीसरी अर्थव्यवस्था बन रहा है...।
अपन के समझ में बहुत कुछ आया नहीं.. होता होगा जहां चिड़ियाघर जाएगी वहीं अर्थव्यवस्था पहचानी जाएगी.. बहरहाल अब इन गौतम अदाणी और इसकी भतीजे सागर अदाणी सहित कुछ लग्घु-भग्गू को को भी किसी 2200 करोड रुपए घूंस के मामले में अमेरिका के एक न्यायालय में अपराधी बनाकर मुकदमा चलाया जा रहा है , सुधारना जरूरी है कि वह आरोपी है कुल मिलाकर पक्षकार है अपराध के मुकदमे में। न्यायालय अमेरिका की जानती करेगी वह अपराधी भी हो जाएगा और जेल भी चला जाएगा...? यह आगे की बात है।
लेकिन भारत के अखबारों में इसको इस बार बहुत महत्व मिल गया जैसे एक भ्रष्टाचार का नया अवतार प्रकट हो गया हो.. उसे ऐसा सम्मान प्रमुख समाचार के रूप में प्रकाशित किया गया है। जैसे इसके पहले अदाणी ने कभी कोई भ्रष्टाचार किया ही ना हो। बावजूद इसकी की फर्श से उठकर अर्श तक इसी जीवन काल में जाने वाले गौतम अडानी अपने ऐसे गुजराती भाई हैं जो अब फिर से फर्श तक जाने की प्रतियोगिता में जुड़ गए हैं... अगर सब कुछ ठीक रहा तो अदानी एक स्वप्न हो जाएंगे।कहा जाएगा एक था अदाणी। जैसे भारत का एक भगोड़ा किंगफिशर का मालिक कभी स्वप्न सुंदरियों के संसार का नायक हुआ करता था अब भारत में मुंह दिखाने लायक नहीं है। क्योंकि वह फरार है, इसलिए मुंह दिखाने लायक नहीं है।
लेकिन गौतम अडानी के साथ ऐसा नहीं है अगर वह वहां फरार होगा तो भारत में ही आकर रहेगा। जैसे लंदन में किंगफिशर वाला रह रहा है य अन्य जगह मोदी वगैरा रह रहे हैं। क्योंकि भारत ऐसे महान लोगों के लिए अवतरित होने का अवसर देती है। अदाणी उसमें एक है।
चलो मान लेते हैं की अदाणी का अमेरिका में मुकदमा चल रहा है तो चल रहा है क्या फर्क पड़ता है सात समंदर पार कौन देखता है और हमको क्यों चिंतित होना चाहिए..? लेकिन जब शहडोल के रेलवे स्टेशन में आप खड़े होइए तब रेल की पटरी डब्बे आते जाते दिखते हैं उसमें अदाणी भी लिखा रहता है । प्रगट रूप में ,कहा तो यह जाता है की शहडोल क्षेत्र में जो तीसरी रेलवे लाइन बन रही है उसमें इस अदाणी का ही बड़ा रोल है उसी के लिए ताकि ज्यादा से ज्यादा कोयला इस आदिवासी क्षेत्र से अदाणी के लिए निकाला जा सके; तीसरी लाइन बिछाई जा रही है। यह अंदर की बात है।
बाहर की बात अभी प्रमाणित नहीं है, इसलिए अदाणी को हमको जानना चाहिए कि वह अमेरिका में जब उसके खिलाफ कोई प्रकरण चल रहा होता है तो हो सकता है शहडोल का अदाणी लिखा रेल डिब्बा का खोखा बदल जाए...? क्योंकि अमेरिका में जरूर मुकदमा चला फर्जी वाड़े का।
एक अन्य केन्या देश की सरकार इस घटना से प्रभावित होकर पूत के पांव पालने में देखने लगी और तत्काल उसके साथ, यानी अदाणी और उसकी कंपनी जो अदृश्य रहती है अपने अपने राष्ट्र में दोनों को अलविदा कह दिया। यानी 6000 करोड रुपए का अनुबंध रद्द कर दिया। कहते हैं ऑस्ट्रेलिया गवर्नमेंट और दुनिया के अन्य सरकारों ने भी अब इस दिशा में अदाणी की कंपनी जो अदृश्य रहती है उन्हें विकास का अवतार मानने से इनकार कर दिया और अदाणी की क्रिएटिविटी को बजन नहीं दे रही है। क्योंकि उन्हें पता चल रहा है कि यह धोखेबाज लोग हैं। जो अपने राष्ट्र को धोखा देते हैं।
भ्रष्टाचार की इमारत पर अपनी बुलंदगी का झंडा लहराते हैं ऐसे लोग हमारे देश में आकर यही सब सिखाएंगे ..… ।ऐसे लोगों से परहेज रखना चाहिए। आगे-आगे देखते हैं कि क्या होता है कहां-कहां "अदाणी के और उसकी अदृश्य कंपनी के अनुबंध खत्म होते हैं...?
इसीलिए भारत में अदाणी ने सोलर एनर्जी पर करीब 2200 करोड रुपए की रिश्वत यानी घू़ंस बताकर कथित तौर पर पांच राज्यों में ठेका हासिल किया है। अमेरिका की न्यायपालिका और जांच एजेंसियां इसे भ्रष्टाचार मानते हैं वह उनकी अपनी समस्या है ऐसा हम फिलहाल के लिए अपनी समझ सुरक्षित रखें.... इसके बाद भी हमें गर्व न हो कि हम भ्रष्टाचारी हैं... तो यह हमारे लिए शर्म की बात है.....?
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